Wednesday, April 24, 2024

इलाहाबाद विवि में कुलपति और रजिस्ट्रार को दो करोड़ रुपये देकर भर्ती का टेंडर पाने का वीडियो वायरल

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव और रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ल पर दो करोड़ रिश्वत लेने के बाद संविदा कर्मचारी भर्ती का टेंडर देने का आरोप लगा है। यह आरोप भर्ती प्रक्रिया पूरी कराने वाली कंसल्टेंट कंपनी ने लगाए हैं। इसका वीडियो और ऑडियो शनिवार को वायरल हो गया। अब कंसल्टेंट कंपनी पर एक पद के एवज में आवेदकों से रुपये वसूलने के आरोप लगे हैं। यह खबर प्रयागराज के प्रमुख अख़बारों, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और अमरउजाला में प्रकाशित हुई है। 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने संविदा पर कर्मचारी भर्ती के लिए टेंडर जारी किया था। लखनऊ की फर्म में. सन फैसिलिटी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड ने 209 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। नियुक्ति वॉक इन इंटरव्यू के लिए होनी थी। बैंक रोड स्थित इविवि के गेस्ट हाउस में इंटरव्यू की प्रक्रिया 25 मार्च से शुरू हुई, जो कि 28 तक चलनी थी। कंपनी ने भर्ती प्रक्रिया लक्ष्यदीप इंफो प्लेसमेंट, प्रॉपर्टी एंड एजुकेशन ग्रुप के जरिए शुरू कराई। शनिवार को आवेदक जुटे थे। इसी बीच छात्रनेता अजय यादव सम्राट, मोहम्मद मसूद और राहुल पटेल ने वीडियो वायरल किया, जिसमें पत्रिका चौराहा स्थित कंसल्टेंट कंपनी के कुलदीप शर्मा और एके मिश्र आवेदकों से नियुक्ति के लिए रुपये मांग रहे हैं।

वायरल वीडियो में कंपनी के एके मिश्र वीडियो में दावा कर रहे हैं कि कॉपी और 25 हजार एडवांस रकम पहुंचाने के बाद ही लिस्ट लखनऊ भेजी जाएगी। प्रतिमाह एक हजार देना होगा। क्योंकि कुलपति और रजिस्ट्रार को दो करोड़ रुपये देकर टेंडर लिया है। वीडियो में कुलदीप शर्मा 99.9 फीसद नौकरी दिलाने का दावा कर रहे हैं। बैंक रोड स्थित इविवि के गेस्ट हाउस में इंटरव्यू की प्रक्रिया बिना इलाहाबाद विवि के अधिकारियों की सहमती से चल ही नहीं सकती यानि सब कुछ ऑफिसियल है। गेस्ट हाउस का ही वीडियो भी है।  

गौरतलब है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में इन दिनों आउटसोर्सिंग के माध्यम से विभिन्न पदों के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया से संबंधित वीडियो के वायरल होने से हड़कंप मचा हुआ है। इसमें भर्ती के टेंडर के लिए करोड़ों के लेनदेन की बात कही गई है और दावा किया गया है कि यह रकम शीर्ष अफसरों तक पहुंचाई गई होगी। जिस एजेंसी को भर्ती की जिम्मेदारी दी गई है, उसके प्रतिनिधि वीडियो में यह कहते भी सुने गए कि माली और स्वीपर जैसे पदों पर भर्ती के लिए 40-40 हजार रुपये लग रहे हैं।

संविदा पर होने वाली भर्ती में कुलपति के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) निखिल आनंद श्रीवास्तव भी इंटरव्यू पैनल में शामिल हैं। जबकि, खुद संविदा पर हैं। छात्रनेता अजय यादव से तीखी झड़प भी हुई। हालांकि, निखिल का कहना है कि वह इसमें शामिल नहीं हैं। सुरक्षाकर्मियों ने गेट बंद कर दिया। इसके बाद कुछ ही लोगों को बुलाया जा रहा था तो आवेदकों ने विरोध शुरू कर दिया। अचानक कंपनी ने इंटरव्यू प्रक्रिया निरस्त कर दी। कंपनी प्रबंधन की तरफ से जारी सूचना में कहा गया कि कोविड-19 के चलते यह प्रक्रिया स्थगित की गई है।

रजिस्ट्रार, इविवि प्रोफेसर एनके शुक्ल का कहना है कि आरोप निराधार है। वीडियो और ऑडियो चीफ प्रॉक्टर को भेजकर आरोप लगाने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। साथ ही एजेंसी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बकायदा प्रेस रिलीज जारी कर इस वीडियो को मनगढ़ंत बताया। साथ ही विश्वविद्यालय के वीसी और रजिस्ट्रार की छवि को धूमिल करने की बात कही। यह भी कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने का प्रयास करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी विधिक कार्यवाही की संस्तुति की जाएगी।

वीडियो में दावा किया गया कि इविवि प्रशासन ने विभिन्न प्रकार के 200 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए मेसर्स सन फैसिलिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ को टेंडर दिया है और यह एजेंसी कंसल्टेंसी फर्म लक्षदीप  इनफो प्लेसमेंट प्रॉपर्टी एजूकेशन ग्रुप के माध्यम से भर्ती करा रही है। इस फर्म का ऑफिस सिविल लाइंस में पत्रिका चौराहे के पास है। भर्ती प्रक्रिया इविवि के गेस्ट हाउस में चल रही है। भर्ती के लिए शनिवार को गेस्ट हाउस में हजारों अभ्यर्थियों की भीड़ जुटी थी। भीड़ इतनी अधिक थी कि भर्ती प्रक्रिया बीच में ही रोक दी गई और इंटरव्यू स्थगित कर दिया गया। इस बीच विश्वविद्यालय के तीन छात्र नेता पहले गेस्ट हाउस पहुंचे। वहां उन्हें गड़बड़ी की आशंका लगी तो अपनी पहचान छिपाते हुए अभ्यर्थी बनकर फर्म के ऑफिस पहुंचे और वहां मौजूद फर्म के प्रतिनिधियों से बातचीत का ऑडियो-वीडियो बनाकर उसे वायरल कर दिया।

ऑडियो और वीडियो में फर्म के प्रतिनिधियों को साफ कहते हुए सुना जा रहा है कि भर्ती के लिए 40 हजार रुपये देने होंगे। आवेदन अनिवार्य है और एडवांस में 25 हजार रुपये जमा करने होंगे। इसके बाद ही लिस्ट लखनऊ भेजी जाएगी। नौकरी मिलने के बाद प्रतिमाह एक हजार रुपये देने होंगे, क्योंकि दो करोड़ रुपये देकर टेंडर लिया गया है। अभ्यर्थियों ने दो करोड़ जैसी बड़ी रकम को लेकर आश्चर्य जताया तो फर्म के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि यह रकम इविवि के शीर्ष अफसरों तक पहुंचाई गई होगी। आखिर एजेंसी इसकी भरपाई कहां से करेगी। यहां तक कि फर्म के प्रतिनिधि नगर निगम में सफाई कर्मी भर्ती में भी घूस लेकर नियुक्ति कराने का दावा करते हुए सुने जा रहे हैं।

वीडियो वायरल होने के मामले में एजेंसी के निदेशक रविकांत तिवारी ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए कर्नलगंज थाने में तहरीर दी है। रविकांत का कहना है कि यह एजेंसी और विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश है। वीडियो में घूस मांगने वालों को वह नहीं जानते और न ही घूस मांगने वाले उनकी एजेंसी के कर्मचारी हैं। एजेंसी सीधे भर्ती करा रही है और जॉर्जटाउन में मालवीय रोड पर एजेंसी का कार्यालय है, जहां एक कर्मचारी नियमित रूप से बैठता है। जिन छात्र नेताओं ने वीडियो वायरल किया है, उनके खिलाफ एजेंसी विधिक कार्रवाई कर रही है।

इविवि में आउटसोर्सिंग के जरिये माली के 52, स्वीपर के 58, कंप्यूटर ऑपरेटर/ऑफिस असिस्टेंट, टेक्निकल असिस्टेंट/ड्राइवर/एमटीएस/चपरासी के 60 पदों और इंजीनियरिंग विभाग में लिफ्ट ऑपरेटर, प्लंबर, इलेक्ट्रिकल हेल्पर, ट्यूबवेल ऑपरेटर, कार हेल्पर, इलेक्ट्रीशियन, कारपेंटर, प्लंबर हेल्पर के 35 पदों पर भर्ती के लिए 25 मार्च को विज्ञापन जारी किया गया था। यह भर्ती वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से होनी है। इंटरव्यू के लिए 25 से 28 मार्च तक की तिथि निर्धारित की गई थी, लेकिन शनिवार को प्रस्ताव इंटरव्यू स्थगित कर दिया गया।

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