Saturday, April 1, 2023

छत्तीसगढ़ में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नाराज़गी पड़ी भारी, 46 हज़ार केंद्रों पर ताला

तामेश्वर सिन्हा
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छत्तीसगढ़ में बीते 15 दिनों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल चल रही है।  राज्यभर में 46,660 आंगनवाड़ी और 6548 मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों पर ताला लटका हुआ है। इस वजह से बीते दो हफ्ते से आंगनवाड़ी केंद्रों में होने वाले सारे काम बंद हैं। बच्चों का टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की जांच के साथ-साथ बच्चों को गर्म खाना देने का काम भी ठप है। दरअसल सारे विवाद की जड़ 1 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की ओर से की जा रही हड़ताल है। 

ये सभी लोग अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनका कहना है कि राज्य सरकार ने सत्ता में आने से पहले कई चुनावी वादे किए थे, इन वादों में नर्सरी शिक्षक पद पर प्रमोशन और कलेक्टर दर पर मानदेय जैसी बातें शामिल थीं। लेकिन चार साल हो जाने के बावजूद भी ये वादे जस के तस हैं। लिहाज़ा इन्हें तालेबंदी का रास्ता अख्तियार करना पड़ा।

रायपुर क्षेत्र की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और ब्लॉक अध्यक्ष ममता ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से लगातार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की मांगों को अनसुना किया जा रहा है। चुनाव के पहले कांग्रेस ने हम कार्यकर्ताओं का वेतन कलेक्टर दर पर किए जाने की  घोषणा की थी, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है।

इसके अलावा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्राइमरी टीचर का दर्जा देने का भी वादा किया गया था। इनकी दूसरी बड़ी मांगों में रिटायरमेंट के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 5 लाख और सहायिकाओं को 3 लाख रुपए एकमुश्त देने की मांगें भी शामिल हैं। 

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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का हड़ताल

ये यह भी मांग कर रहे हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के खाली पदों को जल्द भरा जाए। साथ ही मोबाइल इंटरनेट चार्ज दिए जाने तक मोबाइल के इस्तेमाल को भी रोका जाए।

इन लोगों का कहना है कि उन्होंने सरकार के निर्देश पर सारे ज़रूरी कल्याणकारी कामों में बढ़कर भागेदारी की। जनगणना और मतदाता सूची बनाने के काम से लेकर छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त करने के लिए प्रयास किए, साथ ही कोविड के दौरान भी अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हटे, लेकिन मुख्यमंत्री और समाज कल्याण मंत्री ने हमारी मांगों पर अब तक कोई भी निर्णय नहीं लिया है।

आंगनवाड़ी केंद्रों पर तालाबंदी का सबसे ज्यादा असर समाज के सबसे ज़रूरी और गरीब तबके पर पड़ता है। प्रशासन भी ये बात जानता है कि आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है। इससे साफ है कि हड़ताल खत्म होने तक केंद्रों पर ताले लटके रहेंगे। वहीं कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने अलग-अलग ढंग से प्रदर्शन की तैयारी कर रखी है। 

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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का हड़ताल

अब ज़रा बस्तर के कुपोषण पर एक नज़र डालते हैं। बस्तर जिले में करीब 6,080 बच्चे अति गंभीर कुपोषण के शिकार हैं। रिपोर्ट के अनुसार बस्तर जिले में 29% बच्चे कुपोषण का दंश झेल रहे हैं, जबकि बस्तर संभाग के 7 जिलों की बात की जाए तो 50% से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं।

बस्तर जिले के बकावंड में सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की संख्या 1,630 है तो वहीं दूसरे नंबर पर बस्तर ब्लॉक में इनकी संख्या 1,560 है। इसके अलावा बस्तर जिले के हर ब्लॉक में हजार से ज्यादा की संख्या में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चे मिलने की पुष्टि हुई हैं।

(छत्तीसगढ़ से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट)

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