Saturday, April 20, 2024

बैंककर्मियों की दो दिनों की हड़ताल से पंगु हो गयी देश की बैंकिंग व्यवस्था

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के मोदी सरकार के फैसले के विरोध में, लाखों कर्मचारियों ने शुक्रवार, 17 दिसंबर, 2021 को दूसरे दिन भी अपनी हड़ताल जारी रखी। शहरों, नगरों, क़स्बों, गांवों के तमाम बैंक शाखाओं में दूसरे दिन भी तालाबंदी रही।

वहीं आज इलाहाबाद में बैंक कर्मचारियों की दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में ऐक्टू व संयुक्त ट्रेंड यूनियंस ने जबरदस्त भगीदारी किया।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने दावा किया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के अलावा, पुरानी पीढ़ी के निजी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी जैसे फेडरल बैंक, कर्नाटक बैंक, करूर वैश्य बैंक, सीएसबी बैंक, साउथ इंडियन बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, रत्नाकर बैंक, जम्मू-कश्मीर बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक भी हड़ताल पर रहे।

सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सोनाली बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका और अन्य जैसे विदेशी बैंकों के कर्मचारी भी हालांकि बहुत कम संख्या में हड़ताल पर हैं।

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों का एक वर्ग भी हड़ताल पर है। हड़ताल में शामिल होने के कारण क़रीब एक लाख बैंक शाखाएं बंद हैं और वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में कुछ अन्य को खुला रखा गया है।

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल से पूरे देश में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई हैं। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने दावा किया कि पहले दिन के हड़ताल से 20.4 लाख चेक का क्लियरेंस अटक गया। इससे 18,600 करोड़ रुपये के बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुए। सरकारी बैंककर्मियों की इस हड़ताल के चलते गुरुवार को जमा, निकासी, चेक क्लियरेंस, लोन अप्रूवल जैसे काम प्रभावित हुए।

गौरतलब है कि बैंककर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (AIBOC), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (NOBW) सहित नौ बैंक संघों के मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU) ने बुलायी है। कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों की निजीकरण करने के सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ हड़ताल कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।

पहले दिन के हड़ताल की अपार सफलता के बाद AIBOC के जनरल सेक्रेट्री सौम्य दत्ता ने आज सुबह अपील करते हुए कहा कि – “बैंक हड़ताल के पहले दिन की प्रचंड सफलता के बाद दूसरे दिन गति तेज करें। आत्मसंतुष्टि के लिए कोई जगह नहीं है। राष्ट्रीय हित के लिए बैंक के निजीकरण के एजेंडे को खत्म करने के लिए सरकार को एक कड़ा संदेश भेजने के लिए कुल बंद सुनिश्चित करें”।

वहीं AIBEA के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने पीटीआई को दिये बयान में कहा कि – “हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ है, जो राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, वेंकटचलम ने कहा कि हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निजीकरण और संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश करने के केंद्र के कदम के ख़िलाफ़ है।

उन्होंने आगे कहा कि “विधेयक के पारित होने से सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उनकी इक्विटी पूंजी को 51 प्रतिशत से कम करने में सक्षम होगी और निजी हाथों को उन पर अधिकार करने की अनुमति देगी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पहले कहा था कि वह अपने दो बैंकों का निजीकरण करेगा।

बैंक उपभोक्ता भी कर रहे हैं निजीकरण का विरोध

सिर्फ़ सरकारी बैंक कर्मी ही नहीं सरकारी बैंकों के उपभोक्ता भी बैंकों के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं।

इलाहाबाद के अशोक यादव का कहना है कि नोटबंदी के बाद से देश के नागरिक भारतीय करेंसी पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। अब सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण के फैसले से देश के नागरिकों का विश्वास देश की बैंकिंग व्यवस्था से खत्म हो जायेगा।

पहले दिन के हड़ताल में प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था

वेंकटचलम ने बताया कि , “भारत में तीन चेक क्लियरिंग सेंटर चेन्नई, दिल्ली और मुंबई में हैं। दो दिनों में (गुरुवार और शुक्रवार) लगभग 37,000 करोड़ रुपये के लगभग 38 लाख चेक रुके हुए थे।

वेंकटचलम ने ग्रिड के हिसाब से जानकारी देते हुए कहा कि चेन्नई में क़रीब 10,600 करोड़ रुपये के करीब 10 लाख चेक, मुंबई में क़रीब 15,400 करोड़ रुपये के करीब 18 लाख चेक और दिल्ली में 11,000 करोड़ रुपये के करीब 11 लाख चेक का भुगतान नहीं किया गया।

उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में विभिन्न बैंकों के करीब 60,000 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी पहले दिन हड़ताल में शामिल हुए। इससे बैंकों के ग्राहकों को काफी परेशानी हुई। झारखंड में: 40,000 से ज्यादा अधिकारियों-कर्मचारियों ने हड़ताल किया। राज्य में विभिन्न बैंकों की 3,200 शाखाएं बंद रहीं। 3,300 में अधिकांश एटीएम बंद रहे। 3,000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित हुआ। पश्चिम बंगाल में सरकारी बैंकों की 8,590 शाखाएं बंद रहीं। अधिकांश एटीएम में नकदी नहीं होने से लोगों को काफी असुविधा हुई। तमिलनाडु में विभिन्न सरकारी बैंकों के हजारों अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। बैंक शाखाओं के साथ अधिकांश एटीएम भी बंद रहे। 

क्या है विरोध की वजह

फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी विनिवेश योजना के तहत दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के निजीकरण की घोषणा की थी।

निजीकरण की सुविधा के लिए, सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के वर्तमान सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है।

सरकार ने 2019 में ऋणदाता में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर दिया है और पिछले चार वर्षों में 14 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय कर दिया है।

राजनीतिक दलों ने बैंककर्मियों के हड़ताल को समर्थन दिया

बैंक यूनियन के नेताओं का दावा है कि उनके हड़ताल को कांग्रेस, द्रमुक, भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना समेत कई राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है।

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने बैंककर्मियों के हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि – “एनपीए वसूली में केवल बैंकों की विफलता को आधार मानकर, बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है। मेरी वित्त मंत्री जी से मार्मिक अपील है कि इससे प्रभावित सभी वर्गों से समग्र वार्ता करने के पश्चात ही बैंकिंग कानून (संसोधन) अधिनियम 2021 पर विचार किया जाए।”

कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवाणी ने बैंक कर्मियों की हड़ताल का समर्थन देते हुए कहा कि -” बैंकों के निजीकरण के खिलाफ हो रहे देशव्यापी हड़ताल को मेरा पूर्ण रूप से समर्थन है। मैं देश नहीं बिकने दूँगा का नारा देकर प्रधानमंत्री देश की सारी संपत्ति अपने मित्रों के नाम कर रहे हैं। भारत के सभी देशवासियों से नम्र विनती है- राष्ट्रीय हित में निजीकरण का विरोध करें और अपना देश बचाए। “

भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बैंककर्मियों के हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि बैंकों के निजीकरण के ख़िलाफ़ दो दिवसीय बैंकर्स की देशव्यापी हड़ताल का मैं पूर्ण समर्थन करता हूं। साथ में सभी देशवासियों को बैंकों को निजीकरण से बचाने का अनुरोध और इस लड़ाई में शामिल होने की अपील करता हूं ।

सदन में उठा मुद्दा

कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने बैंककर्मियों के हड़ताल और सरकारी बैंकों के निजीकरण के मुद्दे को सदन में उठाया।

डीएमके सांसद डी रविकुमार द्वारा सरकारी बैंकों के निजीकरण के मुद्दे पर कल लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव लाया गया।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बैंकिंग क्षेत्र में निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को कमजोर करने की सरकार की कोशिशों की जांच के लिए बुधवार को लोकसभा में स्थगन याचिका पेश की। तिवारी ने मंगलवार को भी इसी मुद्दे पर संसद में स्थगन प्रस्ताव पेश किया था।

लोकसभा के महासचिव को लिखे पत्र में मनीष तिवारी ने लिखा था, मैं इसके द्वारा तत्काल महत्व के एक विशिष्ट मामले पर चर्चा करने के लिए सदन के कामकाज को स्थगित करने के लिए प्रस्ताव पेश करने के लिए छुट्टी लेने की अपनी मंशा का नोटिस देता हूं, यानी बैंकिंग क्षेत्र के निजीकरण के सरकार के प्रयासों के विरोध में कम से आठ बैंकिंग यूनियनों ने 16 और 17 दिसंबर को हड़ताल का आह्वान किया है । बैंकिंग क़ानून (संशोधन) विधेयक, 2021 सबसे हाल का प्रयास है।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अपने पत्र में आगे लिखा था कि – “सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ के रूप में काम करते हैं, सभी के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हैं और गांव और कुटीर उद्योग, कृषि आदि जैसे ऋण-भूखे क्षेत्रों को ऋण प्रदान करते हैं । हमारे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एनपीए पैदा करने वाले बहुत से महत्वपूर्ण कारपोरेट डिफॉल्टर रहे हैं और डिफॉल्टरों के खिलाफ विनियमों को लागू करने के बजाय सरकार ने उन्हें आईबीसी के माध्यम से ऋण चुकौती पर भारी बवाल कटाने की अनुमति दी है, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, पीएसबी को कमजोर करने के सरकार के अथक प्रयासों का यह मुद्दा चिंता का स्रोत है और इसके लिए सदन में तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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