बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, कहा- बेइंतहा अत्याचार और खुली गुंडागर्दी का दूसरा नाम है यूपी पुलिस

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बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के एटा में एक वकील के साथ मारपीट करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काल कदम उठाने की मांग की है। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष जानकीशरण पांडेय का कहना है कि एटा में वकील के साथ हुई बर्बरता अक्षम्य है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हम एक सप्ताह का समय देंगे। अगर मंशा के अनुरूप कार्रवाई न हुई तो वकील प्रदेश भर में आंदोलन तेज करने को बाध्य होंगे।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने ‘यूपी पुलिस की खुली गुंडागर्दी’, ‘अत्याचार की कोई सीमा नहीं’: शीर्षक से भारत के चीफ जस्टिस एएस बोबडे, इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर को पत्र लिख कर यूपी के एटा में एक घटना में वकील की निर्मम पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल कड़ी कारवाई करने का अनुरोध किया है।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने टिप्पणी की है कि यह उत्तर प्रदेश पुलिस की गुंडागर्दी के सिवा कुछ नहीं है और इससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अत्याचार की कोई सीमा नहीं है। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए बीसीआई ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश सरकार दोषी पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित, स्थानांतरित करने और उन्हें सेवा से हटाने के लिए निर्देश जारी करे।

पत्र में कहा गया है कि यूपी पुलिस ने एक घर का दरवाजा तोड़ दिया और एक अधिवक्ता (जो एडवोकेट की पोशाक में थे) को घसीटते हुए ले गए और उन्हें बेरहमी से पीटा गया। इस घटना का एक वीडियो वायरल हो गया और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल द्वारा मारपीट पर उठाई गई चिंताओं को राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी नहीं माना। यह आरोप लगाते हुए कि पुलिसकर्मी कुछ ‘उल्टे मकसद’ के साथ काम कर रहे थे, बीसीआई ने चेतावनी दी कि अगर न्यायपालिका और सरकार द्वारा क्रूरता की ऐसी घटनाओं को अनदेखा किया जाता है तो बार के पास सड़कों पर आने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के आह्वान पर प्रदेश भर के वकील शनिवार को न्यायिक कार्य से विरत रहे और हर जिला मुख्यालय पर दिन भर प्रदर्शन किया। साथ ही घटना के विरोध में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी भेजा। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष जानकीशरण पांडेय का कहना है कि एटा में वकील के साथ हुई बर्बरता अक्षम्य है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हम एक सप्ताह का समय देंगे। अगर मंशा के अनुरूप कार्रवाई न हुई तो वकील प्रदेश भर में आंदोलन तेज करने को बाध्य होंगे। एटा जिला के प्रकरण में आरोप है कि बीते दिनों अधिवक्ता राजेंद्र शर्मा के घर का दरवाजा तोड़ कर पुलिस ने उन्हें पीटा और परिवार सहित हवालात में बंद कर दिया।

सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस की बर्बरता का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में पुलिसवाले किसी के घर में घुसते दिखाई दे रहे हैं। वह घर के भीतर से एक शख्स को बाहर निकाल कर उसे बुरी तरह से पीट रहे हैं। पिटने के दौरान वह शख्स जमीन पर गिर जाता है, लेकिन फिर भी पुलिसवाले उन्हें लातों से मार रहे हैं।

सोमवार यानी 21 दिसंबर को एटा शहर के कटरा मुहल्ला निवासी वकील राजेंद्र शर्मा और लोकमनदास तिराहा निवासी रामू भटेले के बीच विवाद हो गया। यह विवाद 2014 से एक मकान पर कब्जे को लेकर चल रहा था। इस मामले में पथराव और फायरिंग भी हुई। इसमें मुहल्ला सुंदरलाल स्ट्रीट निवासी अरबाज गोली लगने से घायल हुआ था। विवादित मकान में रहने वाली रेखा शर्मा ने वकील राजेंद्र शर्मा और उनके परिवार समेत सात लोगों के खिलाफ मारपीट कर घर से निकाल देने समेत तीन एफआईआर दर्ज कराईं। दिन में अधिवक्ता समेत सभी सात आरोपितों को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। मामला कोर्ट में लंबित है। ये वीडियो वकील राजेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी के वक्त का बताया जा रहा है। इस दौरान पुलिस वायरल वीडियो में वकील को बेरहमी से पीटती और जमीन पर घसीटती नजर आ रही है।

इस वीडियो के वायरल होने के बाद से ही स्थानीय वकीलों में काफी गुस्सा है। एटा पुलिस के इस तरह के अभद्र व्यवहार के विरोध में मैनपुरी बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने गुरुवार को न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया। उन्होंने डीएम के जरिए से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है। मांग की गई कि एटा की घटना की जांच कराई जाए और जो भी अधिकारी, पुलिसकर्मी इसमें दोषी हों, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। वकीलों पर दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने की मांग भी की गई है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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