Thursday, April 25, 2024

पुलिस और अर्द्ध सैनिक बलों का कोल्हान आदिवासियों के खिलाफ बर्बर युद्ध अभियान

रांची। झारखंड का कोल्हान वन क्षेत्र में इन दिनों युद्ध सा माहौल बना हुआ है। खासकर 1 दिसम्बर 2022 से जब गोइलकेरा थानान्तर्गत तिलयबेड़ा और लोवाबेड़ा गांव के पास लोवाबेड़ा पहाड़ में माओवादियों और कोबरा पुलिस के बीच मुठेभेड़ हुई। तब से पुलिस दिन-दिनभर गोलाबारी करती है। दिसंबर की सुबह 8.15 बजे मुठभेड़ होने के बाद से शाम 5 बजे तक दिनभर मोर्टार के सैकड़ों गोले बरसाये गये। फिर दूसरे रोज भी सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक गोले बरसाये गये।

इसके बाद 10 दिसम्बर को इंजेदबेड़ा में पुलिस कैम्प स्थापित करने के दौरान भी 11-12 दिसम्बर, 2022 को तुम्बाहाका, सरजोमबुरू, और पाटयतारोप की दिशा में लक्षित कर दिन-दिनभर गोले बरसाये गये। उसके बाद फिर 17 दिसम्बर, 2022 को भी सुबह 8-9 बजे से दोपहर 12 बजे तक गोले बरसाये गए। फिर 11 जनवरी, 2023 को पाटयतारोप और तुम्बाहाका के बीच में दोपहर पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ होने के बाद से लगातार दो दिनों तक पुलिस दिन-रात गोलाबारी करती रही।

फिलहाल पुलिस पाठातारोप गांव और गांव के बगल के पहाड़ पर कैम्प कर रखी है। अब वहीं से तुम्बाहाका की दिशा में दिन में कभी भी गोली दागती है और रात में तो आधा घंटा, एक घंटा के अन्तराल में सुबह तक गोली दागते रहती है। माहौल ऐसा है कि मानो भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर युद्ध चल रहा है।

जल-जंगल-जमीन अधिकार रक्षा मंच, कोल्हान (पश्चिमी सिंहभूम) और गांव-ग्रामसभा मण्डल ने   राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, नेशनल हयूमन राइट कमिशन दिल्ली, माननीय मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन, झारखण्ड सरकार, माननीय राज्यपाल रमेश बैस,  झारखंड सरकार, राज्य मानवाधिकार आयोग रांची, झारखण्ड जनाधिकार महासभा, टीआरटीसी, जोहार संस्था और आदिवासी हो महासभा के अध्यक्ष व सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि पुलिस द्वारा दिन-रात किये जा रहे गोलाबारी का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जंगल में वास करने वाले हम आदिवासी भी शिकार हो रहे हैं।

कोल्हान जंगल के अन्दर 100 से अधिक राजस्व और वन ग्राम हैं। जिस तरफ के जंगल में गोलाबारी होती है उधर के गांव और घरों के हम आदिवासी लोगों को दिन-रात घर में दुबके हुए रहना पड़ता है। गांव और घर के अगल-बगल में गोला गिरते रहता है। कान का पर्दा फाड़ने वाली गोला की आवाज से कान सुन्न हो जाता है, शरीर सिहर उठता है, ऐसा लगता है कि गोला अपने ही घर के छत पर गिर गया है।

जिस रोज गोला बरसता है उस रोज गांव के लोग कुछ भी काम नहीं कर पाते, चुपचाप कान में ऊंगली डालकर बैठे रहते हैं और कब गोला गिरना बन्द होगा, उसका इंतजार में रहते हैं। इसलिए कि गोला गिरना बन्द होने से थोड़ी राहत मिलेगी और चैन की सांस ले सकेंगे। लोग गांव घर से बाहर निकल नहीं पाते। गोलाबारी के रोज खेत-खलिहानों में काम नहीं कर पाते और लकड़ी पत्ता और दातून तोड़ने जंगल नहीं जा पाते हैं। गरीब आदिवासी जो जंगल के लकड़ी पत्ता व दातून बेचकर ही अपना पेट पालते हैं उन पर तो मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। इस तरह लड़ाई व युद्ध केवल पुलिस और माओवादियों के बीच ही नहीं हो रही है, बल्कि जनता भी इसे झेल रही है।

पुलिस द्वारा कैम्प डालकर कैम्प से दिन-रात गोलाबारी के बारे में पहले से ग्रामीणों को न तो सूचना दी जाती है न चेतावनी। लगता है कि सरकार और पुलिस-प्रशासन ने कोल्हान की जनता के ऊपर युद्ध थोप दिया है। तभी तो जनता की जानमाल का परवाह किये बिना, पूर्व सूचना व चेतावनी दिये बिना पुलिस द्वारा दिन-रात गोलाबारी की जा रही है।

इतना ही नहीं, पुलिस के द्वारा किये जाने वाली छापामारी व तलाशी अभियान के दौरान पुलिस व अर्द्ध सैनिक बलों द्वारा निर्दोष आदिवासी जनता की बेरहमी से पिटाई की जाती है, मां-बहनों व बहु-बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ किये जाते हैं।

पुलिस आदिवासियों के खस्सी पाठा और मुर्गा-मुर्गी को मारकर खा जाते हैं। साथ ही साथ घर के अनाज धान चवाल, दाल आदि को घर से बाहर निकाल कर जला देते हैं। पपीता और नींबू के पेड़-पौधे को काट कर तहस-नहस कर देते हैं।  

पुलिस न केवल माओवादियों को अपना निशाना बना रही है, बल्कि कोल्हान के निर्दोष आदिवासियों को भी दुश्मन समझकर हमले का निशाना बना रही है। विगत नवम्बर 2022 से पुलिस द्वारा चलाये गये अभियान के दौरान जनता के ऊपर ढाहे गये जुल्म की दास्तां ही इसका सबूत है।

विगत नवम्बर 2022 से 20 जनवरी, 2023 तक पुलिस द्वारा चलाये गये छापामारी अभियान और उस दौरान घटी घटनाओं का संक्षिप्त विवरण पेश किया जा रहा है। पूरे कोल्हान वन प्रमण्डल के जंगल के चारों ओर तथा अन्दरूनी क्षेत्र में भी पुलिस व केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती की गई है। पुलिस व अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती से यह समझा जा सकता है कि युद्ध के एक सुनियोजित योजना के तहत ही यह सब कुछ किया गया है।

10 अक्टूबर, 2022 से 11 जनवारी, 2023 के अन्दर यानी तीन महीने के अन्दर ही पांच केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों के कैम्प स्थापित किये गये हैं। जिसमें 10 अक्टूबर, 2022 को ग्राम रेंगड़ाहातु, पंचायत रेंगड़ाहातु, थाना टोंटो, जिला पश्चिमी सिंहभूम में झारखण्ड पुलिस व कोबरा का कैम्प स्थापित किया गया। फिर 10 नवम्बर, 2023 को ग्राम सायतवा, पंचायत कदमडीहा, थाना गोइलकेरा, जिला पश्चिमी सिंहभूम में सीआरपीएफ और झारखण्ड पुलिस का कैम्प स्थापित किया गया।

10 दिसम्बर, 2022 को ग्राम इंजेदबेड़ा, पंचायत पण्डाबीर, थाना चाईबासा सदर, जिला पश्चिमी सिंहभूम में पुलिस व सीआरपीएफ कैम्प स्थापित किया गया। उसी रोज ग्राम जोजोहातु में जिसका पंचायत के दौरान चलाया गया था। 11-12 दिसम्बर, 2022 को चलाया गया यह तीसरा अभियान राजस्व ग्राम हजेदबेड़ा, वन ग्राम गुईलेड़ा, राजस्व ग्राम पयतारोब, तुम्बाहाका, सरजोमबुरू, वन ग्राम चिरियाबेड़ा के बीचों-बीच में स्थित दुगलई पहाड़ों को केन्द्रित कर इंजेदवेड़ा और गुईबेड़ा गांव से दो दिनों तक सुबह 8.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक रूक-रूक कर लगातार मोर्टार और रॉकेट लांचरों से लगभग 200 गोले बरसाये गये।

इसी सिलसिले में 17 दिसम्बर, 2022 को सुबह 8.00 बजे से 12.00 बजे तक रूक-रूक कर ग्राम हंजेदबेड़ा कैम्प और वन ग्राम गुईबेड़ा से दुंगलाई पहाड़ों व जंगलों को केन्द्रित कर मोर्टार व रॉकेट लांचरों से लगभग 50 से अधिक गोले हम ग्रामीणों को बिना पूर्व सूचना दिये बरसाये गये। जबकि इस पहाड़ के चारों ओर वन व राजस्व गांव बसा हुआ है। इन सभी गांवों के चरवाहे मवेशियों को चराने के लिए पहाड़ पर चढ़ाते हैं। ऐसे में पूर्व सूचना दिये बिना गोलाबारी करने से हम ग्रामीणों के जान-मालों का भारी नुकसान होने की सम्भावना है।

चौथा अभियान अभी भी जारी है। दिन-रात गोलाबारी हो रही है। यह युद्ध दिनांक 11 जनवरी से शुरू हुआ है और अब तक दिन-रात रूक-रूक कर गोलीबारी हो रही है। यह लड़ाई 11 जनवरी, 2023 करीब दोपहर 1 बजे आसपास में ग्राम पयतारोव और तुम्बाहाका (पंचायत रेंगड़ाहातु, टोंटो थाना) के बीच में माओवादियों के साथ घमासान मुठभेड़ से शुरू हुई है।

उसी रोज से आज तक तुम्बाहाका, सरजोमबुरू और पटातारोव गांव को लक्षित कर गांव तथा जंगलों-पहाड़ों में रात-दिन अर्द्ध सैनिक व राज्य पुलिस मोर्टार और रोकेट लांचरों से रोज सैकड़ों गोले और अत्याधुनिक हथियारों से हजारों गोलियां बरसा रही हैं।

यह गोले और गोलियां खासकर गोले न केवल जंगलों, पहाड़ों में बरसाये जा रहे हैं बल्कि उक्त तीनों खासकर तुम्बाहाका और पटातारोव गांव के बीचों-बीच खेतों, खलिहानों, बागानों, मचानों (पुआल रखने वाली जगह) में, आंगनों में दर्जनों गोले गिराये जा रहे हैं। जिसमें दो मासूम बच्चे, दर्जनों महिलाएं व पुरुष बाल-बाल बचे हैं। तुम्बाहाका गांव का एक बच्चा गोले के छिंटे से मामूली रूप से घायल भी हुआ है। दूसरा एक गोला पाटयतारोव गांव के मचान पर गिरने के कारण खलिहान में खेल रहे एक मासूम बच्चा जान गंवाने से बच गया, क्योंकि मचान में पुआल के ऊपर गिरने के कारण गोला नहीं फटा।

अब तो 29-30 जनवरी, 2023 से 81 एम.एम. का गोला तुम्बाहाका, सरजोमबुरू और लोवाबेड़ा गांव को लक्षित कर शाम 7 बजे से 10-11 बजे रात तक बरसाये जा रहे हैं। इन गांवों के इर्द-गिर्द व घर के अगल-बगल में गिराए जा रहे हैं। गांव के लोग डर से रात भर नहीं सो पा रहे हैं। खेत-खलिहानों में काम नहीं कर पा रहे हैं। जंगल में मवेशी नहीं चरा पा रहे हैं, लकड़ी, पत्ता-दातून के लिए जंगल नहीं जा पा रहे हैं।

आदिवासी संगठनों का कहना है कि सरकार और पुलिस की मंशा साफ है। सरकार खदान व फैक्ट्री खोलने के लिए कोल्हान को पुलिस छावनी में बदल रही है। आदिवासियों के ऊपर गांवों, जंगलों में बम बरसा रही है और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुप हैं।

कोल्हान रक्षा संघ के एक यूनिट, जल-जंगल-जमीन अधिकार रक्षा मंच के नेतृत्व में पश्चिम सिंहभूम जिला के टोंटो थाना अन्तर्गत चांकी बुण्डू पंचायत की ग्रामसभा, मुण्डा डकुवा और ग्रामीण लगभग 1000 की संख्या में उपस्थित होकर 13 जनवरी, 2023 को रूताघुट् स्कूल में जनसभा का आयोजन किया गया था। उस ग्रामसभा के आयोजन कर्ताओं में एक सदस्य बीरबल तुबीद ग्राम लुईया हैं। जो पारा शिक्षक पुखरीबुरू स्कूल में पढ़ाते हैं। इनको माओवादी का समर्थक बताकर सभा, मीटिंग संचालन करने के आरोप में झींकपानी बाजार से 14 जनवरी, 2023 को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उन्हें अभी तक पूछ- ताछ करने के नाम पर थाने में रखी है और शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी जा रही हैं। जेल में जिन्दगी भर सड़ाने की धमकी दी जा रही है। उनके घर और गांव के लोगों को उनसे थाने में मिलने नहीं दिया जा रहा है।

दूसरा, मुन्ना हेम्ब्रम ग्राम लुईया किराना दुकानदार हैं। वो भी बीरबल तुबीद के साथ लीज में बस पार्टनर में चलाते हैं। उन्हें भी माओवादी का समर्थक बताकर ग्रामसभा संचालन करने के आरोप में पुलिस  पकड़ने के लिए ढूंढ रही है। उन्हें मानसिक रूप से  परेशान कियाजा रहा है और  जेल में ठूसने की धमकी दे रही है।

इसके कई दिन पहले ग्राम रूताघुटू के विजय सिंह बाहन्दा को भी माओवादियों का समर्थक कहकर, उन्हें सामान पहुंचाता है ऐसा फर्जी आरोप लगाकर रेंगड़ाहातु और टोन्टो पुलिस ने पकड़ा और 19 दिन तक टोन्टो थाना हाजत में रखकर शारीरिक व मानसिक ट्रॉचर किया। उनकी पत्नी और उनके गांव के मुखिया जब थाने में गये तब ही उनको छोड़ा गया। उसमें भी पुलिस कुछ शर्त लगाया। उनसे कहा गया कि माओवादी लोग कहां-कहां रहता हैं उसका ठीकाना बताओ। उन्हें पकड़ाओ तभी छोड़ेंगे, नहीं तो माओवादी का केस ठोक देंगे। उसके तब जिन्दगी भर जेल में सड़ते रहोगे। उनको अभी भी पुलिस की धमकियां मिल रही है। जबकि वह ब्लॉक से जुड़ा हुआ है किसान मित्र है और उसकी पत्नी आंगनबाड़ी सेविका है। वह आर.सी.एम कम्पनी  और एक एन.जी.ओ संस्था में भी काम करता है। रोज वह ब्लॉक आता-जाता उनका गांव जंगल क्षेत्र में है।

इस तरह कोल्हान वन प्रमण्डल क्षेत्रों में स्थिति ऐसी हो गयी है कि एक गांव से दूसरे गांव जाने में लोगों को डर लगता है। गांव में पुलिस आधार कार्ड, पहचान पत्र दिखाने को कहती है। पुलिस कहां से आयी है। अपने आधार कार्ड, पहचान पत्र नहीं दिखाती है।   

वहीं पुलिस सूत्रों की मानें तो, पश्चिमी सिंहभूम के टोंटो स्थित तुंबाहाका और कोर इलाकों में एक करोड़ का इनामी नक्सली मिसिर बेसरा के मौजूद रहने की जानकारी पुलिस को है। इसको लेकर पुलिस इन क्षेत्रों में लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो सुरक्षा बल लगातार जंगल की ओर बढ़ रहे हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक एक करोड़ का इनामी नक्सली मिसिर बेसरा करीब 1000 नक्सलियों के साथ इन जंगलों में छिपा है।

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