बोलिवियाः लोकतंत्र की बहाली के साथ ही लेफ्ट को मिली बड़ी कामयाबी

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राष्ट्रपति चुनाव में बोलिविया में लेफ्ट पार्टी की व्यापक जीत को ‘लोकतंत्र की बहाली’ बताकर जनता खुशियां मना रही है। 136 सदस्यीय विधानसभा की सभी सीटों पर रविवार को चुनाव संपन्न हुआ। मूवमेंट टूवर्ड सोशलिज्म पार्टी उम्मीदवार लुइस एर्स (Luis  Arce) की जीत के बाद बोलिविया संयुक्त राज्य अमेरिका समर्थित कंजरवेटिव नीतियों से निकलती दिख रही है, जोकि पिछले साल लेफ्ट राष्ट्रपति इवो मोरेल्स (Evo Morales) के इस्तीफे के बाद सत्तासीन हुई थी।

सोमवार को शुरू हुई मतगणना में दिन खत्म होने तक 37 प्रतिशत मतों की गणना हो सकी है, जिसमें लुइस एर्स को 43 प्रतिशत और मोसा को 36 प्रतिशत मत मिले हैं। हालांकि आधिकारिक परिणाम आने में अभी कुछ दिन का समय लगेगा। पहले राउंड का चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी को 50 प्रतिशत से अधिक या 40 प्रतिशत की लीड के साथ कम से कम 20 प्रतिशत प्वाइंट दूसरे नंबर के प्रत्याशी से अधिक होने चाहिए, जबकि लुइस एर्स ने पूर्व राष्ट्रपति और सेंट्रिस्ट उम्मीदवार कार्लोस मेसा की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक वोट और 20 परसेंट प्वाइंट का लाभ मिला है। कार्लोस मेसा ने अपनी हार स्वीकार कर ली है।

जीत के बाद लुइस एर्स ने कहा, “मुझे लगता है बोलिविया के लोग उसी रास्ते पर पुनः चलना चाहते हैं, हम जिस रास्ते पर चल रहे थे। जीत के बाद राष्ट्रपति उम्मीदवार लुइस एर्स जिन समर्थकों से घिरे थे, उनमें से अधिकांश पारंपरिक एंडियन पोशाक में थे, जोकि देश की आदिवासी परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक है।”

बता दें कि लुइस एर्स को पूर्व राष्ट्रपति इवो मोरेल्स का उत्तराधिकारी माना जाता है। इवो मोरेल्स आदिवासी समुदाय से आते थे और उनके राष्ट्रपति काल में लुइस एर्स वित्तमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने रविवार को संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव में सत्तासीन जेनाइन एनेज (Jeanine Anez) को सत्ता से बाहर कर दिया है।

एनेज सरकार अपने एक साल के कार्यकाल में मोरेल्स सरकार की नीतियों को पलटने और वाम के प्रभाव से देश को दूर ले जाने की कोशिश कर रही थी। एनेज सरकार द्वारा नवगठित चुनाव संस्था ने रविवार को संपन्न हुए चुनाव में इवो मोरेल्स को कांग्रेस की एक सीट पर भागीदारी करने से भी रोक लगाते हुए कहा कि यदि वो घर वापसी करते हैं तो उन्हें आतंकवाद के अभियोग का सामना करना होगा।

इसी महीने 61 साल के हुए इवो मोरेल्स ने अर्जेंटीना के ब्यूनोस से एक न्यूज कांन्फ्रेंस करके कहा है कि वो जल्द ही अपने वतन लौटेंगे, हालांकि उन्होंने कोई समय नहीं बताया है। साथ ही उन्होंने मैत्रीपूर्ण स्वर में पुनर्निमाण के लिए सामंजस्य की एक महान बैठक का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि हम प्रतिशोधी लोग नहीं हैं।

पत्रकारों द्वारा ये पूछने पर कि नवनिर्वाचित सरकार में क्या आपकी कोई भूमिका होगी? उन्होंने प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। बता दें को इवो मोरेल्स बोलिविया के पहले आदिवासी राष्ट्रपति थे और वो लगातार 15 साल (2006-2019) बोलिविया के राष्ट्रपति रहे हैं। मोरेल्स बोलिविया में बहुत लोकप्रिय रहे हैं, लेकिन सत्ता न छोड़ने के उनके फैसले और भ्रष्टाचार के कई आरोपों के चलते उनकी लोकप्रियता गिरती गई।

बोलिविया के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति राज्य और सरकार का मुखिया होता है, जोकि जनता के पॉपुलर वोट (अप्रत्यक्ष चुनाव) के आधार पर पांच साल के लिए चुना जाता है। किसी भी राष्ट्रपति के लिए बोलिविया के संविधान में अधिकतम दो टर्म निर्धारित हैं, लेकिन पद की समयावधि (टर्म) सीमा निर्धारित करने वाले सार्वजनिक मतों को दरकिनार कर इवो मोरेल्स ने अक्टूबर 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में भागीदारी करते हुए एकतरफा जीत का दावा किया, लेकिन परिणामों की रिपोर्टिंग में एक लंबे विराम के चलते लोगों में धोखाधड़ी का संदेह पैदा हुआ और देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसमें 36 लोगों की मौत हो गई। पुलिस और सैन्य अधिकारियों के सुझाव पर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देते हुए कई प्रमुख सहयोगियों के साथ देश छोड़ दिया।

ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने साल 2019 में इवो मोरेल्स के सत्ता से बेदखली को लैटिन अमेरिका में लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक पल बताते हुए खुशियां मनाई थीं, लेकिन अब लुइस एर्स की जीत से लैटिन अमेरिका के आर्थिक समानता की वकालत करने वाले तमाम वाम दलों में ऊर्जा का संचार होगा।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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