Friday, March 29, 2024

सत्यपाल मलिक के रिश्वत आरोप मामले में अनिल अंबानी के रिलायंस और आईएएस अधिकारी पर मामला दर्ज, सीबीआई रेड

सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के  300 करोड़ घूस की  पेशकश के आरोपों पर दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर देश भर में 14 जगहों पर छापेमारी शुरू कर दी है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल को आरएसएस के एक पदाधिकारी और अंबानी से संबंधित फाइलों को साफ करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।

सीबीआई की टीमें जम्मू, श्रीनगर, दिल्ली, मुंबई, नोएडा, केरल के तिरुअनंतपुरम और बिहार के दरभंगा सहित 14 जगहों पर छापेमारी कर रही है। सीबीआई ने ये एक्शन चिनाब घाटी पावर प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में लिया है।

सीबीआई ने कहा कि जहां-जहां छापेमारी की जा रही है, वे परिसर आरोपियों से जुड़े हैं। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना का अनुबंध रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी को देने और 2017-18 में करीब 60 करोड़ रुपये जारी करने में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की है। दूसरी प्राथमिकी 2019 में कुरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (एचईपी) के सिविल कार्य के 2,200 करोड़ रुपये का ठेका एक निजी कंपनी को देने में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ी है।

 सत्यपाल मलिक वर्तमान समय में मेघालय के राज्यपाल हैं, उन्होंने दावा किया था कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहने के दौरान उन्हें परियोजनाओं से संबंधित दो फाइलें पास करने के लिए 300 करोड़ रुपये की घूस की पेशकश की गई थी। इनमें एक फाइल आरएसएस कार्यकर्ता और दूसरी अनिल अंबानी से संबंधित थी।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल योजना और कुरु जलविद्युत परियोजना के काम के लिए अनुबंध देने में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में दो प्राथमिकियां दर्ज की हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इनमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि एजेंसी ने प्राथमिकियां दर्ज करने के बाद जम्मू, श्रीनगर, दिल्ली, मुंबई, नोएडा, केरल में त्रिवेंद्रम और बिहार में दरभंगा में 14 स्थानों पर आरोपियों के परिसर पर तलाशी ली।

सीबीआई ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को प्राथमिकी में आरोपी बनाया है। यह प्राथमिकी जम्मू-कश्मीर के सरकारी कर्मचारियों के लिए लाई गई विवादित स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़ी है जिसकी मंजूरी मलिक ने 31 अगस्त 2018 को राज्य प्रशासन परिषद की बैठक में दी थी।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि जम्मू-कश्मीर सरकार के वित्त विभाग के अज्ञात अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर ट्रिनिटी री इंश्योरेंस ब्रोकर लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य अज्ञात लोकसेवकों और अन्य निजी लोगों के साथ मिलकर साजिश और साठगांठ की व आपराधिक षड्यंत्र और आपराधिक कदाचार से लाभ हासिल किया। इससे राजकोष को वर्ष 2017 और 2018 के दौरान नुकसान पहुंचा और इस तरह से जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ धोखाधड़ी की।’’

इसमें आरोप लगाया गया कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को ठेका देने के दौरान सरकारी नियमों का उल्लंघन किया गया जैसे ऑनलाइन टेंडर नहीं निकाला गया, राज्य और कंपनी में काम करने और पांच हजार करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर होने सहित मूल शर्तों को हटाया गया।

अनियमितता के आरोप सामने आने के बाद इस योजना को रद्द कर दिया गया। यह योजना 30 सितंबर 2018 से लागू की जानी थी।

राजभवन के प्रवक्ता ने 27 अक्टूबर 2018 को बताया था कि राज्यपाल ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी(आरजीआईसी) को राज्य में कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने के लिए दिए गए ठेके को खत्म करने को मंजूरी दे दी है। प्रवक्ता ने कहा कि मामले को भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो को भेजा गया है ताकि यह पता किया जा सके कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सही तरीके से हुई या नहीं।

इस योजना के लिए रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (आरजीआईसी) से शुरुआती तौर पर एक साल का करार किया गया और इसके तहत कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को स्वयं और परिवार के पांच आश्रित सदस्यों को क्रमश: 8,777 और 22,229 रुपये के वार्षिक प्रीमियम देने पर छह लाख रुपये का बीमा कवर मुहैया कराया जाना था।

दूसरी प्राथमिकी में सीबीआई ने किरु जलविद्यृत परियोजना का सिविल कार्य ठेका देने में कथित अनियमितता का आरोप लगाया है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि ई टेंडरिंग संबंधी दिशानिर्देश का अनुपालन नहीं किया गया।

सीबीआई ने चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (प्राइवेट) लिमिटेड (सीवीपीपीपीएल)पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार, पूर्व प्रबंध निदेशक एमएस बाबू, पूर्व निदेशक एमके मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को नामजद किया है।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि चल रही टेंडर की प्रक्रिया को रद्द करते हुए सीवीपीपीपीएल की 47वीं बोर्ड बैठक में ई- टेंडरिंग के जरिये दोबारा टेंडर निकालने का फैसला किया गया लेकिन 48वीं बैठक में लिए गए फैसले के अनुरूप इसे लागू नहीं किया गया और अंतत: ठेका पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दे दिया गया।’

गौरतलब है कि 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे मलिक ने सनसनीखेज दावा किया था कि उन्हें परियोजनाओं से संबंधित दो फाइलें पास करने के लिए 300 करोड़ रुपये की घूस की पेशकश की गयी थी।

मलिक ने कहा था कि कश्मीर जाने के बाद मेरे पास मंजूरी के लिए दो फाइलें आयीं, जिसमें से एक फाइल अंबानी और दूसरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक से संबंद्ध एक व्यक्ति की थी, जो पूर्ववर्ती महबूबा मुफ्ती नीत (पीडीपी-भाजपा गठबंधन) सरकार में मंत्री था और प्रधानमंत्री का बेहद करीबी होने का दावा करता है।

मलिक ने पिछले साल अक्टूबर में राजस्थान के झुंझुनू में एक कार्यक्रम में कहा था कि मुझे दोनों विभागों के सचिवों ने सूचित किया कि इसमें घोटाला है और फिर मैंने दोनों सौदे रद्द कर दिए। सचिवों ने मुझे कहा कि आपको फाइलों को मंजूरी देने के लिए प्रत्येक फाइल पर 150 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन मैंने उन्हें कहा कि मैं पांच कुर्ता-पैजामे के साथ आया हूं और उन्हीं के साथ जाऊंगा।

चिनाब पावर प्रोजेक्ट में घोटाला, देशभर के 7 शहरों में 14 जगहों पर सीबीआई ने  गुरुवार को एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (पी) लिमिटेड के तीन पूर्व अधिकारियों के परिसरों पर देश भर में कई स्थानों पर छापेमारी की। 2019 में जम्मू-कश्मीर में मुंबई की एक कंपनी को एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का कान्ट्रैक्ट देने में भ्रष्टाचार का आरोप है।

ये छापेमारी सीबीआई की टीमों ने गुरुवार सुबह जम्मू कश्मीर के आईएएस अधिकारी समेत अन्य लोगों के आवास पर की है। इसमें सेवारत आईएएस अधिकारी नवीन कुमार चौधरी (जम्मू-कश्मीर के ऐग्रिकल्चरल प्रोडक्शन एंड फार्मर्स वेलफेयर विभाग के प्रधान सचिव) और पूर्व प्रबंध निदेशक एमएस बाबू और चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (पी) लिमिटेड के दो पूर्व वरिष्ठ अधिकारी एमके मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा का नाम शामिल है।

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने  अक्टूबर 21 में कहा था कि जब वे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे तो उन्हें ‘अंबानी और ‘आरएसएस से संबद्ध एक व्यक्ति की दो फाइलों को मंज़ूरी देने के बदले में 300 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी। हालांकि मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था और मैंने सौदों को रद्द कर दिया था।

उस समय मेघालय के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक से जब यह पूछा गया कि वो ‘आरएसएस का नेता’ कौन था, तो उन्होंने नाम बताने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि सबको पता है कि ‘जम्मू कश्मीर में आएसएस का प्रभारी कौन था”।

दरअसल मार्च, 2021 में संघ में फेरबदल के दौरान भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव राम माधव को अचानक आरएसएस में वापस बुलाया गया था। बीजेपी के महासचिव रहते हुए राम माधव जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं। राम माधव संघ से बीजेपी में महासचिव बनकर गए थे। संघ के इस निर्णय पर राजनीतिक कयास लगाये जा रहे थे लेकिन राज्यपाल मालिक के इस खुलासे से कि उन्होंने प्रधानमन्त्री को सारी जानकारी दे दी थी,उनके हस्तक्षेप से संघ ने राम माधव को वापस बुला लिया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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