Friday, March 29, 2024

झारखंड के स्कूलों में पीने के पानी को तरसते बच्चे

झारखंड। झारखंड में पेयजल को लेकर राज्य के सभी वर्ग और समुदाय के लोग कमोबेश सभी जगह परेशान हैं। खासकर गांव की महिला हो या शहरी क्षेत्र की, सभी का ज्यादातर समय लगभग पानी की व्यवस्था में ही निकल जाता है। ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां पढ़ाई छोड़ पानी आपूर्ति में ही अक्सर पानी के लिए (नल हो या चापाकल के सामने) लाईन लगाए रहती हैं। दूसरी तरफ अगर गांव में पानी की व्यवस्था खराब है तो वे गांव से दूर खेतों में बना डांड़ी या नदी में चुंआ बनाकर पानी लाती हैं।

पेयजल की समस्या का सबसे दुखद पहलू यह है कि कई स्कूल में पढ़ाई छोड़कर वहां के छात्रों को भी पीने का पानी दूर से लाना पड़ता है। इसका जीता जागता उदाहरण है गढ़वा जिला का केतार प्रखंड अंतर्गत मुकुंदपुर पंचायत का नव प्राथमिक विद्यालय बक्शीपुर। विद्यालय का चापाकल खराब हो जाने से विद्यार्थियों को पीने के पानी के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। विद्यालय में पेयजल और मध्याह्न भोजन बनाने के लिए 200 मीटर दूर से कुआं का पानी भरकर लाना पड़ता है, जिससे मध्याह्न भोजन बनता है।

वहीं अगर विद्यालय के बच्चों को प्यास लग जाती है तो नन्हें-मुन्हें बच्चे तपती धूप में कुआं के पास जाते हैं तब पानी भरता कोई आदमी इन्हें कुआं से पानी निकालकर पिलाता है। अगर वहां कोई नहीं होता है तो वे प्यासे खड़े किसी के आने का इंतजार करते हैं। कभी-कभी लंबे इन्तजार के बाद भी कोई नहीं आता है तो वे प्यासे ही लौट आते हैं। जब किसी को कुंआ पर आते देखते हैं तो दौड़कर जाते और अपनी प्यास बुझाते हैं।

प्राथमिक विद्यालय

विद्यालय प्रभारी अनिल कुमार गुप्ता बताते हैं कि ‘पिछले माह में ही चापाकल का जल स्तर नीचे चले जाने और खराब होने की लिखित सूचना संबंधित पदाधिकारियों के साथ पंचायत के मुखिया मुंगा साह को दी गई थी। लेकिन महीने गुजर गए बावजूद इस पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके कारण प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले 58 छात्र-छात्राओं के साथ-साथ हम सभी लोगों को भी पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है।’

विप्रस अध्यक्ष शंभू साह ने भी कहा कि विद्यालय में पानी की गम्भीर समस्या है स्थानीय मुखिया मूंगा साह और बीडीओ को लिखित शिकायत की गई है, लेकिन एक माह के बाद भी पेयजल की समस्या दूर नहीं हुई है। मध्याह्न भोजन बनाने के लिए दूर कुंआ से पानी लाकर भोजन बनाया जाता है।

विद्यालय के छात्र सत्यम कुमार, राहुल कुमार, पीयूष कुमार, खुशी कुमारी, किरण कुमारी ने बताया कि विद्यालय में चापाकल खराब होने से पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है। हमलोग तेज धूप में पैदल चलकर कुआं से पानी पीते हैं। वहीं पानी की इस गंभीर समस्या को लेकर ग्रामीणों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति भी आक्रोश देखा गया।

धनबाद जिले के कलियासोल प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय लखियाबाद स्कूल परिसर में एक चापाकल लगा है, लेकिन उससे एक बूंद भी पानी नहीं निकलता है। ऐसे में पानी की इस घोर समस्या से जूझ रहे छात्र-छात्राएं घर से पीने के पानी का बोतल लेकर आते हैं ताकि प्यास बुझाई जा सके।

विद्यालय का खराब चापाकल

जबकि मध्याह्न भोजन बनाने के लिए गांव के निजी कुआं या दूर खुदिया नदी से साइकिल में गैलन बांधकर पानी लाना पड़ता है। वहीं मध्याह्न भोजन खाने के बाद बच्चे प्लेट धोने के लिए स्कूल से करीब 200 मीटर दूर तालाब में जाते हैं।

स्कूल में कुल नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या 341 है। लेकिन पेयजल की समस्या के कारण बहुत से बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं। लगभग वे ही बच्चे स्कूल आते हैं जो बहुत गरीब हैं और जो स्कूल के मध्याह्न भोजन पर ही निर्भर हैं। कम से कम एक समय के खाने की व्यवस्था होने को लेकर उनके घर वाले स्कूल भेजते हैं।

प्रभारी प्रधानाध्यापक बबलू कुमार पाल बताते हैं कि स्कूल परिसर में 2 चापानल लगे हैं, गर्मी के दिनों में स्कूल में पानी की समस्या से विभागीय पदाधिकारी को कई बार अवगत कराया गया है। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। वे बड़े ही निराशाजनक शब्दों में कहते हैं आशा है कि जल्द ही इस मामले में संज्ञान लिया जाएगा।

धनबाद जिले के ही सालुकचपरा उच्च विद्यालय में भी इन दिनों पानी की घोर समस्या है। स्कूल परिसर में 2 चापाकल लगे हैं। बरसात में काम चलाने भर का पानी निकलता है। गर्मी आते ही पानी सूख जाता है। स्कूल में गैलन से पानी खरीदा जाता है।

स्कूल के लिए गैलन में पानी लेकर जाती महिला

हेडमास्टर नूर मोहम्मद अंसारी बताते हैं कि पानी की समस्या को लेकर विभाग को कई बार पत्र लिखा गया है। विधायक एवं बीडीओ को भी पत्र लिखा गया है। बीडीओ ने सालुकचपड़ा मध्यविद्यालय से एक पानी का कनेक्शन उच्च विद्यालय में दिया है, लेकिन मध्य विद्यालय में पानी की ज्यादा जरूरत रहने के कारण उच्च विद्यालय को कभी-कभार ही पानी मिलता है।

वहीं सालुकचपड़ा मध्य विद्यालय में दो चापानल हैं। उसके बाद भी गर्मी में पानी के लिए कठिनाई झेलनी पड़ती है। चापाकल से रुक-रुक कर पानी निकलता है। मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक मुकुल रंजन मुखर्जी ने बताया कि चापाकल के बोरिंग पर मोटर लगाया गया है। गर्मी में पानी की समस्या उत्पन्न होती है। छात्र-छात्राओं को पानी लेने के लिए इंतजार करना पड़ता है। इसलिए स्कूल परिसर में एक डीप बोरिंग की जरूरत है।

राज्य के रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत बसंतपुर पंचायत के बिरहोर टोला स्थित नव प्राथमिक विद्यालय में पिछले 20 वर्षों से पानी की गंभीर समस्या है। वर्तमान में स्कूल में करीब 40 बच्चे हैं। बच्चों को पानी के लिए पास के तालाब या कुएं पर जाना पड़ता है। ऐसे में बच्चों के साथ अप्रिय घटना घटने की आशंका बनी रहती है। बताया जाता है कि स्कूल में एक चापाकल और डीप बोरिंग करायी गयी थी। लेकिन जलस्तर नीचे चले जाने के कारण ये बेकार साबित हो गये।

इस ओर प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठने से बच्चों और शिक्षकों में मायूसी है। इस संबंध में स्कूल की प्रधानाध्यापिका मीना देवी और शिक्षक अनंत कुमार गुप्ता ने बताया कि स्कूल में पानी की घोर समस्या है। मध्याह्न भोजन के लिये दूर-दराज की जगहों से पानी लाना पड़ता है। इसके लेकर रसोइया को काफी दिक्कत होती है। लंबे समय से स्कूल पानी की मार झेल रहा है।

उन्होंने कहा कि स्कूल में पास के तालाब से पाइपलाइन के माध्यम से स्कूल में पानी पहुंच सकता है। लेकिन यह भी नहीं किया जा रहा है, इसके लिये विभागीय अधिकारी को गंभीर होना पड़ेगा, लेकिन कोई गंभीर नहीं है। मुखिया सरिता देवी ने कहा कि स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने समस्या से अवगत करया है। विभागीय अधिकारी से बात कर समस्या को जल्द ही दूर किया जायेगा।

(विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं और झारखंड में रहते हैं।)

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