लखनऊ। भाकपा (माले) ने प्रयागराज में एक छात्र कार्यकर्ता व दिल्ली में एक स्वतंत्र पत्रकार के आवासों पर शुक्रवार को डाले गए एनआईए के छापों की निंदा की है। पार्टी ने इसे आलोचना व असहमति की आवाज को चुप कराने की अलोकतांत्रिक कार्रवाई बताया है।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने एक बयान में कहा कि भाजपा सरकार में सामाजिक कार्यकर्ताओं व जन अधिकारों की बात करने वालों के उत्पीड़न का सिलसिला लंबे समय से जारी है। विपक्षी शक्तियों व शख्सियतों को परेशान करने के लिए भाजपा द्वारा जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कोई नया नहीं है। उसकी नीतियों से असहमत लोकतांत्रिक बुद्धिजीवी और लेखक-पत्रकार सरकार की नजर में ‘अर्बन नक्सल’ हैं। उन्हें फंसाने के लिए वह ‘पेगासस’ तकनीक का इस्तेमाल तक करती है।
माले नेता ने कहा कि इलाहाबाद विवि के मेधावी छात्र रहे देवेंद्र आजाद के यहां एनआईए ने छापेमारी की जो साढ़े चार घंटे चली। इतने से भी संतोष न होने पर छात्र कार्यकर्ता को मानसिक रुप से प्रताड़ित करने के लिए आगामी 15 सितंबर को पूछताछ के लिए लखनऊ बुलाने का नोटिस थमा दिया। यह राजनीतिक विरोधियों को संदेश देने और उन्हें डराने के लिए की जाने वाली कार्रवाइयों का ही हिस्सा है। सरकार जब तमाम मोर्चों पर फेल साबित हो रही है, कानून व्यवस्था संभल नहीं रही है, वंचितों और पीड़ितों को न्याय नहीं दिला पा रही है, तब इनसे ध्यान भटकाने के लिए एनआईए के छापे डलवाती है।
(प्रेस विज्ञप्ति)