जोशीमठ में अब दरारें बढ़ नहीं रही हैं और अब जोशीमठ में हालात सामान्य हो गये हैं जैसी सरकारी घोषणाओं के बीच यहां जमीन धंसने और दरकने का सिलसिला एक बार फिर बढ़ गया है। इसके साथ ही यहां रह रहे लोगों की घबराहट कुछ और बढ़ गई है।
26 फरवरी की सुबह 10 बजे के करीब जोशीमठ मुख्य बाजार के ठीक नीचे फिर से मटमैले पानी का सोता फूट पड़ा। ऐसा 2 जनवरी को भी हुआ था और इसके बाद ही जोशीमठ में तेजी से धंसाव महसूस किया गया था।
2 जनवरी की इस घटना के बाद से ही जोशीमठ मीडिया की सुर्खियों में आ गया था। हालांकि 26 फरवरी की घटना के बारे में बताया जा रहा है कि ऐसा पाइप लाइन टूटने के कारण हुआ था। लोगों का मानना है कि पाइप लाइन टूटने का कारण भी भू-धंसाव हो सकता है, क्योंकि अब तक ऐसा कई जगहों पर हो चुका है।
इससे पहले 2 जनवरी को जोशीमठ की निचले हिस्से में मारवाड़ी स्थित जेपी पावर वेंचर की आवासीय कॉलोनी में अचानक पानी का सोता फूट पड़ा था। 27 जनवरी तक यह पानी लगातार बहता रहा है। हलांकि हल्का पानी यहां अब भी देखा जा रहा है।
शुरुआती दिनों में यहां 550 लीटर पानी प्रति मिनट के हिसाब से निकल रहा था, जो बाद में कम होता गया, 27 फरवरी को यहां 170 लीटर पानी प्रति मिनट के हिसाब से बह रहा था। जो बाद में कम तो हुआ, लेकिन बंद नहीं हुआ है।
26 फरवरी को बदरीनाथ बाईपास पर लोगों ने फिर से मारवाड़ी जैसा ही मटमैला पानी निकलते देखा। जोशीमठ में एक बार फिर से दहशत फैल गई। जो लोग 2 जनवरी के बाद से धंसाव की स्थिति कम हो जाने के कारण कुछ आश्वस्त थे, वे भी ये खबर सुनकर घबरा गये। मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई। हालांकि बाद में बताया गया कि पाइप लाइन टूट जाने के कारण ऐसा हुआ था।
पानी का यह बहाव दोपहर बाद बंद तो हो गया, लेकिन लोगों की आशंकाएं अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। इस बीच शहर और आसपास के क्षेत्रों में भू-धंसाव का सिलसिला लगातार जारी है, यह बात अलग है कि जोशीमठ में न तो अब मीडिया चैनल हैं और न ही अधिकारियों का जमावड़ा है। स्थानीय लोगों के प्रयास से ही छिटपुट खबरें बाहर आ पा रही हैं।
इस बीच सिंहधार के नीचे करीब 20 फुट ऊंची जिस चट्टान को रोकने के लिए लोक निर्माण विभाग ने कुछ लोहे की और कुछ लकड़ी की बल्लियां लगाई थी, वहां स्थिति पहले से ज्यादा चिन्ताजनक हो गई है। बड़ी चट्टान अभी तक अपनी जगह ही है, लेकिन उसके चारों और निचले क्षेत्र में कई फुट चौड़ी दरारें हो गई हैं और कई जगहों पर जमीन दरक गई है।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती के अनुसार जिस तरह से इस चट्टान के निचले क्षेत्र में और उसके आसापास दरारें चौड़ी हो रही हैं, उसे देखते हुए नहीं लगता है कि यह चट्टान ज्यादा देर तक टिकी रह पाएगी।
अतुल सती के अनुसार संभवतः चट्टान जमीन में भीतर काफी गहराई तक है, यही वजह कि अब तक टिकी हुई है, लेकिन इस चट्टान की नीचे वाले हिस्से में जमीन दरक रही है। वे कहते हैं कि इस चट्टान का अपनी जगह से खिसकना जोशीमठ के लिए बड़ी तबाही का कारण बनेगा। इससे एक तरफ जहां नीचे के क्षेत्रों में तीन बस्तियों में तबाही होगी, वहीं से चट्टान के ऊपरी हिस्सों के रिहायशी भवन भी तेजी से दरकने लगेंगे।
जोशीमठ नगर पालिका के पूर्व सभासद और जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सक्रिय सदस्य प्रकाश नेगी मानते हैं कि जोशीमठ अब किसी भी हालत में लोगों के रहने लायक नहीं रह गया है। वे कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों में सुनील वार्ड में कई नई जगहों पर भू-धंसाव और दरारें देखने में आई हैं और इन दरारों की चौड़ाई लगातार बढ़ रही है।
बदरीनाथ बाईपास पर पानी फूटने की घटना के बारे में वे कहते हैं कि अचानक मटमैला पानी निकलने के कारण पूरा जोशीमठ एक बार फिर दहशत में आ गया था। हालांकि बाद में बताया कि गया कि पाइप लाइन फटने के कारण ऐसा हुआ था, लेकिन इसके बार जिस तरह से लोगों में दहशत फैली और बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंच गये, उससे यह साफ हो गया है कि जोशीमठ के लोग किस भय और किस मानसिक स्थिति के बीच जी रहे हैं।
उधर शहर के छावनी बाजार क्षेत्र में एक बार फिर से कई जगहों पर गहरे गड्ढे बन गये हैं। छावनी बाजार जोशीमठ का वह इलाका है, जहां सबसे पहले घरों की दीवारों और जमीन पर दरारें महसूस की गई थी।
इस क्षेत्र में लोगों को अक्टूबर 2021 में सबसे पहले घरों पर दरारें दिखी थी, जो लगातार चौड़ी होती चली गई थी। लोगों से संबंधित अधिकारियों को सूचना दी थी, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई मदद न मिलने के कारण कई परिवार अपने घरों को छोड़कर किराये के मकानों में चले गये थे।
मई 2022 में इस लेखक ने खुद इस क्षेत्र में जाकर घरों की दीवारों में पड़ी दरारें देखी थी। इसी दौरान छावनी बाजार से गुजर रहे बदरीनाथ हाईवे पर कुछ गहरे गड्ढे भी नजर आये थे, जिन्हें बाद में सेना की ओर से भरवा दिया गया था। लेकिन, अब फिर से छावनी बाजार के पास बदरीनाथ हाईवे पर गहरे गड्ढे बन गये हैं।
छावनी बाजार निवासी भवानी लाल के अनुसार पिछले कुछ दिनों में यहां दो बड़े और कुछ छोटे गड्ढे बन गये हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने पाइप डालकर इन गड्ढों की गहराई का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी गहराई लोहे की पाइप से ज्यादा है।
छावनी बाजार में बदरीनाथ मार्ग पर बन रहे ये गड्ढे और मारवाड़ी और जीरो बैंड के पास हो रहा धंसाव आने वाले दिनों में शुरू होने जा रही बदरीनाथ यात्रा को लेकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
राज्य सरकार जोशीमठ में हो रही घटनाओं को दरकिनार करके एक बार फिर यहां के चारों धामों में तीर्थयात्रियों का नया रिकॉर्ड बनाने के प्रयास में जुट गई है।
पिछले साल राज्य के चारों धामों में करीब 48 लाख तीर्थयात्रियों के पहुंचने का दावा किया गया था और तमाम अव्यवस्थाओं के बावजूद राज्य सरकार ने इसे अपनी उपलब्धि बताया था।
इस बार चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू होने जा रही है। चार दिन पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया है और चार दिनों में चार लाख से ज्यादा रजिस्ट्रेशन का दावा किया गया है।
राज्य सरकार दावा कर सकती है कि लोगों में यात्रा के प्रति यह उत्साह उसके प्रयासों के कारण है, लेकिन जोशीमठ में हो रहा धंसाव यात्रा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करता है।
यात्रा शुरू होने के बाद जब हर रोज हजारों की संख्या में भारी और हल्के वाहन जोशीमठ से गुजरेंगे तो इससे यहां स्थिति और गंभीर हो जाएंगी, इसकी आशंका बनी हुई है।
हालांकि राज्य सरकार के प्रतिनिधि इस आशंका को दरकिनार करते हुए यहां तक बयान दे चुके हैं कि जोशीमठ में भू-धंसाव के मामले को बदरीनाथ यात्रा को असफल करने के इरादे से तूल दिया जा रहा है।
(वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)