Friday, March 29, 2024

उत्तराखंड:दलित भोजन माता काम पर लौटीं, सबने एक साथ खाना खाया

उत्तराखंड के चंपावत जिले में भोजन माता सुनीता देवी की नियुक्ति विवाद मामले में स्कूल मैनेजमेंट और शिक्षा अधिकारियों की बैठक में अधिकारियों ने दलित भोजन माता सुनीता देवी को ही आगे नियुक्ति दिए जाने का फैसला सुनाया है। हालांकि शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष नरेंद्र जोशी और कुछ अन्य ने इस पर अब भी अपनी सहमति नहीं दी है।

दूसरी ओर फैसले के बाद सुनीता देवी ने पंचायत सदस्य और स्कूल प्रबंध समिति (एसएमसी) सदस्य समेत 6 लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज़ मुक़दमे को वापस लेने की सहमति दी है। इससे पहले सीईओ आरसी पुरोहित की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति ने डीएम को भोजन माता की नियुक्ति के मामले की जांच रिपोर्ट सौंपी है। जांच में क्या है, यह अभी सार्वजनिक नहीं हुआ। लेकिन भोजन माता नियुक्ति प्रक्रिया में तकनीकी प्रक्रिया की कुछ खामी होने की बात कही जा रही है।

अब स्कूल में सभी वर्गों के छात्रों के एक साथ भोजन करने की तस्वीर सामने आई है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों समेत स्कूल के सभी 66 छात्रों ने दलित भोजन माता के हाथ का बना खाना खाकर मिसाल पेश की है।

31 लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज़ था मामला

उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक सरकारी स्कूल में  सामान्य वर्ग के छात्रों ने दलित भोजन माता के हाथ से बना खाना खाने से इंकार कर दिया था।

इसके बाद दलित वर्ग के छात्रों ने भी सामान्य वर्ग की भोजन माता के हाथों बना खाना खाने से मना कर दिया। पुलिस ने इस मामले में 31 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ किया है जिसमें 6 लोग नामज़द हैं।

विवाद बढ़ने के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में जांच का आदेश दिया था। शुक्रवार को स्कूल की प्रबंधक कमेटी की बैठक हुई जिसमें चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित ने कहा कि सरकार ने सुनीता देवी को फिर से इस पद पर नियुक्त करने का फैसला किया है।

बीते दिनों सुनीता देवी ने भोजन माता विवाद के दौरान अभद्रता और जातीय भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए चौकी में तहरीर दी थी। प्रिंसिपल प्रेम सिंह ने बताया कि छठी से आठवीं कक्षा तक के सभी छात्र-छात्राएं साथ में भोजन कर रहे हैं। इसमें हर जाति के बच्चे शामिल हैं। छात्र संख्या के हिसाब से यहां दो भोजनमाता रखे जाने का प्रावधान है, लेकिन फिलहाल एक ही भोजनमाता है। दूसरी भोजनमाता की नियुक्ति को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हुई थी।

आयोग के अध्यक्ष ने दिए निर्देश

विवाद से सुर्खियों में आने के बाद अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने भी सुनीता देवी को तैनाती देने के निर्देश दिए। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने एफआईआर करने के निर्देश दिए थे।

उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक माध्यमिक विद्यालय में उच्च जाति के छात्रों द्वारा दलित भोजनमाता द्वारा पकाए गए खाने से इनकार करने और उसके बाद उसे बर्खास्त करने के मामले में 30 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया गया है।

चंपावत के पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पिंचा ने कहा कि जिन लोगों पर मुक़दमा किया गया है, उनमें से छह की पहचान महेश चौराकोटी, दीपा जोशी, बबलू गहटोरी, सतीश चंद्र, नागेंद्र जोशी और शंकर दत्त के रूप में हुई है, जबकि 25 अन्य अज्ञात व्यक्ति हैं। उन्होंने बताया कि सुखीढांग इंटर कॉलेज की बर्खास्त भोजनमाता सुनीता देवी की शिकायत के आधार पर उनके ख़िलाफ़ एससी/एसटी एक्ट और आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज़ किया गया है। सभी आरोपी सुखीढांग और आसपास के गांवों के हैं। अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

क्या था मामला

उत्तराखंड सरकार ने सूखीढांग गांव के सरकारी स्कूल में सुनीता देवी नाम की महिला को भोजन माता के रूप में नियुक्त किया था। भोजन माता स्कूल में आने वाले बच्चों के लिए भोजन बनाने का काम करती हैं। सुनीता को इस पद पर सिर्फ़ 3 हज़ार रुपये में नियुक्त किया गया था।

पहले दिन तो स्कूल के बच्चों ने खाना खा लिया लेकिन अगले दिन सामान्य समुदाय के बच्चों ने सुनीता के हाथों से बना खाना खाने से इनकार कर दिया और वे अपने घर से खाना बनाकर लाने लगे।

इतना ही नहीं सुनीता की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए जाने लगे। गांव वाले स्कूल पहुंच गए और सुनीता को इस पद से हटाने का दबाव बनाने लगे। 18 दिसंबर को चंपावत जिले के सूखीढांग जीआईसी स्कूल में दलित भोजन माता के द्वारा बनाए गए खाने को खाने से सामन्य वर्ग के बच्चों ने इनकार कर दिया था। स्कूल में अभिभावकों ने भी इसे लेकर नाराजगी जताई थी, जिसके बाद दलित भोजन माता को काम से हटा दिया गया और एक सवर्ण महिला को काम पर रखा गया। स्कूल की ओर से इस तरह के कदम पर एससी वर्ग ने कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद स्कूल के ही एससी छात्रों ने सवर्ण भोजन माता के हाथ से बना खाना खाने से इनकार कर दिया।

मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक पहुंचा। वहीं राज्य में आगामी चुनाव के कारण यह मुद्दा राजनीतिक रंग भी लेने लगा। आम आदमी पार्टी ने दलित भोजनमाता को दिल्ली में नौकरी का न्यौता तक दे दिया। जिसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया और सभी वर्ग के बच्चों और उनके माता-पिता के साथ मीटिंग की और इस मामले को सुलझाया गया।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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