Friday, March 29, 2024

रायबरेली में पुलिस हिरासत में दलित युवक की मौत, भाकपा माले ने की न्यायिक जांच की मांग

लखनऊ। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने रायबरेली के लालगंज में पुलिस हिरासत में दलित युवक की मौत की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। पार्टी ने कहा कि इस मामले में दोषी पुलिस वालों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। साथ ही पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी सरकार दे।

भाकपा माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी की पुलिस का मानवाधिकार और कानून की धज्जियां उड़ाने में कोई सानी नहीं है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार किसी भी राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा दलित और मुस्लिम यूपी की जेलों में बंद हैं। यह दलितों और मुस्लिमों के प्रति व्यवस्था और पुलिस के पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का अपने आप में एक अकाट्य प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जब मामला दलितों के खिलाफ आरोप का होता है, तो पुलिस कानून की आड़ में बर्बरता की हद तक पार कर जाती है, मगर जब मामला दलितों पर जुल्म और दबंगई का होता है, तो कार्रवाई शायद ही होती है।

राज्य सचिव ने कहा कि रायबरेली मामले में परिजनों का स्पष्ट रूप से कहना है कि युवक मोहित उर्फ मोनू (21) की मौत हिरासत में पुलिस की पिटाई से हुई है। यह भी आरोप है कि बाइक चोरी के आरोप में पकड़कर थाने लाए गए युवक को अपनी जान इसलिए गंवानी पड़ी, क्योंकि रिहाई के एवज में वह पैसों का बंदोबस्त नहीं कर सका।

माले नेता ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी रायबरेली की घटना को स्वतः संज्ञान में लेकर पीड़ित के परिवार को त्वरित न्याय दिलाने की अपील की।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles