पिछले दो सालों में पुलिस हिरासत में मौत का आंकड़ा 75% बढ़ा- राज्यसभा में गृहमंत्रालय का जवाब

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पिछले पांच सालों में पुलिस हिरासत में मौतों का आंकड़ा बढ़ा है। तीन सालों में इस आंकड़े में 60% और दो सालों में 75% की बढ़ोत्तरी हुई है। इन पांच सालों में पुलिस हिरासत में 669 मौत के मामलों को दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा गृहमंत्रालय द्वारा राज्यसभा में पेश किया है।

आंकड़े में यह भी खुलासा किया गया है कि महाराष्ट्र में मौतों का सिलसिला दस गुना, केरल में तीन गुना और बिहार, यूपी, गुजरात और कर्नाटक में दो गुना बढ़ा है।

कांग्रेस की राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम द्वारा पुलिस हिरासत में हुई मौत और कितने लोगों के परिवार वालों को मुआवजा मिला है। इस पर सवाल किया गया था। जिसका जवाब देते हुए गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यवार आंकड़ों को पेश किया है।

इसके साथ ही यह भी बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 201 केसों में 5,80,74,998 राहत कोष की सिफारिश की गई थी। साथ ही पिछले पांच वित्तीय वर्षो के दौरान एक मामले में अनुशासनात्मक कारवाई शुरू की गई थी।

कांग्रेस सांसद ने अपने सवाल में पूछा था कि क्या सरकार पुलिस हिरासत में हो रही मौत और प्रताड़ना पर कोई कदम उठा रही है? जिसका जवाब देते हुए नित्यानंद राय ने कहा कि यह सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है और सरकार मानवाधिकार की रक्षा कर रही है।

गृह राज्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार समय-समय पर सलाह जारी करती है और मानवाधिकार अधिनियम 1993 का संरक्षण करती है। जो लोक सेवकों द्वारा कथित मानवधिकारों के उल्लंघन को देखने के लिए एनएचआरसी और राज्य मानवाधिकार आयोगों की स्थापना को निर्धारित करती है।

राज्यसभा में पेश किए आंकड़ों में यह भी बताया गया कि अगर पूरे देश में पुलिस हिरासत में हुई मौत का जिक्र किया जाए तो आंकड़ा घटा है। जिसके अनुसार तीन सालों में साल 2017-18 में 146, 2018-19 में 136, फिर 2019-20 में 112 और 2020-21 में 100। लेकिन साल 2021-22 में एक फिर आंकड़ा बढ़ा और 175 हो गया।

पिछले तीन वित्तीय सालों में यह आंकडा़ बढ़कर 60% तक चला गया। तीन सालों में सबसे ज्यादा केस गुजरात (53) में दर्ज किए गए। इसके बाद महाराष्ट्र (46), मध्यप्रदेश (30), बिहार (26), राजस्थान(21), पश्चिम बंगाल(20) और उत्तर प्रदेश (19) मामले दर्ज किये गये हैं।

तीन सालों में बढ़ती पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामलों की संख्या 2019-20 में तीन से बढ़कर 2021-22 में 30 हो गई। गुजरात में इसी दौरान यह आंकडा़ 12 से बढ़कर 24 हो गया, राजस्थान में 5 से 13, कर्नाटक में 4 से 8, यूपी में 3 से 8 और केरल में 2 से 6 हो गया है।

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