Saturday, April 27, 2024

पढ़ाई से ज्यादा जरूरी धीरेंद्र शास्त्री की हनुमान कथा, एडवाइजरी भेज स्कूलों को बंद रखने का निर्देश

नई दिल्ली। मोदी राज में पढ़ाई से ज्यादा जरूरी हनुमान कथा है। तभी तो एक कथावाचक के कार्यक्रम की वजह से दिल्ली के स्कूलों को बंद रखने का निर्देश दिया गया है। दिल्ली पुलिस और प्रशासन नए-नवेले स्वयंभू संत एवं कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सेवा और कथा की तैयारियों में लगा है। धीरेंद्र शास्त्री की दिल्ली में 5-8 जुलाई को होने वाली हनुमंत कथा के लिए केंद्र सरकार ने सीबीएसई (CBSE) के सभी प्रिंसिपलों को निर्देश जारी किया है कि ‘एक लाख लोग इकट्ठा होंगे, बच्चों को स्कूल बस उपलब्ध नहीं होंगी।’

आईपी एक्सटेंशन के उत्सव मैदान में 5, 6, 7 और 8 जुलाई को बाबा बागेश्वर के नाम से मशहूर एवं विवादित शख्सियत पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हनुमंत कथा कहेंगे। कथा की वजह से सीबीएसई, केवीएस और एनवीएस स्कूलों के प्रिंसिपल और तीनों संस्थानों के डिप्टी डायरेक्टर के साथ ही पूर्वी दिल्ली के निजी विद्यालयों के प्रबंधकों को पत्र लिखकर कहा गया है कि उक्त तिथियों को स्कूल खोलने से परहेज करें। इसके बावजूद यदि स्कूल चलाना चाहते हैं तो उक्त तिथियों पर निजी साधनों से आएं, स्कूल बसों को इजाजत नहीं मिलेगी। 

न्यू इंडिया में शिक्षा से ज्यादा कथा को तरजीह मिल रही है। मोदी सरकार ने कथा के लिए स्कूलों को बंद रखने का निर्णय किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि दिल्ली के केजरीवाल सरकार और उनके शिक्षा मंत्री को इस बात की जानकारी भी नहीं है कि पूर्वी दिल्ली के स्कूलों को इस तरह का निर्देश मिला है। 

गुरुवार (6 जुलाई) को धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हनुमान कथा की शुरुआत करेंगे और 7 तारीख को अपना  ‘दिव्य दरबार’ लगाएंगे। कार्यक्रम की सुरक्षा-व्यवस्था में दिल्ली पुलिस के 1200 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। 

शासन-प्रशासन के इस निर्णय पर लोग अंगुली उठा रहे हैं। रिटायर्ड नौकरशाह सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट किया कि “एक लाख लोग इकट्ठा होंगे, बच्चों को स्कूल बस उपलब्ध नहीं होंगी। अपना-अपना देख लो। यानी स्कूल बसें बाबा के भक्तों की सेवा में होंगी? बाबा की मुट्ठी में प्रदेश ही नहीं केंद्र भी है।”

मोदी राज में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिस पर संघी विचार थोपने की कोशिश न हुई हो, लेकिन संघ-भाजपा सरकार के निशाने पर सबसे अधिक शिक्षा ही रहा है। स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में बदलाव, संघ पृष्ठभूमि के लोगों को कुलपति, प्रिंसिपल और प्रोफेसर्स के रूप में नियुक्ति का खुला खेल तो चल ही रहा है। लेकिन अब अंधविश्वास फैलाने वाले अनपढ़ कथावाचकों के कथा के लिए स्कूलों को बंद रखने का फरमान भी आने लगा है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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Sonu
Sonu
Guest
9 months ago

कभी वफ् बोर्ड की शक्तियों के बारे मे भी जानकारी दे दिया करे। या आपने भी मोदी विरोध ही अपना रखा है। और आँखों पर दो तरह के चश्मे लगा रखे है। एक आँख पर मुस्लिम प्रेम और दूसरी आँख पर हिंदू विरोध। कृपया अपनी आँखों की जाँच कराये।

maneesh
maneesh
Guest
9 months ago

abbe padh to lete likha kya hai notice main ki gobar hee bhara hai

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