मणिपुर हिंसा में अब सामने आया ड्रोन, बीते 72 घंटे में 8 की मौत और 18 घायल

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नई दिल्ली। मणिपुर में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। समय के साथ न केवल यह बढ़ रही है बल्कि हथियारों के स्तर पर भी बेहद जटिल रूप लेती जा रही है। हालिया चुराचांदपुर और विष्णुपुर जिले की सीमा पर हुई हिंसा में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है। यह देश के भीतर अब तक की पहली घटना है जिसमें इस तरह से हथियारों का इस्तेमाल हुआ है। अभी तक एक देश दूसरे दुश्मन देश के खिलाफ ही इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। इस बीच गुरुवार सुबह चुराचांदपुर और बिष्णुपुर के सीमावर्ती इलाकों में भारी गोलीबारी हुई जिसमें 5 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। मणिपुर में 29 अगस्त से लगातार हो रही भारी गोलीबारी में गुरुवार 31 अगस्त तक 8 लोग मारे जा चुके थे। और करीब 18 लोग घायल हो चुके हैं, जिसमें भारतीय सुरक्षा बल के दो जवान भी शामिल हैं।

मणिपुर में जारी यह इस हिंसा ने अब नया मोड़ ले लिया है। इसमें बाकायदा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर के संगठनों द्वारा ड्रोन की तैनाती ने जातीय हिंसा को एक नया आयाम दे दिया है। जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता का बहाल हो पाना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही मोर्टार से लेकर इंसास राइफल जैसे तमाम घातक हथियारों का यहां पहले से ही इस्तेमाल हो रहा है।

चुराचांदपुर और बिष्णुपुर के सीमावर्ती इलाकों में हुई हिंसा में स्थानीय मृतकों की पहचान कर ली गई है। जिसमें चुराचांदपुर के पाओकम किपगेन और कांगवई के पौसावंदम वैफेई की मौत गुरुवार को हुई गोलीबारी में हुई। जबकि चुराचांदपुर निवासी 42 वर्षीय संगीतकार एल.एस.मंगबोई की मौत हो गई। एक दिन पहले हुई गोलीबारी में उन्हें चोट लगी थी।

5 मृतकों में से 2 मैतेई समुदाय के हैं। उसमें से एक 52 वर्षीय पेबम देवेन सिंह है और दूसरे की पहचान 48 वर्षीय रोपेन सिंह के रूप में की गई है। दोनों मृतक विष्णुपुर के स्थायी निवासी हैं। बुधवार को हिंसा में 7 लोग घायल हुए थे। जिसमें भारतीय रिजर्व बटालियन के दो जवान भी शामिल हैं।

रक्षा सूत्रों के अनुसार विष्णुपुर जो एक मैतेई बहुल क्षेत्र है, वहां मैतेई महिलाओं की ओर से सुरक्षाकर्मियों को उस जगह पर जाने से रोका जा रहा है जहां 29 अगस्त से लगातार गोलीबारी हो रही है। अधिकारियों के अनुसार दोनों समूहों के बीच बुधवार को कुछ घंटों के लिए गोलीबारी बंद हुई थी लेकिन गुरुवार तड़के सुबह फिर से गोलीबारी शुरू हो गई।

मणिपुर पुलिस ने कहा कि ये गोलीबारी अलगाववादी लोनफाई और खुसाबुंग में हथियारबंद बदमाशों के बीच हुई है। पुलिस ने बताया कि गोलीबारी वाले इलाकों में सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की जिसके बाद गोलीबारी कम हो गई। क्षेत्र में स्थिति गंभीर है लेकिन नियंत्रण में है।

मणिपुर पुलिस ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, सुरक्षा बलों द्वारा कांगपोकपी, थौबल, चुराचांदपुर और इंफाल-पश्चिम जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान चलाया गया और 5 हथियार, 31 गोला-बारूद, 19 विस्फोटक, आईईडी सामग्री के 3 पैक बरामद किए गए।

पुलिस ने विभिन्न जिलों में 130 स्थानों पर नाकाबंदी कर रखा हैं और विभिन्न उल्लंघनों के सिलसिले में 1,646 लोगों को हिरासत में लिया है।

राज्य में फिर बढ़ती हिंसा और गोलीबारी को देखते हुए इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने चुराचांदपुर में तत्काल प्रभाव से आपातकालीन बंद का आह्वान किया है। आईटीएलएफ ने अपने बयान में कहा है कि ज़रूरी सेवा जैसे पानी और चिकित्सा आपूर्ति को इस बंद से बाहर रखा गया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के सुरक्षा सलाहकार एके मिश्रा ने कुकी समुदाय के विद्रोही समूह से बात की और वो सरकार के साथ ऑपरेशन निलंबन (एसओओ) समझौते के लिए तैयार हो गए। इस बार उनकी मांग पहले से भी बढ़ गई है। वे अब कुकी प्रभुत्व वाले जिलों के लिए विधायिका के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि बातचीत शुक्रवार को भी जारी रहेगी, लेकिन इसके बावजूद पूर्वोत्तर में हिंसा जारी है।

हालांकि इस मांग से राज्य में अन्य आदिवासी समुदाय जैसे नागा में तटस्थ देखने को मिल सकता है और हिंसा बढ़ने का खतरा है क्योंकि कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर कुकी और नागा आदिवासी समुदाय मिश्रित रूप से रहते हैं।

कुकी-ज़ो निकाय, इंडिजिनियस ट्राइबल लीडर्स फ़ोरम ने एक बयान में कहा कि “अंतहीन हमले स्पष्ट रूप से आदिवासी एसओओ समूहों और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक वार्ता को पटरी से उतारने की एक चाल है।”

मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई हिंसा में अब तक 170 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। देखते-देखते हिंसा को 4 महीने बीत गए हैं। इस दौरान इंसानियत को शर्मसार करने वाले वीडियो भी सामने आये और पुलिस स्टेशनों से हथियारों को लूटे जाने की खबरें भी आईं। अब यही हथियार हिंसा को नया रुप दे रहे हैं। पुलिस अभी तक हथियार बरामदगी में विफल रही है और अब यही हथियार सुरक्षा बलों और पुलिस पर चल रही है।

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