Thursday, April 25, 2024

मणिपुर में खूब फल फूल रहा है ड्रग्स का कारोबार

मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘ड्रग्स के खिलाफ युद्ध’ अभियान विवादों में फंस गया है। इस अभियान को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर दिया है।

दरअसल 16 जनवरी, 2023 को काकचिंग जिले की एक पुलिस कमांडो टीम ने उसी जिले के पांच पुलिस कमांडो को गिरफ्तार किया है और इनके पास से 1.14 किलोग्राम से अधिक वजन की उच्च गुणवत्ता वाली हेरोइन और हजारों ‘वर्ल्ड इज योर’ नशीली गोलियां बरामद कीं हैं।

गिरफ्तार किए गए पांचों कमांडो पुलिस की वर्दी में थे और सर्विस गन संभाल रहे थे। उन्होंने ड्रग्स के परिवहन के लिए एक पुलिस वाहन का इस्तेमाल किया था। काकिंग के पुलिस अधीक्षक (एसपी) एस. वत्स ने इस अभियान का समर्थन किया है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पुलिस को धन्यवाद देते हुए पांचों कमांडो की सेवाएं समाप्त करने की घोषणा की है।

इस घटना के अगले मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बताया कि ‘कांग्रेस नेता मेघचंद्र सिंह, विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, एसपी के कार्यालय गए थे और एसपी ने उनके कार्यालय में अनधिकृत प्रवेश और काम में बाधा डालने से संबंधित मामला दर्ज किया है’।

एन बीरेन सिंह ने आगे कहा कि ‘कांग्रेस नेता ने बिना अनुमति के प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। अब कांग्रेस की यूथ विंग को एफआईआर वापस लेने के लिए सौदेबाजी के लिए धरना-प्रदर्शन करने के लिए उकसाया गया है’।

हालांकि, कांग्रेस नेता मेघचंद्र सिंह ने कहा कि ‘मैं गिरफ्तारी की सराहना करने के लिए एसपी कार्यालय गया था। हालांकि मैंने सुझाव दिया कि वह इस मामले को सीबीआई को सौंप दें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अपराधियों को दंडित किया जा सके और वे बचकर न निकलें। मेरे सुरक्षा कर्मचारी और पुलिस अधिकारी हमारी बैठक और सौहार्दपूर्ण बातचीत के गवाह थे।‘

मेघचंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने पत्रकारों को आमंत्रित नहीं किया था, लेकिन वे गिरफ्तारियों को कवर करने के लिए पहले से ही वहां मौजूद थे।

ड्रग्स से संबंधित मामलों के निस्तारण की कम संख्या के कांग्रेस के आरोप पर, भाजपा प्रवक्ता जॉनसन एलांगबाम ने कहा कि ‘मणिपुर में पिछले भाजपा शासन (2017-22) के दौरान, कुल 1,678 मामले दर्ज किए गए थे और 2,100 लोगों को पकड़ा गया था। ये कांग्रेस शासन के दौरान गिरफ्तारी की तुलना में बहुत अधिक हैं’।

मणिपुर भारत की कुल जनसंख्या का केवल 0.24 प्रतिशत योगदान देता है, लेकिन देश में एचआईवी के कुल मामलों का 8 प्रतिशत है। नशीली दवाओं और अपराधों पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार, मणिपुर में लगभग 19.8 प्रतिशत नशीली दवाओं के उपयोगकर्ता एचआईवी पॉजिटिव हैं। 

राजधानी इंफाल में स्थित एक सिविल सोसाइटी संगठन कोएलिशन अगेंस्ट ड्रग्स एंड अल्कोहल के महासचिव गीतचंद्र मंगंग ने कहा कि ‘सरकार अवैध ड्रग्स की आपूर्ति लाइन पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो गोल्डन ट्रैंगल से आ रही है। लेकिन वह एक जमीनी मुद्दे- मणिपुर के भीतर ड्रग्स के उत्पादन को संबोधित करने में विफल रही है। मणिपुर अब अवैध ड्रग्स का पारगमन मार्ग नहीं है, बल्कि यह अवैध ड्रग्स के प्रमुख उत्पादकों में से एक बन रहा है’।

कई मामलों में, राज्य में अवैध ड्रग्स निर्माण इकाइयों का भंडाफोड़ किया गया है, जो एक फलते-फूलते ड्रग कार्टेल का संकेत है। हालांकि, इन फैक्ट्रियों को लगाने के पीछे के प्रमुख सरगना अभी तक प्रशासन के राडार पर नहीं आए हैं।

तथ्य यह है कि मणिपुर अब केवल अवैध ड्रग्स के लिए पारगमन मार्ग नहीं है, मुख्य रूप से उखरुल, सेनापति, कांगपोकपी, कामजोंग, चुराचांदपुर और टेंग्नौपाल जिलों में पहाड़ियों में अफीम की खेती हो रही है। अफीम की खेती के लिए अनुसूचित जनजातियों के पहाड़ी क्षेत्रों का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में 2017-2021 के दौरान 14,315 एकड़ अवैध अफीम खेती को सुरक्षा बलों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। ‘वॉर ऑन ड्रग्स कैंपेन’ के तहत अफीम के पौधों को उखाड़ने और नष्ट करने के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम 100 पुलिस कर्मियों की एक टीम भी तैनात की गई है।

सीएडीए के अनुसार पिछले 20 वर्षों में मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में अफीम की खेती म्यांमार के ड्रग लॉर्ड्स के संरक्षण में कई गुना बढ़ गई है। इसमें कहा गया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मणिपुर की पहाड़ियों में म्यांमार के कई अवैध निवासी भी अफीम की खेती कर रहे हैं।

कोएलिशन अगेंस्ट ड्रग्स एंड अल्कोहल के महासचिव गीतचंद्र मंगंग ने कहा कि ‘पूर्वोत्तर और शेष भारत में हर ड्रग की ढुलाई किसी न किसी तरह से मणिपुर से जुड़ी हुई है जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। 2018 से बड़े पैमाने पर अभियान के बावजूद परिणाम बहुत प्रभावशाली नहीं रहा है। जबकि मादक पदार्थों के तस्करों को सुरक्षा बलों द्वारा पकड़ा जा रहा है और वास्तविक सरगनाओं पर जांच कम हो गई है, जिनमें से अधिकांश म्यांमार में स्थित हैं’।

दिसंबर 2021 में मणिपुर और म्यांमार के बीच सीमावर्ती शहर टेंग्नौपाल जिले के मोरेह कस्बे के एक घर से बरामद 500 करोड़ रुपये से अधिक की हेरोइन और मेथामफेटामाइन को सबसे बड़ी नशीली दवाओं की खेप के रूप में माना जा सकता है। म्यांमार मूल के एक कथित ड्रग तस्कर को मौके से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार ड्रग्स की तस्करी दुनिया के दूसरे सबसे बड़े अफीम उत्पादक म्यांमार से की गई थी।

सरकार ने अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर (एनएबी), एंटी-नारकोटिक्स विभाग, मणिपुर पुलिस, असम राइफल्स और सीएडीए जैसे गैर-लाभकारी संगठनों व विभिन्न जनजातीय समूहों को शामिल किया है। एक विशाल बाजार, उच्च प्रतिफल और अफीम उगाने के मौसम की छोटी अवधि जो पारंपरिक खेती से नहीं टकराती है, ने खेती को जोखिम उठाने लायक एक आकर्षक व्यवसाय बना दिया है।

वास्तव में, जबरन उन्मूलन अभियान ने अफीम उत्पादकों को व्यवसाय को फलने-फूलने के लिए उत्पादकों, व्यापारियों और तस्करों के बीच एक और मजबूत नेटवर्किंग प्रणाली के साथ सावधानी से काम करने के लिए प्रेरित किया है।

15 दिसंबर 2022 को मणिपुर सरकार ने, सबसे पहले मणिपुर के नौ पहाड़ी जिलों- चुराचंदपुर, फ़ेरज़ावल, नोनी, तमेंगलोंग, सेनापति, कांगपोकपी, उखरुल, कामजोंग, टेंग्नौपाल और चंदेल में अफीम की खेती को बदलने के लिए एक वैकल्पिक कृषि प्रणाली शुरू की।

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इन पहाड़ी जिलों में 17 पंजीकृत किसान समितियों को रबी फसलों के बीज, नर्सरी सामग्री, औजार और उपकरण वितरित किए। यह देखने में कुछ साल लगेंगे कि वैकल्पिक खेती राज्य के ड्रग परिदृश्य में बदलाव ला रही है या नहीं।

बर्मी ड्रग लॉर्ड्स भी जनजातीय किसानों को पोस्ता लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। जब तक इन नए वृक्षारोपणों को तुरंत नष्ट नहीं किया जाता है और किसानों को लाभकारी कृषि विकल्प प्रदान नहीं किए जाते हैं, भारत-बर्मा सीमा जल्द ही पश्चिमी बर्मा में प्रसंस्करण संयंत्रों को आपूर्ति करने वाले अफीम के खेतों से युक्त होगी।

सुबीर भौमिक ने अपनी किताब ट्रबलड पेरिफेरी- क्राइसिस ऑफ इंडियाज नॉर्थईस्ट में लिखा है कि विद्रोही-ड्रग लॉर्ड-आधिकारिक गठजोड़ भारत के पूर्वोत्तर में कोलंबियाई परिदृश्य की पुनरावृत्ति के रूप में उभर रहा है।

एन. बीरेन सिंह चुनावों के दौरान ड्रग्स के खिलाफ अभियान का चेहरा बन गए, जो समस्या के बारे में मुखर रहे हैं। हालांकि, मणिपुर के पूर्व पुलिस अधिकारी थौनाओजम बृंदा द्वारा मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर एक कथित ड्रग लॉर्ड और बीजेपी सदस्य को बचाने के आरोपों को लेकर पलटवार किया गया।

बृंदा राज्य के नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर ब्यूरो की पहली महिला पुलिस अधिकारी थीं, जिन्हें ड्रग्स की तस्करी और बिक्री के खिलाफ उनके निरंतर प्रयास के लिए 2018 में भाजपा सरकार द्वारा राज्य वीरता पुरस्कार दिया गया था। हालांकि, उन्होंने दिसंबर 2020 में चंदेल स्वायत्त जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष लुखोसी ज़ू और एक भाजपा सदस्य की रिहाई के बाद पदक वापस कर दिया, जिसे उन्होंने दो साल पहले जून 2018 में एक छापे के दौरान गिरफ्तार किया था, जिसे एक स्थानीय अदालत ने बरी कर दिया।

एक अन्य उदाहरण में मणिपुर मानवाधिकार आयोग ने अगस्त 2021 में भाजपा विधायक लोरेम्बम रामेश्वर मीतेई के एक बयान के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एक मामला दर्ज किया, जिसमें कथित रूप से मंत्रियों, विधायकों और पुलिस अधिकारियों पर ड्रग तस्करों का समर्थन करने का आरोप लगाया गया था।

(मणिपुर से दिनकर कुमार की रिपोर्ट)

जनचौक से जुड़े

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles