नई दिल्ली। हैदराबाद में बलात्कार के बाद हत्या की हैवानी घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। निर्भया के बाद एक बार फिर उसी तरह की घटी इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि हम आज भी वहीं के वहीं खड़े हैं। भारतीय समाज बलात्कारी समाज बनने की तरफ अग्रसर है। इन घटनाओं ने साबित कर दिया है कि हर भारतीय पुरुष के एक कोने में एक बलात्कारी छुपा हुआ है। मौका और अनुकूल समय मिलते ही वह उससे बाहर निकल आता है। लिहाजा इस बीमारी का इलाज फांसी या फिर विधि और कानून के तहत दी जाने वाली कोई कड़ी सजा नहीं है। इसका क्या हल हो सकता है यह देश की सामूहिक चिंता का विषय होना चाहिए।
आम तौर पर इस तरह की घटनाओं के बाद कानून कड़ा करने से लेकर बलात्कारी को तत्काल सजा देने या फिर महिलाओं को इससे बचने के तमाम उपायों से जुड़े उपदेश मिलने शुरू हो जाते हैं। इस घटना के बाद एक बार फिर यही सब हो रहा है। लेकिन यह अपने आप में कितना महिला विरोधी है और उसका क्या दूरगामी असर पड़ेगा। साथ ही अपने पूरे रूप और कंटेट में यह पुरुष प्रभुत्व को स्थापित करने का काम करता है। ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव एसोसिएशन यानी एपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन ने इन्हीं सवालों के दायरे में पूरे मामले की पड़ताल की है। सुनिए उन्हीं के मुंह से उनके पूरे विचार:
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