कश्मीर में कल मनाई गई ईद लेकिन पर्व के उत्साह जैसा कुछ नहीं रहा

Estimated read time 1 min read

कश्मीर और लद्दाख में आज ईद मनाई गई लेकिन पर्व का उत्साह सिरे से गायब था।  इस पत्रकार ने घाटी के कुछ लोगों से बात करके ईद की बाबत जानकारी ली। कश्मीर के ख्यात चिकित्सक और श्रीनगर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के निदेशक रहे, वर्तमान में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से संबंधित मेडिकल जर्नल जेके प्रैक्टिस के एडिटर डॉक्टर जीएम मलिक ने बताया कि, “पहले 5 अगस्त के बाद जो हालात बने और अब कोरोना वायरस के चलते ईद का जश्न ख्वाब में भी सोचा नहीं जा सकता।

इस वक्त घाटी में दोहरा लॉकडाउन और सख्ती है। ईद पर ऐसा सूनापन मैंने जिंदगी में कहीं नहीं देखा। 99 फ़ीसदी लोग घरों में ही रहे। मस्जिदों में जाने या मेल-मिलाप के लिए एकदम मनाही है। पहले राजनीतिक लोग अपने ढंग से ईद के जश्न संपन्न करवाते थे और उसमें बड़ी तादाद में अवाम शिरकत करता था। 

इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ न होना था।” डाउन श्रीनगर में रहने वाले बक्शी अमजद मीट का कारोबार करते हैं। (उन्हीं के मुताबिक कहना चाहिए कि करते ‘थे’)। अमजद कहते हैं, “पहले ईद के दिन कश्मीर में करोड़ों रुपए का चिकन और मटन बिकता था लेकिन इस बार यह कारोबार न के बराबर हुआ। लोगबाग ब्रेड तक लेने को तरस रहे हैं। धारा 370 निरस्त करने के बाद लागू पाबंदियां और अब कोरोना वायरस ने लोगों को एकदम कंगाल कर दिया है। ऐसे में ईद का जशन कोई मायने नहीं रखता।” मीट के एक अन्य कारोबारी सोपोर के दिलशाद के अनुसार इस बार समूची घाटी में बहुत कम मीट-चिकन की खपत हुई। 

पहले ईद के दिन चिकन हर घर में बनता था लेकिन इस बार 90 फ़ीसदी घरों में नहीं बना। श्रीनगर के एक पत्रकार के मुताबिक ईद का उत्साह नदारद था। वह कहते हैं, ‘घाटी में अब खुशियां बची कहां हैं। अगस्त के बाद सारा सामाजिक ताना-बाना बिगड़ गया और अब कोरोना वायरस का कहर है। शेष देश में तो मार्च में काम-धंधे बंद हुए लेकिन हमारे यहां तो 5 अगस्त, 2019 के बाद सब कुछ एक झटके में ठप हो गया और अब तक है।”  

कश्मीर सीपीआई के वरिष्ठ नेता कॉमरेड यूसुफ मुहम्मद श्रीनगर में रहते हैं। उन्होंने बताया, “सड़कों पर घूम कर देखा तो हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। शनिवार को तय हो गया था कि चांद दिखने के बाद रविवार को ईद मनाई जाएगी। लोग इबादत के अलावा क्या कर सकते थे। वह भी घरों में हुई। मैंने अपनी जिंदगी में यहां के सबसे बड़े त्योहार ईद पर ऐसा मंजर पहली बार देखा है। कोई हलचल नहीं।

जिंदगी की रफ्तार और ज्यादा थमी हुई थी क्योंकि शनिवार से ही फौज, सुरक्षाबलों और पुलिस की गश्त में इजाफा हो गया था। सिर्फ जरूरी सामान की दुकानें खुलीं लेकिन उन पर भी आम दिनों के मुकाबले ग्राहक बहुत कम थे।” नेशनल कांफ्रेंस के एक स्थानीय कार्यकर्ता अख्तर कहते हैं कि दशकों से अब्दुल्ला परिवार ईद पर विशेष आयोजन करता रहा है लेकिन इस बार कुछ नहीं हुआ। एक तो हालात और दूसरे नेशनल कांफ्रेंस के सिरमौर फारूक अब्दुल्ला की तबीयत इन दिनों नाजुक चल रही है।                                                  ‌‌‌ 

हासिल जानकारी के अनुसार अब्दुल्ला परिवार ने घर पर खामोशी के साथ ईद मनाई तो कई अन्य बड़े सियासतदानों ने जेल नुमा नजरबंदी में। इस बार ईद पर सरकारी सख्ती इसलिए भी हावी रही कि कश्मीर में सुरक्षाबलों पर हमलों की घटनाओं में एकाएक इजाफा हुआ है।

(वरिष्ठ पत्रकार अमरकी सिंह की रिपोर्ट।) 

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author