देवरिया, उत्तर प्रदेश। जय जवान-जय किसान की बात करने वाली सरकारों का असली चरित्र कुछ और ही है। यह सवाल उठा रहे हैं यूपी के पिछड़े जिलों में शुमार देवरिया के ग्रामीण। इनका मानना है कि न तो मौजूदा सरकार में जवानों का सम्मान बचा है और न ही किसानों की जान। सरकार की नाकामी के चलते पुलवामा में अपनी जान गवां बैठे वीर सैनिकों में से एक विजय मौर्या की स्मृति में सड़क बनाने की घोषणा करने वाले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कभी यह नहीं जाना कि किसानों को जमीन का मुआवजा दिये बिना उनकी भूमि पर सड़क बनाना कितना उचित होगा। लिहाजा किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर जंग छेड़ दी है। अब किसान अपनी लड़ाई कानून की राह पर चलकर जीतना चाहते हैं।
देवरिया जिले के छपिया जयदेव के रहने वाले सीआरपीएफ जवान विजय मौर्य 14 फरवरी 2019 को पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। लोक निर्माण विभाग ने उनकी स्मृति में वर्ष 2020 में भटनी बाईपास से जिगिना मिश्र होकर छपिया जयदेव के लिए 1.80 किलोमीटर लंबाई की सड़क की स्वीकृति प्रदान की। यह राजस्व अभिलेखों में चकमार्ग के रूप में अंकित है, जिसकी चौड़ाई 13 व 14 कड़ी है।
लोक निर्माण विभाग ने 30 से 35 कड़ी यानी छह से सात मीटर में सड़क का निर्माण कराया है, जिसमें 15 कड़ी यानी तीन मीटर लेपित सतह व दोनों तरफ डेढ़ से दो मीटर यानी सात से 10 कड़ी में पटरी का निर्माण शामिल है। किसान दो वर्ष से प्रभावित भूमि का मुआवजा मांग रहे हैं। किसानों ने वर्ष 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट दाखिल किया था। हाईकोर्ट ने 14 मार्च 2022 को डीएम देवरिया को समिति बनाकर 12 मई 2016 को जारी शासनादेश के तहत मुआवजा तय करने का आदेश दिया।
लेकिन डीएम ने मनरेगा से वर्ष 2017 में 7.6 मीटर व 2021 में 6.8 मीटर चौड़ाई में मिट्टी कार्य कराए जाने का हवाला देकर किसानों को मुआवजा देने से इनकार कर दिया। जिसके विरुद्ध किसानों ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल किया। हाईकोर्ट ने 16 जनवरी को डीएम के आदेश को खारिज कर दिया। साथ ही याचिका में गंभीर तथ्यात्मक पहलुओं को उठाए जाने के कारण याचिकाकर्ता की शिकायत को कानून के अनुसार सख्ती से देखने, जांच कर निस्तारित करने का आदेश दिया।
डीएम ने पूर्व की तरह किसानों को मुआवजा देने से इनकार करते हुए प्रत्यावेदन को निस्तारित कर दिया। जबकि 12 मई 2016 के शासनादेश के अनुसार, यदि बिना अधिग्रहीत किए जमीन ली गई है तो मुआवजे के भुगतान करने के मामले में जिलाधिकारी सक्षम प्राधिकारी है।
जिगिना मिश्र गांव के किसान गौतम मिश्र, परमहंस विश्वकर्मा, त्रिपुरारी मिश्र, रामाज्ञा सिंह, मिठाईलाल, गिरीश लाल, नथुनी विश्वकर्मा, नवीन मिश्र, सुरेन्द्र मिश्र, विनोद मिश्र आदि का कहना है कि जिला प्रशासन किसानों का हक मार रहा है।
भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार किसानों की अधिग्रहित जमीन का मुआवजा देने की बात करने वाली यूपी की योगी सरकार के प्रशासनिक अधिकारी अपना अलग ही फरमान चला रहे हैं। पुलवामा में शहीद हुए जवान विजय मौर्य की स्मृति में उनके पैतृक गांव तक सड़क बनाने के वादे को पूरा करने के बजाए निर्माण के नाम पर किसानों के साथ टकराव की स्थिति पैदा की जा रही है।
भूमि अधिग्रहण के सवाल पर शासन व प्रशासन के बीच टकराव की कहानी हमारे यहां पुरानी हो चुकी है। भूमि अधिग्रहण कानून को लागू कराने की बात आते ही प्रशासन का अपने मिजाज के अनुसार अलग ही हुक्म चलता है। ऐसे विषयों से जुड़े तमाम आंदोलनों की अगर पृष्ठभूमि की ओर जाएं तो देखेंगे कि किसानों की जायज मांगों को ठुकराकर प्रशासन खुद ही टकराव की स्थिति पैदा कर देता है।
हम यहां बात कर रहे हैं यूपी के देवरिया जिले के भटनी क्षेत्र के छपिया जयदेव की। यहां के लाल विजय मौर्य 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आंतकी हमले में शहीद हो गए। उनकी याद में लोगों की मांग पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तमाम घोषणाओं के साथ ही पैतृक गांव तक उनके नाम पर सड़क निर्माण की भी बात कही। लंबे इंतजार के बाद भी अब तक सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। इस पर उठते सवाल के जवाब में योगी आदित्यनाथ के अफसर अजीबोगरीब जवाब देते हैं।
अफसर के जवाब व जमीनी हकीकत जानने के लिए जब ‘जनचौक’ ने पड़ताल की तो असली तस्वीर इस रूप में सामने आती है कि प्रशासनिक रवैये के चलते यहां सड़क निर्माण एक बड़े आंदोलन की तस्वीर तैयार कर रही है। देवरिया स्थित भटनी बाईपास से हतवा, जिगिना मिश्र होकर छपिया जयदेव तक स्वीकृत सड़क की लंबाई 1.8 किलोमीटर व लागत 1.17 करोड़ है। इसका शिलान्यास देवरिया जनपद के बंगरा बाजार में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय भागवत भगत खजड़ी वाले के जन्मदिवस 4 जनवरी को उप मुख्यमंत्री व लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किया।
जिगिना मिश्र निवासी पवन कुमार मिश्र कहते हैं कि विजय की शहादत पर हम सभी को गर्व है। क्षेत्र के किसान चाहते थे कि भटनी बाईपास से हतवा बाजार, जिगिना मिश्र होते हुए शहीद विजय के पैतृक गांव छपिया जयदेव तक सड़क का निर्माण जल्द पूरा हो। चक मार्ग की चौड़ाई 2.62 मीटर से लेकर 2.82 मीटर तक है। लोक निर्माण विभाग के मानक के अनुसार, ग्रामीण सड़क की चौड़ाई 3.75 मीटर व पेब्ड शोल्डर सहित 7.50 मीटर होना चाहिए, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने इसे छह मीटर में निर्माण कार्य कराया है। जिसमें तीन मीटर पिच व तीन मीटर में दोनों तरफ पटरी है।
जिगिना मिश्र के अधिकांश किसान लघु सीमांत किसान हैं। अधिकांश किसानों का गुजर बसर खेती पर निर्भर है। मुआवजा की मांग दो वर्ष से किसान कर रहे हैं। इसके बाद भी मुआवजा देने के बजाए प्रशासन ने किसानों की भूमि पर जबरन निर्माण कार्य कराया है। अब मुआवजा देने से इनकार कर रहा है। भूमि अधिग्रहण से संबंधित एक मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि “राज्य द्वारा उचित न्यायिक प्रक्रिया का पालन किये बिना नागरिकों को उनकी निजी संपत्ति से ज़बरन वंचित करना मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत प्राप्त संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन होगा।”
सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक, कानून से शासित किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्य कानून की अनुमति के बिना नागरिकों से उनकी संपत्ति नहीं छीन सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि कानून से संचालित कल्याणकारी सरकार होने के नाते सरकार संवैधानिक सीमा से परे नहीं जा सकती।
उधर, किसानों की मांग पर शासन की अब तक की कार्रवाई की बात करें तो लोक निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव अभय कुमार ने 15 जून 2022 को उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी थी। इसके पूर्व 31 मई 2021 को तत्कालीन जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने भी लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता से भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार अधिग्रहित जमीन का चार गुना मुआवजा व किसानों की जमीन से जबरन मिटटी निकालने पर रोक संबंधित मांग पर जांच कर रिपोर्ट मांगी थी।
बिना मुआवजे के जबरन सड़क के नाम पर जमीन लेने की प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस सड़क में हतवा, जिगिना मिश्र और छपिया जयदेव गांव के करीब 110 से अधिक किसानों की करीब दो एकड़ जमीन सड़क में जा रही है। घनी आबादी वाले इलाके के कारण इन जमीनों का बाजार मूल्य अधिक है, जिसका कोई भुगतान किए बिना सड़क में अधिग्रहित करने को लेकर किसानों को आश्चर्य है।
इस बीच किसानों की मुआवजे की मांग को देवरिया के डीएम ने दूसरी बार भी ठुकरा दिया है। डीएम ने अपनी रिपोर्ट में इसका कारण वर्ष 2017 में 7.6 मीटर व वर्ष 2020-21 में 6.8 मीटर चौड़ाई में मनरेगा से किसानों की भूमि पर मिट्टी कार्य व वर्षों पूर्व खड़ंजा निर्माण होना बताया है। जिला प्रशासन के तर्क से किसान अचंभित हैं। एक बार फिर किसान इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुहार लगाने की तैयारी में है। किसानों ने जिला प्रशासन पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर निर्णय लेने का आरोप लगाया है। मुख्य सचिव को पत्र भेजकर मुआवजा दिलाने की मांग की है।
(यूपी के देवरिया से जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट)