एकबारगी ऐसा लग रहा है कि समूचा पंजाब डूबने को है। गांवों, कस्बों और शहरों के कुछ हिस्सों में भरे हुए पानी को देखकर लगता है कि हम सागर में खड़े हैं। शनिवार पूरा दिन मूसलाधार बारिश होती रही और उसने सतलुज, रावी, ब्यास, उज्ज और घग्गर दरिया को खतरे के निशान से भी ऊपर ला दिया। साथ लगते जो गांव बचे हुए थे, उनमें भी पानी घुस गया।
फिरोजपुर का एक तटबंध टूट गया और कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। ऐसे वाकए कई जगह हुए हैं। गुरदासपुर जिले में स्थित श्री करतारपुर साहिब का जायजा विशेष प्रशासनिक टीम ने लेने के बाद उसे अगले कुछ दिनों तक बंद रखने का फैसला किया। करतारपुर कॉरिडोर भी बाढ़ ग्रस्त एरिया में आ गया है।
शनिवार को कई जिलों में लगातार मूसलाधार बारिश हुई और मानसा और संगरूर में घग्घर का पानी घरों के भीतर चला गया। अति संवेदनशील भाखड़ा बांध में जलस्तर 1651 के पार हो गया, यह फ्लडगेट लेवल से सिर्फ 6 फीट ज्यादा है, लेकिन खतरे से जलस्तर 29 फीट नीचे है। पौंग बांध से भी 39,286 क्यूसिक पानी बैराज शाह नहर में छोड़ा गया है।
घग्घर में जलस्तर बढ़ने के साथ ही पटियाला और राजपुरा में चौतरफा बाढ़ का खतरा खड़ा हो गया है। दोनों क्षेत्रों के अलावा दुधनसाधां, घन्नौर में भी प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। इर्द-गिर्द के कई कस्बों और गांवों में घग्घर दरिया का जलस्तर 9.5 फुट पहुंचने के बाद बाढ़ की तबाही सामने नजर आने लगी है। लोगों को वहां से हटाया जा रहा है।
संगरूर में भी नदी का पानी घरों और खेतों में जबरदस्त वेग के साथ जाने लगा है। इंसानी जिंदगी का बचाव तो किसी तरह से कर लिया जा रहा है लेकिन पशु और पोल्ट्री पशुओं की भयानक तरीके से मौत हो रही है। पठानकोट का हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जाने वाला रास्ता पूरी तरह अवरुद्ध है।
अस्थायी पुल भी काम नहीं कर रहे। हल्के दबाव में जमींदोज हो जाते हैं। 1680 फुट पर आ जाए तो भाखड़ा बांध बेहद ज्यादा मारक या दूसरे शब्दों में कहें तो समूचे पंजाब सहित हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को जलथल करने की क्षमता वाला मान लिया जाता है। उसका जलस्तर 1651 के पार चला गया है। यानी एक हफ्ता मूसलाधार बारिश होने का मतलब है, बाढ़ से ऐसी तबाही जो पहले कभी देखी-सुनी नहीं गई। नदियों का भी यही हाल है।
हालात पूरी तरह से बेकाबू हो जाते हैं तो इससे क्या, किसी भी सरकार से नहीं संभलेंगे। फ्लड गेट खोलने की बाबत भी कलह हो रही है। इन्हें खोलने या न खोलने को लेकर लोगों और अधिकारियों में तगड़ा विवाद है। हरिके हेड वर्क्स से पानी छोड़ने के मामले में भी खासी तनातनी दिखाई दी।
एक तरफ के लोग हरीके हेड वर्क्स से गेट खोल कर नीचे की और पानी छोड़ने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए थे। दूसरी तरफ निचले क्षेत्रों के लोगों ने यह पानी नहीं छोड़ने के लिए हजारों की तादाद में इकट्ठा होकर धरना लगाया। बामुश्किल हालात काबू में किए गए। सतलुज नदी में पानी सबसे ज्यादा बढ़ा हुआ है और उस पर घुस्सी बांध बहुत पहले बनाया गया था।
अब वह जगह-जगह टूट रहा है और नतीजतन कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी तथा जालंधर जिले के शाहकोट के सैकड़ों गांव पानी में डूब गए हैं और हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। शाहकोट के मनवीर सिंह कहते हैं कि, “हरीके हेड वर्क्स के गेट बंद होने की वजह से सतलुज नदी में पानी का स्तर बढ़ता चला गया और भारी नुकसान हुआ। फ्वडगेटों से पूरी प्रणाली के साथ पानी छोड़ा जाए ताकि हो रहे हर तरह के भारी नुकसान से लोगों को बचाया जा सके।”
“सतलुज नदी तथा ब्यास के हरीके के जरिए छोड़े गए पानी की वजह से हमारी बर्बादी हो रही है। हमें बार-बार बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। फसलों तथा पशुधन का नुकसान तो हो ही रहा है, घर भी टूट-फूट रहे हैं।” यह कहना है निचले इलाके के पुरुषोत्तम सिंह का।
पानी से हो रही बर्बादी पर किसी का कोई जोर नहीं। गैर सरकारी दावों पर गौर करें तो फिलहाल सौ से ज्यादा लोग बाढ़ में बह गए हैं और पशुओं की तादाद दस हजार से ज्यादा है। संक्रमित लोग लाखों में हैं। सरकार के पास इस सबके पूरे आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं। वैसे, सरकारी तौर पर जो आंकड़े जाहिर किए जा रहे हैं वे असलियत से परे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक 458 टीमें फील्ड में हैं। मुख्यमंत्री, मंत्री, आम आदमी पार्टी के विधायक और प्रतिद्वंदी पार्टियों के विधायक भी मैदानी दौरे कर रहे हैं लेकिन फिर भी नुकसान की तस्वीर साफ नहीं हो रही और बर्बादी को रोकने के लिए कारगर नीति नहीं सामने आ रही।
नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि विपदा के इस मौके पर मुख्यमंत्री भगवंत मान को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए लेकिन इस ओर उनका कोई ध्यान नहीं है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ कहते हैं कि सरकार की नालायकी की वजह से भी लोगों का इतना भारी नुकसान हुआ। वह बार-बार सरकार से गुजारिश कर रहे हैं कि गिरदावरी भले ही बाद में करवा ली जाए लेकिन पीड़ित किसानों को 25 हजार रुपए का अग्रिम मुआवजा सरकार अपने खजाने से दे।
राज्य सरकार 19 जिलों को सर्वाधिक प्रभावित, 12 को अति संवेदनशील मानती है और केंद्र सरकार को भेजे विवरण में कहा गया है कि 1285 करोड़ रुपए का नुकसान शुक्रवार की शाम तक हो चुका है। शुक्रवार को बारिश का प्रकोप कम था और तटबंध भी कम टूट रहे थे। शनिवार को आलम अलग था। सारा दिन हुई मूसलाधार बारिश ने बेतहाशा नुकसान किया और अगर उसे भी अनुमान के आधार पर जोड़ लिया जाए तो 1385 करोड़ रुपए का नुकसान बाढ़-बारिश के चलते सरकार को हो चुका है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि सरकार नुकसान के एवज में लोगों को पाई-पाई देगी। कई सौ करोड़ रुपए प्रतिमाह केंद्र से लिए गए कर्ज के ब्याज के तौर पर जाते हैं। ऐसे में सरकार कितना कर्ज और केंद्र से ले सकेगी, इस बाबत कोई कुछ नहीं बताता और न बोलता है। नियति के खेल में अगर बाढ़ का प्रकोप बढ़ा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अथवा गृहमत्री अमित शाह पंजाब का दौरा कर सकते हैं। इसका राजनीतिक फायदा भाजपा को होगा और नुकसान आम आदमी पार्टी को।
फिलवक्त चिंता अवाम की करनी चाहिए, जो पहले से ही डूबा हुआ था और अब और ज्यादा डूब रहा है। वे सरकारी फाइलें शायद अभी भी धूल चाट रही हैं जिनमें मई में ही तथ्यों के साथ चेतावनी दी गई थी कि इस बार बाढ़ की आशंका है और इसके लिए बड़े स्तर पर नीति बनाई जाए। लेकिन सरकार के पास जगह-जगह उद्घाटन करने, नींव पत्थर रखने और मुख्यमंत्री के दूसरे राज्यों के आप सुप्रीमो के साथ दौरे करने से ही फुरसत कहां थी कि वह बाढ़ की संभावना के बारे में सोचती।
(अमरीक सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)
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