बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) की 67वीं प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) पेपर लीक मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीम ने अपनी कार्रवाई के दौरान चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद आर्थिक अपराध इकाई (Economic Offences Unit) के एडीजी नैयर हसनैन खान ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में कृषि विभाग (Agriculture Department) का एक क्लर्क भी शामिल है। जबकि मास्टरमाइंड व सरगना आनंद गौरव उर्फ पिन्टू यादव एनआईटी से पास एक इंजीनियर है, जो गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ फरार है। वहीं इस गिरोह में कई सफेदपोशों के शामिल होने के भी सबूत मिले हैं।
एडीजी नैयर हसनैन खान ने बताया है कि इस मामले में अनुसंधान और गिरफ्तारी आगे भी जारी रहेगी। आर्थिक अपराध इकाई पूरी तह तक जाएगी। बीपीएससी में सक्रिय गिरोह में अधिकांश सदस्यों के नाम व पता चल गए हैं। लेकिन अनुसंधान को ध्यान में रखते हुए उनके नाम अभी उजागर नहीं किये गए हैं। ईओयू ने फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से वारंट की अपील की है।
इस गिरोह के पास से कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और आपत्तिजनक चीजें बरामद हुई हैं। गिरोह के सदस्यों के बैंक अकाउंट में लाखों रुपए का पता चला है जिसके बाद ईओयू ने बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया है। गिरोह के और सदस्य फरार बताए जा रहे हैं, इन सभी की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।
बता दें कि बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 67वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा के पेपर लीक मामले में शामिल गिरोह का कंट्रोल रूम पटना के कदमकुआं थाना अंतर्गत लोहानीपुर इलाके के एक मकान में था। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की जांच टीम ने 15 मई को पेपर लीक में शामिल गिरोह का पर्दाफाश किया।
जांच टीम की छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किए गए इस गिरोह के सदस्यों में कृषि विभाग में सहायक राजेश कुमार (39 वर्ष), वैशाली के देसरी हाई स्कूल में शिक्षक कृष्ण मोहन सिंह (41 वर्ष), जगदेव पथ का रहने वाला निशिकांत कुमार राय (33 वर्ष) और औरंगाबाद के अम्बा का सुधीर कुमार सिंह (40 वर्ष) शामिल है। पेपर लीक के साथ इसे वायरल करने और छात्रों को साल्व प्रश्न-पत्र उपलब्ध कराने में भी इनकी भूमिका सामने आई है। गिरफ्तार अभियुक्तों की निशानदेही पर जांच दल ने पटना में दो ठिकानों पर छापेमारी कर लैपटाप, ब्लूटूथ, पेन कैमरा समेत कई अत्याधुनिक उपकरण बरामद किए हैं। ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने चारों आरोपितों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मास्टरमाइंड समेत अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है। अनुसंधान जारी है।
गिरफ्तार अभियुक्तों से की गई पूछताछ और तकनीकी अनुसंधान के आधार पर जांच टीम ने लोहानीपुर में जिस कंट्रोल रूम का उद्भेदन किया है, उसका सरगना आनंद गौरव उर्फ पिंटू यादव है। आनंद एनआईटी पटना से ग्रेजुएट है और इंजीनियरिंग की डिग्री मिलने के बाद इस गैरकानूनी धंधे को चला रहा है। कंट्रोल रूम से 2.92 लाख नकद, आधा दर्जन बैंक खातों के पासबुक, बड़ी संख्या में जीपीएस और वाकी-टाकी आदि बरामद किए गए हैं।
ईओयू के अनुसार सरगना आनंद गौरव पहले भी कई अपराधिक मामलों में शामिल रहा है। वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में अध्यापक भर्ती घोटाले में वह गिरफ्तार हो चुका है। इसके अलावा वर्ष 2020 में मुंगेर जिले के एक हत्याकांड में भी इसका नाम शामिल था। आनंद के बैंक खातों में करीब 12 लाख रुपये जमा होने की सूचना मिली है, जिसे फ्रीज कराया गया है।
पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किए गए कृषि विभाग के सहायक राजेश कुमार के पूर्वी पटेल नगर स्थित किराये के मकान पर भी जांच टीम ने छापेमारी की। इसमें एक लैपटाप, पांच पेन ड्राइव, 16 ईयर फोन, वोडाफोन, यूनिनार, एयरटेल और बीएसएनएल के ढाई दर्जन सिम कार्ड, एचपी का प्रिंटर और बैंक आफ इंडिया और स्टेट बैंक आफ इंडिया के बैंक खाते मिले हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में राजेश कुमार, कृषि विभाग में सहायक, भागलपुर के सजौर का मूल निवासी है और पटना में पूर्वी पटेल नगर, रोड नंबर छह में किराये के मकान में रहता था। कृष्ण मोहन सिंह वैशाली के देसरी हाई स्कूल में शिक्षक है, राजापाकर का मूल निवासी है और वर्तमान में भूतनाथ रोड के बीएच कालोनी में रहता था। निशिकांत कुमार राय, सिवान के गोरिया कोठी का मूल निवासी है, वर्तमान में जगदेव पथ स्थित जानकी कुटीर अपार्टमेंट के पास रहता था। सुधीर कुमार सिंह औरंगाबाद के अंबा के झकरी का मूल निवासी है, वह भी जगदेव पथ स्थित जानकी कुटीर अपार्टमेंट के पास रहता था।
छापेमारी में 2.92 लाख नकद, छह बैंक खाते, 152 जीपीएस डिवाइस, 47 जासूसी जीपीएस डिवाइस, सात वाकी-टाकी, 10 जीपीएस बैटरी, 11 यूएसबी केबल कनेक्टर, पांच सोल्डि़ंग उपकरण, दो ब्लूटूथ-इयरफोन के अलावा लैपटॉप बैटरी, पेन कैमरा, मेटल डिटेक्टर, स्माल टूल किट, हीट गन, ग्लू इलेक्ट्रिक गन, मेजरमेंट टेप आदि की बरामदगी हुई है।
सूत्रों के अनुसार एक आईएएस पदाधिकारी से भी पूछताछ की गई है। दरअसल इस आईएएस पदाधिकारी ने प्रश्न पत्र आउट होने के बाद बीपीएससी के एग्जामिनेशन कंट्रोलर को जानकारी दी थी। एग्जामिनेशन कंट्रोलर से भी इस मामले में दो से तीन बार पूछताछ के अलावा जानकारी ली गई है। आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने इस पूरे मामले में बीपीएससी की भी लापरवाही मानी है।
एसआईटी ने जुटाए मामले के सभी सबूत
बता दें कि आठ मई को बिहार में बीपीएससी की 67वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (पीटी परीक्षा) का प्रश्न पत्र लीक हो गया था। परीक्षा शुरू होने से लगभग एक घंटे पहले सोशल मीडिया (टेलीग्राम और कई व्हाट्सएप ग्रुप) में बीपीएससी का प्रश्न पत्र वायरल होने लगा था। परीक्षा खत्म होने के बाद वायरल प्रश्न पत्रों से परीक्षा में आए सवालों का मिलान किया गया तो वो मैच कर गये। इसको लेकर अभ्यर्थियों और छात्रों ने राज्य भर में पेपर लीक को लेकर हंगामा और प्रदर्शन किया था।
बाद में तीन सदस्यीय जांच कमेटी की मात्र तीन घंटे के अंदर सौंपी रिपोर्ट पर आयोग के द्वारा बीपीएससी पीटी परीक्षा रद्द घोषित कर दी गई थी।
(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)
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