लखनऊ। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के महासचिव संदीप पांडेय ने कहा कि हम सर्वोच्च न्यायालय का धन्यवाद देते हैं कि उसने बिलकिस बानो के मामले में उसके 11 बलात्कारियों को, जिन्हें गुजरात सरकार की एक समिति व केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने, उम्र कैद की सजा माफ कर समय से पहले छोड़ दिया था को वापस जेल भेजने का निर्णय सुनाया है। किंतु उन्हें दो हफ्ते का समय आत्मसमर्पण के लिए क्यों दिया गया है? यह भी सम्भव है कि अगले लोकसभा चुनाव के पहले उन्हें गिरफ्तार न किया जाए। इसलिए उनकी तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए।
संदीप पांडेय ने सरकार से मांग की है कि वह बिलकिस बानो के बलात्कारियों को तुरंत वापस जेल भेजे।
संदीप पांडेय ने कहा कि महिला पहलवानों को भी अब न्याय मिलना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के बाहुबली सांसद बृज भूषण शरण सिंह की अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही, जबकि एक नाबालिग ल़ड़की, जिसने उनके खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए थे, ने रहस्यमयी तरीके से अपने आरोप वापस ले लिए हैं। यह स्पष्ट है कि सरकार बृज भूषण शरण सिंह को बचने का पूरा मौका दे रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि इतना कुछ होने के बाद भी बृज भूषण शरण सिंह अभी भी भारतीय कुश्ती संघ को परोक्ष रूप से नियंत्रित करना चाह रहे हैं। उनके आचरण से देश की काफी बदनामी हो चुकी है एवं महिला कुश्ती का बहुत बड़ा नुकसान हो चुका है क्योंकि अब अभिभावक अपनी बेटियों को कुश्ती के खेल में भेजने के बारे में पुनर्विचार कर रहे हैं। आखिर सरकार की क्या मजबूरी है कि वह बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ स्पष्ट कार्यवाही नहीं कर रही?
संदीप पांडेय ने कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना में केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के उकसाने पर उसके बेटे आशीष मिश्र ने किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा कर चार किसानों व एक पत्रकार को मार डाला। कितने निर्दोष लोग गैर-कानूनी गितिविधियां रोकथाम अधिनियम या दिल्ली दंगों के दौरान फर्जी मुकदमों में फंसा कर जेल में डाले गए हैं और उन्हें जमानत नहीं मिल रही लेकिन आशीष मिश्र जमानत पाकर खुले घूम रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मंत्री महोदय पर तो जैसे कोई आंच ही नहीं आई। हमारी मांग है कि लखीमपुर खीरी के किसानों के साथ न्याय किया जाए। आशीष मिश्र को जेल भेजा जाए और अजय मिश्र टेनी को बरखास्त किया जाए। उन्होंने कहा कि जाहिर है कि अपराध खत्म करने की बात करने वाली सरकार खुले आम अपराधियों को संरक्षण दे रही है।
(जनचौक की रिपोर्ट।)