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यदि केवल पिछले पांच महीनों में आई इस तरह की खबरों को मिलाकर देखें तो भावी भारत की जो तस्वीर उभरती है उसमें और पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गैविरिया के जमाने के कोलंबिया में ज्यादा फर्क महसूस नहीं होता, बशर्ते कि आप दुनिया के उस सबसे बड़े धनवान और क्रूरतम ड्रग माफिया के बारे में जानते हों।
कोलंबिया के रियोनेग्रो में 1 दिसंबर 1949 को जन्मा पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गैविरिया अब तक इतिहास का सबसे कामयाब और धनाड्य ड्रग माफिया है। उसने कोकीन की तस्करी से इतना अधिक पैसा बनाया था कि साल 1989 में फ़ोर्ब्स पत्रिका ने उसे 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया का सातवां सबसे अमीर व्यक्ति घोषित किया था।
कोलंबिया में मेडेलिन के पास एक छोटे से शहर में एक स्कूल शिक्षक मां और किसान बाप के छह बच्चों में से एक पाब्लो और उसके भाई को पास में जूते न होने के कारण स्कूल से लौटा दिया गया था। उसे पैसे के अभाव में यूनिवर्सिदाद डी एन्तियोकिया से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन के दौरान अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी थी।
अपने जीवन की शुरुआत में वह कब्रों से पत्थर व तरह-तरह की अन्य चीजें चुराकर तस्करों को बेचता था। इसके बाद 20 वर्ष की उम्र आते-आते पाब्लो ने प्रतिबंधित सिगरेट व नकली लॉटरी टिकट बेचने, कार चुराने के अलावा कई तरह के गैरकानूनी कामों की शुरुआत की। फिर उसने जल्द से जल्द अमीर बनने के लिए नशीली दवाओं के कारोबारी अलवारो प्रेटो के साथ काम किया और मात्र 2 साल में करोड़पति बन गया।
इसके बाद एस्कोबार ने प्रेटो से अलग होकर जल्दी ही ड्रग माफिया के मेडेलिन कार्टेल को संगठित कर कोलंबियाई सीमाओं के पार समुद्री तथा वायु मार्ग से पेरू, इक्वाडोर और बोलीविया सहित अमेरिकी और यूरोपीय महाद्वीप के विभिन्न देशों में कोकीन के धंधे को बढ़ावा दिया। एक समय दुनिया भर में फैले कोकीन के कारोबार में से 85 फीसदी पर अकेले पाब्लो का कब्ज़ा था।
वह सरकार की ड्रग्स सम्बंधी नीतियों तथा योजनाओं की टोह लेता रहता था। वह अपने कारोबार के विस्तार के लिए नियमित रूप से अधिकारियों, न्यायाधीशों, पुलिस और पत्रकारों को लाखों डॉलर के तोहफे तथा नकदी बतौर नजराना देता था।
पाब्लो अपनी काली कमाई से स्कूलों व गिरजाघरों के निर्माण के अलावा गरीबों को पैसा बांटता था। मेडेलिन की गरीब जनता उसकी पहरेदारी करती थी और युवा उसके विश्वासपात्र मुखबिर हुआ करते थे।
पाब्लो एस्कोबार के एकाउंटेंट रॉबर्टो के अनुसार पाब्लो को नोटों की गड्डियां बांधने के लिए हर हफ्ते एक हजार डॉलर के रबर बैंड खरीदने पड़ते थे। चूंकि वह अपनी काली कमाई को बैंकों में नहीं रख सकता था, इसलिए इसे गोदामों और गड्ढों में रखा जाता था। इस कारण इस नकदी का 10 फीसदी (करीब 1 मिलियन डॉलर प्रतिवर्ष) चूहे नष्ट कर देते थे।
उसके पास असंख्य लग्जरी गाड़ियां, आलीशान घर और दफ्तर हुआ करते थे। उसने 1975 में अमेरिका में कोकीन की खेप पहुंचाने के लिए अपना खुद का विमान उड़ाया और बाद में इस विमान को अपने फार्म हाउस के आंगन में टांग दिया। अपने चरमोत्कर्ष के दौरान पाब्लो का मेडेलिन ड्रग कार्टेल एक दिन में प्राय: 15 टन कोकीन की तस्करी करता था, जिसकी उन दिनों अमेरिका में आधा बिलियन डॉलर से ज्यादा कीमत थी।
ड्रग तस्कर पाब्लो एस्कोबार कोलंबिया में अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी व्यक्ति था और कोलंबिया की राजनीति के शीर्ष पर पहुंचने का सपना देखने लगा था। उसने महसूस किया कि उसके पास राजनीतिक शक्ति नहीं है तो पैसा तो पर्याप्त है। इसलिए उसने अपने राजनीतिक मंसूबे पूरा करने के लिए अपनी अकूत दौलत के बल पर साल 1986 में कोलंबिया का 10 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज चुकता कर देने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा। धन और चालबाजियों के बल पर वह गणतंत्र की कांग्रेस तक पहुंच गया। जहां जाकर उसका देश की केंद्रीय सत्ता पर सीधी पकड़ होना निश्चित थी।
इससे पाब्लो को रोकने के लिए पूरे कोलंबिया में उसकी मुखालिफत करने वाले अकेले अखबार ‘एल एस्पक्टाडोर’ के संपादक गिलेरमो कानो ने अभियान छेड़ दिया। बौखलाये पाब्लो ने उसके दफ्तर को बम से उड़ाने के अलावा गिलेरमो को मरवा दिया। पाब्लो ने अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए कई मंत्रियों, राजनेताओं, न्यायाधीशों, अधिकारियों, पुलिसकर्मियों, पत्रकारों और तस्करों की हत्याएं करवाईं। यहां तक कि उसने चार राष्ट्रपतियों का जीवन दुःस्वप्न बना दिया, अधिकारियों में घुसपैठ की और पूरी दुनिया को चुनौती दी। उसके साथ हुई खूनी जंग में सिर्फ साल 1991 में ही 700 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
दुस्साहसी पाब्लो ने ड्रग्स तस्करी के साथ-साथ अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति में बाधक बने राष्ट्रपति पद के एक उम्मीदवार लुइस कार्लोस गैलान की चुनाव सभा में बम विस्फोट से हत्या करवा दी और कोलंबिया का राष्ट्रपति बनने के सपने देखने लगा। इन हत्याओं के बाद कोलंबिया का शासन-प्रशासन एस्कोबार के पूरी तरह खिलाफ हो गया।
पाब्लो एस्कोबार को सरकार ने सुधरने का एक मौका दिया। उसने खुद को अमेरिका प्रत्यारोपित किये जाने से बचने के लिए जेल जाना स्वीकार किया तो वह राजाओं के महल जैसी सुख-सुविधाओं से लैस अपनी ही निजी जेल ‘ला कैटेड्रल’ में खुद को कैद करने को राजी हो गया परंतु वहां से भी वह अपनी गतिविधियां निर्बाध रूप से जारी रखे हुए था। जब उसके खिलाफ कार्रवाई की गई तो जेल से भाग कर राज्य, शासक वर्ग और पूरे देश के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। उसे हराने के लिए सरकार ने एक शक्तिसम्पन्न आधुनिक संसाधनों से लैस समूह का गठन किया। रेडियो ट्राएंगुलेशन तकनीक के इस्तेमाल से कोलंबियाई पुलिस ने उसकी लोकेशन पता लगाया था और घेराबंदी कर दी।
इसी दौरान मेडेलिन के एक घर में छिपे पाब्लो और उसके अंगरक्षक को 2 दिसंबर, 1993 को पुलिस के साथ हुई फायरिंग में गोली मार कर खत्म कर दिया।
अपनी मृत्यु के समय पाब्लो अपनी पत्नी मारिया विक्टोरिया और बच्चों जुआन पाब्लो और मैनुएला के लिए एक ग्रीक किले का निर्माण करवा रहा था। तमाम तरह के चढ़ाव-उतारों से भरे पाब्लो एमिलियो एस्कोबार गैविरिया के सफर का विस्तृत विवरण उसके भाई रॉबर्टो एस्कोबार की किताब ‘द एकाउंटस स्टोरी’ में मिलता है।
अब एक ही खेप में जिस गति से और जितनी बड़ी मात्रा में अरबों-खरबों रुपये मूल्य की ईरान, अफगानिस्तान के रास्ते देश में लाई गई नशीली दवाओं की खेप आये दिन पकड़ी जा रही हैं उससे यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि ऐजेंसियों की पकड़ से छूट/बच जाने वाली ड्रग्स कितनी हो सकती है। जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचा कर देश को भयानक हानि पहुंचाई जा रही है।
दूसरी ओर सरकार कम मात्रा में निजी उपयोग के लिए ड्रग्स रखने को अपराध के दायरे से बाहर रखने जा रही है। ताकि लोग बेखटके इसका इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए संसद के अगले सत्र में विधेयक लाने की तैयारी है।
इससे भी दुखदाई यह है कि देश में न तो कोई गिलेरमो कानो जैसा पत्रकार दिखाई देता है और न ही लुइस कार्लोस गैलान जैसा ईमानदार, निर्भीक और देश के प्रति प्रतिबद्ध राजनेता। इससे देश के जल्दी ही पाब्लो एस्कोबार का कोलंबिया जैसा बन जाने की पूरी सम्भावना है।
(श्याम सिंह रावत लेखक हैं।)