‘हिरासत’ में इरफान की मौत:  संभल कर चलिए सम्भल में  

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मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश का सम्भल जिला सींग के उत्पाद के लिए मशहूर है। लेकिन, पिछले कुछ दिनों से यह सांप्रदायिक वैमनस्य के कारण सुर्खियों में है। दंगा, आगजनी, पुलिस की आमदो-रफ्त जैसे सम्भल की नई पहचान हो गई है। हाल ही में हुए पथराव, आगजनी और पांच हत्याओं के झंझावात से यह जिला निकल भी नहीं पाया था कि सोमवार को 35 साल के इरफान की नखासा थाने के रायसत्ती पुलिस चौकी में हिरासत के दौरान मौत हो गई।

यह खबर आग की तरफ फैली। देखते ही देखते, सैकड़ों लोगों ने रायसत्ती की पुलिस चौकी घेर ली। इरफान की पत्नी रेशमा ने आरोप लगाया है कि हिरासत के दौरान यंत्रणा देने की वजह से उसके पति की मौत हुई। उसने कहा कि इरफान की तबियत गड़बड़ थी। पुलिस ने जबरदस्ती इरफान को घर से उठा लिया और उसकी पत्नी के मुताबिक उसने दवा खाने के लिए मोहलत मांगी तो पुलिस वालों ने उसकी एक न सुनी। 

इरफान के खिलाफ उसकी एक रिश्तेदार शफीका बेगम ने शिकायत पुलिस में की थी। शिकायत में कहा गया था कि शफीका बेगम और उसके बेटे के बीच झगड़ा था। इरफान ने बिचौलियागीरी करके मां-बेटे में समझौता कराया था, जिसके बदले शफीका बेगम ने छह लाख रुपए अपने बेटे को दिए थे। शफीका का आरोप है कि इसमें कुछ पैसे इरफान खा गया। 

सम्भल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने हिरासत में क्रूरता से हुई मौत को रस्मी अंदाज में इनकार किया है। कुमार का कहना है कि जब इरफान को चौकी लाया गया था तो उसका बेटा उसके साथ था। इरफान के मांगने पर उसे खाने के लिए दवा दी गई थी। लेकिन, दवा खाने के बाद ही वह जमीन पर गिर पड़ा और दिल के दौरे से उसकी मौत हो गई।  

मौत की खबर से स्थिति अराजक हो गई, जिसके चलते कोतवाली और नखास पुलिस थानों से अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने विरोध-प्रदर्शन को शांत करने के लिए हस्तक्षेप किया। प्रदर्शनकारियों ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पीड़िता को मुआवजा देने की मांग की। हालांकि, बाद में शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। इरफान की पत्नी ने कहा कि चार पुलिसकर्मी उसे ले गए थे, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। फिलहाल, कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है।

इस बीच, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख और नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने हिरासत में मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की।

आजाद ने इरफान की मौत के इर्द-गिर्द संदिग्ध परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “परिवार द्वारा लगाए गए पुलिसिया अत्याचार के आरोपों ने न केवल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्यशैली को भी गहरा झटका दिया है।‘

एक नागरिक ने इस मौत पर टिप्पणी करते हुए कहा, सम्भल में संभल कर चलना चाहिए। इन दिनों, किसी के साथ कुछ भी हो सकता है। नगीना के सांसद ने कहा कि यह मामला “सरकार की विश्वसनीयता की परीक्षा” है।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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