Thursday, March 28, 2024

जेएनयू छात्रों के समर्थन में वर्धा यूनिवर्सिटी के छात्र

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दुबारा चर्चा में है। जेएनयू के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ पिछले नौ दिनों से आंदोलनरत हैं। जेएनयू प्रशासन ने हॉस्टल मैनुअल जारी किया है, उसमें हॉस्टल फीस, मेस फीस बढ़ा दी गई है। छात्रों पर विभिन्न प्रकार के अंकुश लगा दिए गए हैं। छात्रों को यह नहीं बताया गया है कि किस प्रक्रिया के तहत फीस वृद्धि की गई है। जेएनयू छात्रों के आंदोलन का प्रतीकात्मक रूप से समर्थन करने के लिए हिंदी विश्वविद्यालय के प्रगतिशील छात्र संगठनों ने समर्थन सभा का आयोजन किया।

सभा का आयोजन विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार अंजलि हाइट गेट पर किया गया। समर्थन सभा में छात्र/छात्राओं ने छात्र समुदाय पर लगातार हो रहे सांस्थानिक हमले पर बातचीत की। बातचीत फीस वृद्धि, लाइब्रेरी की समय सीमा कम करना, मेस फीस बढ़ाना, हॉस्टल की समय सीमा निर्धारित करना और स्नातक एवं परास्नातक के छात्र-छात्राओं के लिए निर्धारित ड्रेस कोड को लेकर होने वाली समस्याओं को लेकर छात्र-छात्राओं ने अपनी बात रखी।

छात्र तुषार ने कहा कि जेएनयू में पढ़ने वाले छात्र लगातार अपने पढ़ने-लिखने और अपने कार्यों से देश का नाम रोशन कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले जेएनयू से पढ़े अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र में नोबल दिया गया है।

छात्र गौरव गुलमोहर ने कहा कि जो जेएनयू में किया जा रहा है वही पूरे भारत में किया जा रहा है। छात्रों को सरकार शिक्षा से लगातार दूर करती जा रही है। छात्र चंदन सरोज ने कहा कि वर्तमान में भारतीय शिक्षा-व्यवस्था गर्त में जाती हुई दिख रही है। भारत के सारे केंद्रीय विश्वविद्यालय जो ज्ञान और विज्ञान का विकास करने लिए स्थापित थे उसे अब सरकार के प्रचार का माध्यम बनाया जा रहा है। सस्ती शिक्षा व्यवस्था को खत्म कर सरकार गरीब वर्ग को शिक्षा से वंचित करने की साजिश कर रही है।

शोध छात्र अन्वेषण सिंह ने छात्रों से अपील की कि इस समय हमारी सिर्फ एक पहचान है वह यह है कि हम छात्र हैं। हमें सारे मतभेद मिटाकर जेएनयू के छात्रों के समर्थन में एक साथ खड़े होना चाहिए। छात्र सिद्धार्थ साठे ने कहा कि जेएनयू में जो फीस वृद्धि की जा रही है उसका सीधा असर महाराष्ट्र के किसानों पर पड़ रहा है। पहले जो छात्र ढाई हजार में एक महीने पढ़ाई कर लेते थे, अब उन छात्रों को सात हजार हर महीने चाहिए होगा। महाराष्ट्र में बारिश से फसल बर्बाद हो गई है। किसान की कमाई छः महीने में सात हजार नहीं है, वे अपने बच्चों को सात हजार हर महीने कहां से देंगे?

छात्रा कनुप्रिया ने कहा कि वर्तमान दौर में शिक्षा व्यवस्था पर सरकार कब्जा जमा रही है। शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा है। नये हॉस्टल मैनुअल के विरोध में जेएनयू में चल रहे प्रदर्शन का मैं समर्थन करती हूं। सरकारी संस्थानों में जहां पढ़ाई निःशुल्क होनी चाहिए, उसके विपरीत जिस तरह से फीस बढ़ा दी गई है, वह स्वीकार्य नहीं है। छात्रों के लिए जो लाइब्रेरी हमेशा से 24 घंटे खुली रहती थी, आज उसकी समय सीमा बांध दी गई है, जो किसी भी तरह से प्रगतिशील शिक्षा व्यवस्था का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। जो आज जेएनयू में हुआ है, कल से देश के अन्य केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में भी हो सकता है। अतः मेरा यह मानना है कि जेएनयू के छात्रों के समर्थन में समस्त युवाओं को आगे आना चाहिए। जेएनयू के छात्रों को समर्थन देने के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में छात्र जुटे और अपनी बातें रखीं।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles