भाकपा-माले (लिबरेशन) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि बिहार चुनावों के बाद, जिनमें भाजपा हार से किसी तरह बच गई थी, आया पश्चिम बंगाल का स्पष्ट भाजपा विरोधी जनादेश भारत के संविधान, लोकतंत्र और संघीय ढांचे, और विविधताओं से भरी भारतीय पहचान को बचाने की लड़ाई को मजबूत करेगा। नन्दीग्राम में बेहद मामूली मतों से ममता बनर्जी की अंतिम घोषणा में बताई गई हार से यह जबर्दस्त जनादेश कहीं से भी कमजोर नहीं होता है।
दीपंकर ने कहा कि पश्चिम बंगाल की जनता ने राज्य को जीतने की भाजपा की आक्रामक व निर्लज्ज कोशिशों के विरुद्ध जनादेश दिया है। बंगाल में सत्ता कब्जाने के लिए जनसंहारों, मतदाताओं को धमकाने और दलबदल कराने की भाजपा की साजिशों पर इस जनादेश ने विराम लगा दिया है। धार्मिक उन्माद, साम्प्रदायिकता और नफरत की राजनीति करने वालों को बंगाल की प्रगतिशील व समावेशी विरासत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। यह जनता की आजीविका और जीवन पर हमला करने वाली कॉरपोरेट लूट के खिलाफ जिंदगी की जद्दोजहद में लगी जनता के सम्मान व अधिकारों के लिए संघर्षों की जीत है।
आज सत्यजित राय की जन्म शतवार्षिकी के मौके पर लोकतंत्र और बंगाल की अमूल्य विरासत के पक्ष में आए जनादेश के लिए हम बंगाल की समझदार और सजग जनता का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि 2021 का आवाहन (एकुशेर डाक) और ‘नो वोट टू बीजेपी’ अभियान की प्रतिक्रिया में बंगाल के छात्रों व युवाओं एवं विभिन्न धाराओं के जनान्दोलनों ने राज्य के कोने-कोने में भाजपा के फासीवादी मंसूबों को शिकस्त देने के लिए जी-जान लगा कर प्रचार किया। अखिल भारतीय किसान आन्दोलन के प्रतिनिधियों ने भी राज्य की जनता से अपने मत का प्रयोग भाजपा को हरा कर मोदी सरकार के किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस लेने के आन्दोलन को मजबूत करने का आवाहन किया। ये प्रयास भाजपा के विरुद्ध स्पष्ट जनादेश बनने में मददगार बने और हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में ऐसी शक्तियां लोकतंत्र की जागरुक पहरेदार बनी रहेंगी।
उन्होंने कहा, “हम बंगाल के तमाम वामपंथ समर्थकों से अपील करते हैं कि वे इस जनादेश को लोकतंत्र की विजय और पश्चिम बंगाल की जनता की फासीवाद विरोधी सशक्त दावेदारी के रूप में देखें। इन चुनाव परिणामों के आलोक में बंगाल के कांग्रेस-वाम मोर्चा नेतृत्व को अपने राजनीतिक स्टेंड का पुनर्मूल्यांकन जरूर करना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि तृणमूल कांग्रेस सरकार अपने तीसरे शासनकाल में जनभावनाओं और लोकतंत्र के मूलभूत उसूलों का पालन करेगी।”
उन्होंने कहा कि अभी बंगाल की जनता के लिए सबसे जरूरी कार्यभार कोविड 19 संकट से निपटने, महामारी को परास्त करने, लोगों का जीवन बचाने और कोविड 19 पीड़ित लोगों की मदद करने का है। इतनी लंबी चुनाव प्रक्रिया ने पश्चिम बंगाल में इस खतरे को और बढ़ा दिया है। अब सरकार और समाज के लिए इन हालातों को शिकश्त देना ही सर्वप्रथम कार्यभार है।