Thursday, April 18, 2024

उत्तर-पूर्व में बीजेपी के हिंदुत्व के प्रयोग का मॉडल है मणिपुर

मणिपुर से आ रही रिपोर्टें भयावह हैं। परसों तक समाचार पत्रों ने 54 लोगों के हताहत होने की सूचना दी थी। लेकिन अपुष्ट खबरों के मुताबिक सौ से अधिक लोगों को जान-माल से हाथ धोना पड़ा है। मणिपुर की कुल आबादी उत्तर भारत के किसी जिले से भी कम है। मात्र 35 लाख की आबादी वाले इस राज्य में इतने बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी कहीं से भी मामूली नहीं कही जा सकती। 

मणिपुर का यह तनाव काफी लंबे अर्से से बना हुआ था। यह दो समुदायों के बीच राज्य में संसाधनों और रोजगार पर हक़ से बड़े पैमाने पर जुड़ा हुआ है। लेकिन आज मीडिया के एक हल्के द्वारा इसे हिंदू-ईसाई की बाइनरी में दिखाया जा रहा है, जिसके परिणाम आज से भी भयानक हो सकते हैं। आज हालात से निपटने के लिए इंटरनेट और अन्य संचार के साधनों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। राज्य सत्ता इसे शेष भारत को यहां की खबरों से दूर रहने के लिए भी कर रही है। नॉर्थ ईस्ट में भाजपा को बड़ी सफलता मिली थी। तमाम अलगाववादी गुटों को समझौते की मेज पर लाने और संतुष्ट करने में वह सफल रही थी। हालांकि असम, मिजोरम के बीच कई बार झड़पें हुई हैं, और भाजपा के लिए पहले जैसा माहौल नहीं रहा। लेकिन मणिपुर में भाजपा अपने दम पर सत्ता में थी। एन बीरेन सिंह की मणिपुर के बेहतर प्रशासक की छवि बनी हुई थी। 

फिर ऐसा क्या हुआ कि इतने बड़े पैमाने पर हिंसा की स्थिति आ गई? इनके कुछ सूत्रों को हाल की घटनाओं से समझा जा सकता है। सबसे पहले समझना होगा कि मैतेई, कुकी और नागा समूहों सहित करीब 30 अन्य जनजातियों की आबादी मणिपुर में रहती है। इसमें मैतेयी समुदाय के लोग एससी और ओबीसी समुदाय में आते हैं और उनकी बड़ी आबादी मुख्यतया इंफाल घाटी में रहती है। शेष कुकी, नगा एवं अन्य जनजातियां मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करती हैं। आबादी के लिहाज से मैतेई समुदाय कुल आबादी का 55 प्रतिशत के करीब है, जबकि क्षेत्रफल के लिहाज से वे मात्र 10% भूभाग पर आबाद हैं। वहीं शेष जनजातियां कम आबादी के बावजूद 90% भूभाग में रहती हैं और अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत होने के कारण उनके पास संविधान प्रदत्त कई विशेषाधिकार हासिल हैं। 

मैतेई समुदाय का मुख्य मुद्दा यही है कि अन्य जनजातियों के लिए घाटी में जमीन लेने और बसाहट करने की तो छूट है, लेकिन वे अपने राज्य के निवासी होने के बावजूद पर्वतीय क्षेत्रों में जमीन का मालिकाना हक नहीं रख सकते। उन्हें भी अनुसूचित जनजाति में खुद को शामिल करना है। जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कुकी, नगा को लगता है कि प्रदेश में जो भी विकास हुआ है, उसमें मैतेई समुदाय को बड़ा हिस्सा मिला हुआ है। राजनीति में भी मैदानी क्षेत्र के पास करीब 66% प्रतिनिधित्व हासिल है। आज तक 12 मुख्यमंत्रियों में से 10 मैतेई समुदाय से ही आये हैं। ऐसे में यदि इन्हें एसटी का दर्जा हासिल हो जाता है तो वे अपने संसाधनों के बल पर हमें पर्वतीय क्षेत्रों में भी पछाड़ देंगे। वर्तमान मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह भी मैतेई समुदाय से आते हैं।

पिछले माह उच्च न्यायालय ने मैतेई समुदाय को एसटी में शामिल किये जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह इस विषय पर अंतिम फैसला ले। केंद्र सरकार को भी इस विषय में अधिसूचित किया गया था। वहीं पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मादक पदार्थों की तस्करी पर अभियान चलाया था। ऐसा माना जाता है कि कुकी समुदाय के लोग राज्य की सीमा से सटे म्यांमार में भी रहते हैं, और सीमा से आरपार जाने पर कोई खास दिक्कत न होने के कारण, बड़ी संख्या में वहां से अवैध रूप में कुकी आबादी कथित रूप से मणिपुर के पर्वतीय इलाके में बस रही है। वहीं से तस्करी भी हो रही है। इस कदम को कुकी समुदाय के खिलाफ एक अभियान के रूप में भी देखा गया। 

इसी के साथ सरकार वनों से लोगों को विस्थापित भी कर रही है। कुछ क्षेत्रों को राष्ट्रीय वन्य संरक्षण के तहत लाया गया है। ऐसे वनों से विस्थापित लोगों को बसाने के लिए सरकारी पहल में अभाव भी नाराजगी की एक वजह बताई जा रही है। कुकी, नगा लोगों का मत है कि वे इन क्षेत्रों में तब से रह रहे हैं जब सरकार ने इसे अधिसूचित भी नहीं किया था। कुकी और नागा आबादी का बड़ा हिस्सा ईसाई धर्म का अनुपालन करता है। हाल के दिनों में राज्य सरकार की ओर से 3 गिरिजाघरों को अवैध बताकर ढहा दिया गया था। 

उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद से ही कुकी समुदाय में तनाव बढ़ गया था। कुकी छात्र संगठन ने 3 मई को प्रदर्शन की घोषणा की थी। इसी बीच चांदचूडपुर जिले में मुख्यमंत्री की एक जिम के उद्घाटन के आयोजन स्थल को भी प्रदर्शनकारियों द्वारा तहस नहस कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के प्रस्तावित सभास्थल को तहस-नहस करने की घटना से ही राज्य सरकार और ख़ुफ़िया एजेंसियों को चेत जाना चाहिए था। लेकिन इसके उलट  राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की पहल पर अलगाववादी गुटों के साथ बनाई गई त्रिपक्षीय वार्ता से भी खुद को हटा लिया था। इस प्रकार कह सकते हैं कि इस झड़प के लिए पृष्ठभूमि कहीं न कहीं पहले से ही तैयार हो चुकी थी। 

इस दंगे में अपने-अपने समुदायों के पक्ष में सुरक्षाकर्मियों की संदेहास्पद भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि आम लोगों ने अपने घरों से बाहर अपनी पहचान को उजागर करने वाले पोस्टर लगा रखे हैं, ताकि हिंसक भीड़ उनकी पहचान के आधार पर उन्हें बख्श दे। 

पारंपरिक रूप से आदिवासी और गैर आदिवासी में बंटे मणिपुर को अब धार्मिक रूप से देखने की शुरुआत भाजपा के नेतृत्व में हो रही है। खबर है कि करीब 50 चर्चों को तहस नहस किया गया है। निश्चित रूप से मणिपुर में अब एक फाल्ट लाइन के ऊपर दूसरी फाल्ट लाइन बिछाई जा रही है। यदि ऐसा हुआ तो आगे इस हिंसा की चपेट में इस बार की तुलना में कई गुना नुकसान होगा। हां, भाजपा के लिए मैतेई समुदाय के रूप में एक स्थायी वोट बैंक जरुर तैयार हो जायेगा। भले ही इस समुदाय को मिले कुछ नहीं, लेकिन उसके लिए एक पार्टी के खूंटे में बंधे रहने की मजबूरी शायद ही खत्म हो।

आज हजारों की संख्या में महिलाएं, बच्चे, वृद्ध और बीमार लोग असहाय स्थिति में किसी तरह जान बचाकर असम राइफल एवं अन्य राहत शिविरों में एक जोड़ी कपड़े में जीवन काटने को मजबूर कर दिए गये हैं। उन्हें अपने पीछे छूट गये परिजनों के हाल के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उनके घर, खेत, पशु किस हाल में हैं, आगे जीवन कैसे बीतेगा, यही उनकी सोच को बार-बार मथे जा रहा है। एक ऐसी मानवीय त्रासदी जिसे हम सीरिया, यूक्रेन और सिएरा लियोन जैसे क्षेत्रों में देखने के आदी रहे हैं, वह हमारे ही देश में एक राज्य के लोग भोगने को अभिशप्त हैं। संसाधनों की लूट चंद लोग कर रहे हैं, और साधारण लोग सूखी रोटी के टुकड़े के लिए आपस में कट-मर रहे हैं। यह देश का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है? 

भाजपा ने मैतेई लोगों को अपना स्थायी वोट बैंक बनाने की लालच में मणिपुर को आग में झोंक दिया है। आज जो मणिपुर में हो रहा है, वही मॉडल आरएसएस-भाजपा पूरे देश में अपना रही है। सच तो यह है कि भाजपा के हिंदू राष्ट्र के मॉडल को मणिपुर में आजमाया जा रहा है।

( रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles