झारखंड में मनरेगा कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल 42वें दिन भी जारी रही। 6 सितंबर को झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ की सभी जिला इकाईयों की आनलाइन बैठक हुई। बैठक में आगे की रणनीति और हड़ताल की समीक्षा की गई। ग्रामीण विकास मंत्री और विभागीय पदाधिकारियों के बीच संघ की वार्ता 3 सितंबर को हुई थी, परन्तु कोई स्पष्ट और लिखित समझौता नहीं होने के कारण हड़ताल जारी रखने के निर्णय को सभी कर्मियों ने एक स्वर में समर्थन किया। जब तक लिखित और स्पष्ट सहमति पत्र नहीं मिलता हड़ताल जारी रखी जाएगी।
बैठक में कहा गया कि 3 अगस्त की वार्ता ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में हुई थी। यह बैठक सकारात्मक थी और मंत्री भी मांगों पर सकारात्मक और संवेदनशील दिखे, परंतु विभागीय अधिकारियों द्वारा वार्ता का मिनट्स को जारी न करना और संघ के प्रदेश अध्यक्ष को वार्ता में शामिल नहीं करना, तथा वार्ता में शामिल अगुवा साथियों को टारगेट कर उनके गृह जिले के अधिकारियों से उन्हें टॉर्चर करवाना राज्य के विभागीय अधिकारियों की मनरेगा कर्मियों के प्रति नकारात्मक मंशा साफ दिखाती है। जिला अध्यक्षों ने कहा कि हड़ताल चरम सीमा पर है, सभी साथी एकजुट रहेंगे। परदेस कमेटी के निर्णय को अक्षरशः पालन किया जाएगा।
बैठक में कहा गया कि मनरेगा कर्मी 13 वर्षों से छले जा रहे हैं। लिखित समझौते के बिना वापस आना संभव नहीं है, क्योंकि विभागीय पदाधिकारियों की मंशा मनरेगा कर्मियों के प्रति ठीक नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में ड्यूटी में मृत मनरेगा के कनीय अभियंता बिट्टू कुमार के आश्रितों को अभी तक मुआवजा नहीं मिलना इस बात को दर्शाता है कि सरकार की मंशा मनरेगा कर्मियों के प्रति ठीक नहीं है। जल्द ही इस मामले को लेकर उनकी पत्नी द्वारा धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
बैठक में कहा गया कि एनजीओ जेएसएलपीईएस द्वारा मृत, पलायन, बूढ़े लोगों का फर्जी डिमांड कराया जा रहा है, जिसका विरोध सभी स्तर से होना शुरू हो चुका है। सरकार वैकल्पिक व्यवस्था में ज्यादा ध्यान दे रही है, जबकि हमारी मांगें जायज़ हैं, जिसे पूरा करने का सरकार ने चुनावपूर्ण वादा किया था। कहा गया कि सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़ कर राज्यहित, मजदूर हित और कर्मचारियों के हित में सार्थक वार्ता कर सहमति पत्र जारी करे।
वहीं रांची में जिला मनरेगा संघ की बैठक में संघ की आगामी रणनीति पर विचार विमर्श करते हुए निम्न प्रस्ताव पारित किए गए हैं।
7 अगस्त को सभी प्रखंड अपने प्रखंडों में बैठक आयोजित करेंगे, जिसमें सभी की उपस्थिति अनिवार्य होगी। जिन कर्मियों ने हड़ताल को तोड़कर योगदान दिया है उनको एक बार समझाने का प्रयास किया जाएगा। यदि वे नहीं मानते हैं तो उनका सभी मनरेगाकर्मी सामाजिक बहिष्कार करेंगे और भविष्य में उनको किसी तरह का सहयोग संघ द्वारा नहीं किया जाएगा। संघ को मजबूती प्रदान करने एवं कल्याण कोष में जमा करने के लिए राशि के संबंध में भी चर्चा की जाएगी। किसी भी प्रखंड में मनरेगा कर्मी हड़ताल के दौरान आना जाना नहीं करेंगे। यदि किसी के द्वारा ऐसा किया जाना आवश्यक होगा तो इसकी सूचना सर्वप्रथम संघ को देंगे, यदि कोई प्रखंड कार्यालय आता जाता पाया गया तो वह दोषी माना जाएगा। स्थानीय विधायकों से मिलने के लिए भी भी चर्चा की गई। इसमें 7 अगस्त को बंधु तिर्की एवं प्रदीप यादव से समय लेकर प्रदेश कमेटी के स्थानीय सदस्य, जिला कमिटी सदस्य एवं सक्रिय सदस्य वार्ता करेंगे।
तीन सितंबर की वार्ता विफल होने के बाद हड़ताल को बनाए रखने का सभी प्रखंडों ने समर्थन किया। लिखित सहमति पत्र मिलने पर ही हड़ताल तोड़ने की बात कही गई है। अंत में तमाड़ प्रखंड के दिवंगत धनंजय पुरान की मृत्य पर शोक व्यक्त करते हुए सभा समाप्त हुई।
(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)
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