मेरे लिए आज शुरू हुआ नया साल: फैसले पर बिलकिस बानो

(सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति बी.वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सोमवार को बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या के अभियुक्त 11 लोगों को दी गई छूट को रद्द कर दिया। इसके साथ ही बिलकिस के पक्ष में यह एक बड़ा फैसला आया है। जिससे न केवल गुजरात सरकार घेरे में आयी है बल्कि केंद्र की भूमिका भी सवालों के घेरे में खड़ी हो गयी है। फैसले के बाद बिलकिस बानो ने एक लिखित बयान जारी किया है। पेश है उनका पूरा बयान-संपादक)

असल में आज मेरे लिए नया साल शुरू हुआ है। मेरी आंखें राहत के आंसुओं से भीग गई हैं। पिछले डेढ़ साल में आज पहली बार मेरे चेहरे पर मुस्कान आई। मैंने अपने बच्चों को गले लगाया और मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे सीने से पहाड़ जितना बड़ा पत्थर आज उतर गया। अब मैं सांस ले पा रही हूं। यही न्याय का एहसास है। मेरे लिए, मेरे बच्चों और हर जगह की हरेक महिला के लिए समान न्याय का समर्थन करने और उम्मीद की रौशनी के वादे के लिए मैं भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय का शुक्रिया अदा करती हूं।

मैंने पहले भी कहा और आज फिर से कह रही हूं कि जिस तरह की मेरी यात्रा रही है उस पर अकेले नहीं चला जा सकता। मेरी इस यात्रा में मेरे पति और मेरे बच्चे हमेशा मेरे साथ रहे। मेरे साथ मेरे दोस्त थे जिन्होंने इतने नफरत के समय में मुझे बहुत सारा प्यार दिया, और हर मुश्किल मोड़ पर मेरा हाथ थामे रखा। मेरे साथ मेरी बेहतरीन वकील, एडवोकेट शोभा गुप्ता हैं जो पिछले 20 सालों से मेरे साथ मजबूती और दृढ़ता के साथ चल रही हैं और जिन्होंने न्याय के प्रति मेरी उम्मीद को कभी खोने नहीं दिया। 

डेढ़ साल पहले, 15 अगस्त, 2022 को वे लोग, जिन्होंने मेरे परिवार को खत्म कर दिया और मेरे अस्तित्व को आतंक से भर दिया था, उन्हें पूरी सज़ा से पहले ही छोड़ दिया गया, उस वक्त मैं टूट गई थी। मुझे लगा कि साहस का मेरा भंडार खत्म हो गया है, लेकिन तब तक ही, जब तक लाखों की संख्या में लोगों की एकजुटता मेरे पास नहीं आई थी। हजारों की संख्या में भारत के आम नागरिक और महिलाएं आगे आए।

वो मेरे साथ खड़े रहे, मेरे पक्ष में बोले और सर्वोच्च न्यायालय में पीआईएल भी दर्ज की। हर जगह से 6000 लोगों ने और मुंबई से 8,500 लोगों ने अपीलें लिखीं; 10,000 लोगों ने खुला पत्र लिखा, साथ ही कर्नाटक के 29 जिलों के 40,000 लोगों ने भी लिखा। इनमें से हरेक व्यक्ति की एकजुटता एवं उनके ताकत के प्रति मैं बहुत आभार व्यक्त करती हूं। आपने मुझे लड़ने की शक्ति दी, ताकि न सिर्फ मेरे लिए बल्कि भारत की हर महिला के लिए न्याय पाने का विचार बचा रहे। आप सभी का बहुत शुक्रिया।

अब, जब मैं अपने और अपने बच्चों के जीवन के लिए इस फैसले के अर्थ को पूरी तरह समझने की कोशिश कर रही हूं, मेरे दिल से जो आज दुआ निकल रही है वह बहुत सरल है – सब कुछ से ऊपर कानून हो और कानून की नज़र में सभी बराबर हों। 

                                                बिलकिस बानो, 8 जनवरी, 2024

                                           (एडवोकेट शोभा गुप्ता के माध्यम से जारी।)

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