छात्रों का मोबाइल-लैपटॉप उठा ले गई एनआईए टीम, छापेमारी के विरोध में छात्रों-बुद्धिजीवियों ने किया प्रदर्शन

वाराणसी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पांच सितंबर 2023 को वाराणसी, चंदौली, प्रयागराज, देवरिया और आजमगढ़ में भगत सिंह छात्र मोर्चा से जुड़े छात्रों और कुछ सक्रिय सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं के घरों पर छापा मारा। वाराणसी में एनआईए (NIA) की टीम ने भगत सिंह छात्रमोर्चा (BSM) के दफ्तर पर छापेमारी कर कई छात्रनेताओं के मोबाइल और लैपटॉप को जब्त कर लिया।

सरकार के इस फासीवादी रवैये के खिलाफ बीएचयू के छात्र-छात्राओं एवं वाराणसी के बुद्धिजीवियों ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मोदी सरकार को डर है कि 2024 में सत्ता उनके हाथ से चली जायेगी उसी को बचाने के लिए सरकार अपने तमाम एजेंसियों के माध्यम से तमाम छात्र संगठनों और सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं को निशाने पर ले रही है और उन्हें डराने की कोशिश कर रही है।

भगत सिंह छात्र मोर्चा से जुड़े छात्रों के घर पहुंची एनआईए की टीम

पांच सितंबर 2023 की सुबह 5.30 बजे एनआईए (NIA) की टीम ने भगत सिंह छात्रमोर्चा (BSM) के पदाधिकारियों के कमरे पर तलाशी लेने पहुंची जिसमें अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद और सह सचिव सिद्धि बिस्मिल और सचिव इप्शिता रहतीं हैं। इस टीम में एनआईए लखनऊ से रश्मि शुक्ला, एनआईए पटना से राकेश कुमार मिश्रा, एनआईए रांची से एक आईटी एक्सपर्ट शामिल थे। टीम का नेतृत्व रश्मि शुक्ला कर रही थीं।

एनआईए की टीम में थे कई संदिग्ध, पूछने पर भी नहीं बताया नाम

टीम में 2 महिला सब इंस्पेक्टर, 10 महिला कांस्टेबल, 2 लखनऊ से आये हुए गवाह, 1 सादी वर्दी में कोई पुलिस अधिकारी, और एक सादी वर्दी में संदिग्ध व्यक्ति था जो अपनी पहचान कई बार पूछने पर भी नहीं बता रहा था। इसके अलावा लंका थाने से ब्रिज कुमार मिश्रा और करीब 10 की संख्या में पुलिसकर्मी थे। इसके अलावा ACP प्रवीण सिंह लगभग 10 अन्य बड़े अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के साथ आये। कुल मिलाकर 40-50 पुलिसकर्मी कमरे के अंदर बाहर मौजूद थे। इसके अलावा कई इंटेलीजेंस के लोग भी पहुंचे हुए थे।

बीएसएम के लोगों का कहना है कि एनआईए की टीम ने आते ही सर्च वारंट दिखाया कि माओवादी होने और उनके फ्रंटल संगठन होने के शक पर वह हमारे सामान, कैमरे, लैपटॉप, मोबाइल आदि को सर्च करने आए हैं। सर्च वारंट पढ़ने के बाद इस झूठे और भ्रामक आरोप के कारण हमनें इसमें हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इसके तुरंत बाद उन्होंने आकांक्षा का मोबाइल फ्लाइट मोड में डाल कर आईटी एक्सपर्ट एनआईए के अधिकारी को दे दिया। उन्होंने आकांक्षा का फ़ोन अपने साथ लाए हुए लैपटॉप में लगा लिया और कुछ भी बताने से इनकार कर रहे थे।

एनआईए की टीम आकांक्षा आजाद का फोन अपने साथ ले गई

एनआईए की टीम ने इस फोन जिसमें 2 सिम और SD कार्ड हैं, उसे अपने साथ ले गयी है। हमें पूरी आशंका है कि एनआईए अपनी तरफ से मोबाइल फ़ोन में कुछ छेड़छाड़ कर सकती है और कुछ इम्प्लांट कर सकती है। जैसा उन्होंने भीमा कोरेगांव केस में किया है क्योंकि फ़ोन को लैपटॉप में लगाकर उनकी टीम क्या कर रही है इसके बारे में वह कुछ भी नहीं बता रहे थे। यह पूछने पर की क्या वह डेटा ट्रांसफर कर रहे है इसपर भी उन्होंने इनकार कर दिया।

इसके बाद उन्होंने सबसे पहले आकांक्षा आज़ाद के कमरे की तलाशी लेनी शुरू की जिसमें हर एक कॉपी, डायरी, किताब, कपड़े, बैग, सूटकेस, रजाई-कम्बल की जांच करनी शुरू कर दी। कॉपी-डायरी में एक-एक अक्षर की जांच की और उससे जुड़े सवाल करते रहे। और उनके आधार कार्ड का फोटो भी अपने साथ ले गयी है।

पूरे कमरे का सामान इधर उधर फेंक देने के बाद उन्होंने सिद्धि और इप्शिता के कमरे में जाकर तलाशी ली। जिसमें डायरी, कॉपी, किताब की जांच की। इस दौरान उन्होंने पत्रकार रूपेश कुमार की रिहाई मांग करते हुए पोस्टर देख कर और कैमूर से गिरफ्तार रोहित और सर्व सेवा संघ से जुड़े पोस्टर को देख कर उनसे जुड़े कुछ सवाल किए। दस्तक मैगज़ीन देखकर सीमा आज़ाद और विश्वविजय पर कुछ जानकारी ली।

उसके बाद इप्शिता का लैपटॉप और सिद्धि के मोबाइल की मैन्युअली जांच की। रश्मि शुक्ल सिद्धि के फ़ोन के चैट्स पर भी सवाल कर रही थीं कि आपने ऐसा क्यों लिखा, उन्होंने ऐसा क्यों लिखा आदि। ओबीसी रिज़र्वेशन के आन्दोलन पर भी पूछताछ किया।

इसके बाद फिर से आकांक्षा के कमरे में आकर उनके लैपटॉप की जांच करनी शुरू की जो लगभग डेढ़ घण्टे तक चली।

सवाल जवाब में उन्होंने संगठन के आर्थिक स्त्रोत और हम तीनों के खर्चे से जुड़े सवाल किए। घर में आय का साधन पर पूछताछ की। उसके बाद उन्होंने इप्शिता के बैंक एकाउंट से जुड़े कुछ सवाल किए। बातचीत के दौरान दोनों पदाधिकारियों की जाति जानने पर उनका विशेष जोर था।

एनआईए हमारे संगठन का अखबार ‘मशाल’ का 2 अंक, सीमा आज़ाद द्वारा निकाले जाने वाला ‘दस्तक’ का 3 अंक, गांव चलो अभियान का सर्कुलर (2018-2019), BSM का चंदा कलेक्शन का रसीद, पुराने कार्यक्रमों के कॉन्टैक्ट्स, BSM के GVC के पुराने कॉन्टैक्ट्स, मजदूर किसान एकता मंच (नया नाम मेहनतकश मुक्ति मोर्चा) का पुराना पर्चा आदि उठा कर ले गयी है।

इस दौरान सिद्धि और आकांक्षा को पूरी तरह हाउस अरेस्ट करके रखा गया था। बिल्डिंग में अंदर आने-जाने पर पूरी पाबंदी लगा दी गई थी। संगठन के 3-4 साथी जब उनके बिल्डिंग में पहुंचे तो उनके साथ बदतमीजी की गई और उनका फ़ोन छीन लिया गया। संगठन के उपाध्यक्ष को कैरियर बर्बाद करने की धमकी देते हुए उनके साथ मारपीट भी किया गया।

छात्र-छात्राओं एवं बुद्धिजीवियों ने एनआईए द्वारा किए गए छापेमारी का किया विरोध

वाराणसी के छात्रों औऱ बुद्धिजीवियों ने भगतसिंह छात्र मोर्चा और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं के घरों पर एनआईए के छापेमारी पर विरोध-प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने इसे केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा 2024 के चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि यह राजनीतिक विरोधियों की आवाज को बल पूर्वक दबाने के लिए किया जा रहा है। NIA, ED, ATS जैसे तमाम एजेंसियां मोदी सरकार की बी टीम बन चुकी हैं जो सिर्फ विरोधियों को दबाने का काम कर रही हैं। यह तलाशी एक बनी बनाई साज़िश का हिस्सा है। इनका मुख्य उद्देश्य जनता के मन में डर बैठाना है।

सरकार के इस फासीवादी रवैये के खिलाफ बीएचयू के छात्र छात्राओं और वाराणसी के बुद्धिजीवियों ने कहा कि मोदी सरकार को सत्ता जाने का डर सता रहा है। सत्ता बचाने के लिए सरकार अपने तमाम एजेंसियों के माध्यम से तमाम छात्र संगठनों और सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं को निशाने पर ले रही है और उन्हे डराने की कोशिश कर रही है।

क्रांतिकारी गीत से हुई प्रतिरोध सभा की शुरुआत

सबसे पहले BSM की सह सचिव सिद्धि बिस्मिल ने अपनी बात रखते हुए एनआईए द्वारा किए गए पूरे पूछताछ को विस्तार में समझाया। उन्होंने कहा एनआईए का व्यवहार पूछताछ के दौरान बहुत खराब था और उन्होंने कहा की एनआईए के कुछ लोगों ने उनके साथियों के साथ गुंडागर्दी की और बीएसएम के उपाध्यक्ष आदर्श को थप्पड़ भी मारा। सिद्धि ने अपनी बात रखते हुए अंतिम में कहा की सरकार चाहे कितना भी दमन क्यों न कर ले हम डरने वाले नहीं है।

उसके बाद एपवा (AIPWA) की कुसुम वर्मा ने अपनी बात रखते हुए मोदी सरकार के इस दमनकारी नीति का विरोध करते हुए कहा कि अलोकतांत्रिक ढंग से छात्र-छात्राओं पर इतना गंभीर आरोप लगाना और उन्हें माओवादी से जोड़कर देखना सरकार के डर को दिखाती है।

ट्रेड यूनियन की तरफ से वी के सिंह ने बात रखते हुए छात्र-छात्राओं पर एनआईए द्वारा लगाए गए आरोप पर कहा कि भगत सिंह के वारिस किसी सरकार से डरने वाले नहीं है क्योंकि भगत सिंह के खिलाफ भी अंग्रेजी सरकार ने दमनकारी कानून का प्रयोग किया था।

भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के सदस्य अनुपम ने भी विस्तार से बात रखी और कहा एनआईए जैसी संस्था बीजेपी की कठपुतली बन गई है जो सिर्फ सरकार के इशारे पर नाचती है। उन्होंने कहा सरकार की सारी पुलिस और कानून बृजभूषण सिंह और अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ क्यों जांच नहीं करती है। उन्होंने कानून व्यवस्था, न्यायलय और पुलिस के कार्य करने के तरीके पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया।

कार्यक्रम का संचालन बीएसएम की सचिव इप्शिता ने किया। उन्होंने कैमूर मुक्ति मोर्चा के रोहित की रिहाई की मांग की और बाघ अभ्यारण के नाम पर आदिवासियों को बेघर करने का भी विरोध किया। इप्शिता ने पुलिस प्रशासन के चरित्र पर सवाल करते हुए कहा कि जब भी बीएचयू के कैंपस में कुछ गलत होता है तब वहां पुलिस प्रशासन इतनी सक्रिय नहीं दिखती है। लेकिन जब कुछ छात्र-छात्राएं अन्याय के खिलाफ विरोध करते हैं तब उन्हें हटाने के लिए आ जाती है।

पुलिस प्रशासन का रवैया पूरे कार्यक्रम के दौरान गुंडों जैसा था क्योंकि उन्होंने धमकी देते हुए छात्र छात्राओं को केवल आधे घंटे के अंदर विरोध प्रदर्शन खत्म करने को कहा। पुलिस आधे घंटे से पहले ही विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों के साथ धक्का-मुक्की करके उन्हें हटाने लगी और महिलाओं के साथ भी गलत शब्दों का प्रयोग किया। छात्र छात्राओं ने भी आक्रोशित होकर सरकार, एनआईए और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

(वाराणसी से पवन कुमार मौर्य की रिपोर्ट।)

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