Friday, April 26, 2024

अब और कितने सुबूत चाहिए बृजभूषण को गिरफ्तार करने के लिए?

चार गवाहों ने बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ लगाये आरोपों की पुष्टि की है। दिल्ली पुलिस द्वारा गठित एसआईटी ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड और कर्नाटक राज्यों के कुल 158 लोगों की सूची बनाकर उनके बयान दर्ज करने और सुबूत जुटाने का प्रयास किया। 

अभी तक 125 लोगों से इस बाबत पूछताछ की जा चुकी है। इनमें से 2 भारतीय पहलवान, 1 प्रतिष्ठित रेफरी और 1 राज्य स्तर के कोच ने बृजभूषण के खिलाफ लगाये गये आरोपों की पुष्टि की है। कोच ने जहां कहा है कि कथित घटना के 6 घंटे बाद ही महिला खिलाड़ी ने उन्हें इस बारे में अवगत कराया था, वहीं रेफरी ने बताया कि वे इन आरोपों के बारे में जानते थे। 

कल के इंडियन एक्सप्रेस के खुलासे के बाद दिनभर देश में जो कोहराम मचा, और 1983 की एक दिवसीय प्रूडेंशियल विश्व कप विजेता टीम का बयान आया, और देशभर में हर तरफ से थू-थू होनी शुरू हो गई, उन सबने केंद्र सरकार और भाजपा को मजबूर कर दिया कि वह बृजभूषण सिंह को आगे से प्रेस और मीडिया में गैर-जरुरी बयानबाजी से बचने और प्रस्तावित 5 जून की अयोध्या रैली को स्थगित करने का निर्देश देने के लिए बाध्य कर सकी। 

इसका तत्काल असर दिखाई दिया, और साधू-संतों के साथ संत-समागम की शर्मनाक हरकत होते-होते रह गई, वरना भाजपा के लिए उसके बाद बृजभूषण सिंह से पीछा छुड़ाना किसी हाल में संभव न हो पाता।

आज के इंडियन एक्सप्रेस में फ्रंट पेज पर इन गवाहों के मार्फत नए खुलासे आये हैं, जो इस प्रकार हैं: 

तीन महिला खिलाड़ियों द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ लगाये गये आरोपों की पुष्टि एक ओलंपियन, एक कामनवेल्थ गोल्ड मेडलिस्ट, एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के रेफ़री और एक राज्य-स्तरीय कोच ने की है। अभी तक कुल 125 लोगों से एसआईटी की टीम ने पूछताछ की है। 

यह सब इसलिए संभव हो सका क्योंकि महिला खिलाड़ियों की लिखित शिकायत के बावजूद जब दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में हीला-हवाली दिखाई, तो मजबूरन उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगानी पड़ी थी। सुप्रीमकोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। आखिरकार 28 अप्रैल को 2 एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें से एक पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज की गई थी। 

प्राथमिकी में यौन उत्पीड़न के करीब 15 घटनाओं का जिक्र किया गया है, जिसमें से दो में तो यौन संबंधों के बदले में व्यावसायिक पक्षपोषण की पेशकश की गई थी। 10 मामलों में गलत इरादे से छूने, यौन दुर्व्यवहार, छाती पर हाथ फिराने, नाभि छूने सहित धमकाने एवं पीछा करने के उदाहरण शामिल हैं।

दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया “हम इस मामले की जांच या सबूत के बारे में नहीं बता सकते। अभी भी जांच चल रही है। एसआईटी मामले की जांच में जुटी है और हम अपनी रिपोर्ट को अदालत के सामने पेश करेंगे।”

ऐसी जानकारी मिल रही है कि एक शिकायतकर्ता के कोच ने एसआईटी को बताया है कि महिला पहलवान ने सिंह की हरकतों के बारे में उन्हें फोन कर 6 घंटे बाद ही बता दिया था। वहीं दूसरी तरफ दो महिला पहलवान खिलाड़ियों ने, जिनमें से एक ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले चुकी हैं और दूसरी कामनवेल्थ गेम में गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं, से जब दिल्ली पुलिस ने पूछताछ की तो उन्होंने दो पहलवानों के दावों की पुष्टि की है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि सिंह के द्वारा यौन उत्पीड़न की घटना के एक महीने बाद महिला खिलाड़ियों ने उन्हें इस बारे में जानकारी दी थी।

जबकि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के ख्यातिप्राप्त रेफरी ने दिल्ली पुलिस को दिए अपने बयान में कहा है कि घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए सफर के दौरान उन्होंने इन महिला पहलवान खिलाड़ियों की दुर्दशा के बारे में सुना था।

दिल्ली पुलिस को सरकार द्वारा बृजभूषण सिंह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए नियुक्त ‘ओवरसाईट कमेटी’ की रिपोर्ट भी मिल गई है, जिसे पूर्व मुक्केबाज मैरीकॉम की अध्यक्षता में गठित किया गया था। बताया जा रहा है कि एफआईआर दर्ज किये जाने के बाद से अब तक एसआईटी ने दो बार बृजभूषण से पूछताछ की है, जिसमें सिंह की ओर से अपनी संलिप्तता से इंकार किया गया। और दावा किया गया है कि उन्हें फंसाया जा रहा है। इसके अलावा एसआईटी ने भारतीय कुश्ती संघ के सचिव विनोद तोमर से भी 3-4 घंटे तक पूछताछ की है, जिन्हें 6 महिला खिलाड़ियों ने अपनी एफआईआर में सह-आरोपी बनाया है। 

6 महिला खिलाड़ियों, 1 नाबालिग और 4 गवाहों द्वारा इन आरोपों की पुष्टि के बाद भी दिल्ली पुलिस इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है कि बृजभूषण सिंह हिरासत में लिया जाये। सोशल मीडिया पर देश पूछ रहा है कि कल तक बृज भूषण शरण सिंह अपने खिलाफ ठोस सबूत मांग रहा था, आज जब इतने खुलासे दिल्ली पुलिस के पास मौजूद हैं तो वह किसके इशारे का इंतजार कर रही है। महिला खिलाड़ियों की यही तो मांग थी, जिसके लिए वे अपने कैरियर को दाव पर लगाकर 23 अप्रैल से जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रही थीं। 

( रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

जनचौक से जुड़े

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles