अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम छात्र योगी प्रशासन के निशाने पर

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भारत की 80% हिंदू आबादी जब होली मना रही थी और अपनों के साथ आनंद में डूबी हुई थी। उसी समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मुस्लिम हॉस्टल के छात्र रैन बसेरों में रात गुजार कर अपनी परीक्षा देने को मजबूर थे। वजह थी उमेश पाल हत्याकांड से संबंधित एक अभियुक्त का तथाकथित रूप से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इस हॉस्टल से संबंधित होना। 

जिसके बाद बीच परीक्षाओं के दौरान बिना कुछ सोचे-विचारे मुस्लिम हॉस्टल को ईद तक सील कर दिया। हालांकि ये कोई पहली घटना नहीं है जिसमें हत्या जैसे मामलों में इविवि के किसी हॉस्टल का नाम आया है। इससे पहले भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ही पीसीबी और ताराचंद हॉस्टल में हत्या जैसी वारदातें हुईं लेकिन दोनों ही मामलों में हॉस्टल सील नहीं हुए। इविवि में अभी स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं और लॉ के असाइनमेंट चल रहे हैं। 

ऐसे में छात्रों के हॉस्टल को एकाएक सील कर देने और किताबों के कमरे में होने से छात्र बड़ी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। हालांकि हॉस्टल से अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, जो एक अपराधी की गिरफ्तारी हुई है वो उसके घर से हुई है।

हॉस्टल के वर्तमान हालात

हॉस्टल सील होते ही यहां कई दिनों तक भारी पुलिस लश्कर जमा रहा। हॉस्टल में पहले से सीसीटीवी कैमरे होने के बाबजूद दोनों रास्तों पर 8 से 10 नए कैमरे लगाए गए हैं। हॉस्टल के रास्ते को बंद करने के लिए हाल ही में प्रशासन ने विज्ञान संकाय के कटरा वाले मुख्य गेट के सामने दीवार खड़ी कर दी थी।

जिससे मुस्लिम हॉस्टल के छात्रों को उल्टे रास्ते से जाना पड़ता था। लेकिन दीवार बनने के उसी रात में ही विश्वविद्यालय के दूसरे समुदायों के छात्रों ने सांप्रदायिक उन्माद की साजिशों के खिलाफ गजब की एकता दिखाते हुए उसको तोड़ दिया। 

अभी मुस्लिम हॉस्टल में पूरी तरह से भय का माहौल बना हुआ है। पुलिस प्रशासन विश्वविद्यालय प्रशासन की शह पर छात्रों को धमका रहा है। उनसे कहा जा रहा है कि विरोध करोगे तो जिंदगी बर्बाद कर देंगे। धमकियों में जिला प्रशासन छात्रों को मां- बहन की गालियां देते हुए हॉस्टल गिरा देने की धमकी दे रहा है।

चूंकि अभी उमेश पाल हत्याकांड का केस भी खुला तो किसी भी प्रकार के प्रोटेस्ट या विरोध पर उस केस में घसीट लेने की धमकी भी जिला प्रशासन छात्रों को दे रहा है। पुलिस प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन दोनों ही पूरी तरह संघ के साम्प्रदायिक भावना से ओतप्रोत हो मुस्लिम छात्रों को प्रताड़ित कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों पर महिला प्रोफेसर के साथ छेड़खानी का आरोप भी लगाया है, जो उस रास्ते से जाती हैं। जबकि मुस्लिम हॉस्टल के सामने से आए दिन रात 12 बजे के बाद तक हॉस्पिटल की नर्स वगैरह गुजरती हैं पर अभी तक किसी छेड़खानी का मामला सामने नहीं आया है। सच यह है कि छात्रों के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर दहशत का माहौल बनाया जा रहा है।

हालात ये है कि कोई पीड़ित मुस्लिम छात्र अपना नाम बताने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। नाम न बताने की शर्त पर कुछ छात्र बात करने के लिय तैयार हुए तो उनमें से एक छात्र ने कहा कि हमारे पेपर चल रहे हैं और हॉस्टल सील के नोटिस के वक्त हम घर से पेपर के लिए आए तो हमें अपने रूम में नहीं जाने दिया गया।

हम आने के बाद एक रात अपने दोस्त के हॉस्टल,एक रात सलोरी, दो रातें अपने हॉस्टल के बाहर जमीन पर और एक रात प्रयागराज जंक्शन के पास के रैन बसेरे में 40 रूपए देकर गुजारी।

वहीं दिन में पेपर देकर और हॉस्टल खुलवाने की जद्दोजहद में दौड़ते हुए गुजारे। उन्होंने बताया कि हमारी सारी किताबें कमरे में ही सील थीं, ऐसे में हमारे पेपर कैसे हुए होंगे, ये आप खुद ही समझिए।” कोई कमरा किराए पर क्यों नहीं ले लेते। यह सवाल पूछने पर उनका कहना था कि जब मकान मालिकों को हम यह बताते हैं कि हम इलाहाबाद मुस्लिम हॉस्टल के छात्र हैं, तो वे हमें आतंकवादियों की तरह देखने लगते हैं और हमें कमरा देने से मना कर देते हैं।

अपने हॉस्टल के अपने ही रूम में लौटने की प्रक्रिया

5 मार्च के नोटिस के बाद किसी को हॉस्टल आने की अनुमति नहीं थी। भारी पुलिस बल की तैनाती में सारे कमरे सील थे और सारी पढ़ाई सामग्री उसी में बंद थी। इसके बाद छात्रों ने जिलाधिकारी कार्यालय और थाने तक में धरना, ज्ञापन दिया तो छात्रों को प्रवेश की अनुमति दी गई। उसके लिए उनको कबूलनामों के एक दौर से गुजरना होगा।

छात्र को वापस अपने कमरे में आने के लिय एक हलफनामा, एक लिखित में शपथ-पत्र देना होगा कि वो कोई अपराध नहीं करेगा। इसके अलावा विश्विद्यालय शुल्क पत्र और विश्विद्यालय पहचान पत्र भी साथ में लगाना होगा। फिर इसको हॉस्टल प्रशासन,विश्विद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन को प्रेषित कराना होगा। 

इस हलफनामे और कबूलनामे का सीधा सा मतलब यह निकलता है कि पुलिस प्रशासन ये मानता है कि मुस्लिम हॉस्टल पेशेवर अपराधियों का अड्डा है। अगर ये बात ठीक है तो फिर जिला प्रशासन मुस्लिम हॉस्टल के “अपराधियों”(ज़िला प्रशासन के अनुसार) के खिलाफ सबूत दे।

इसी मुस्लिम हॉस्टल से पिछले साल 10 से ज्यादा नेट- जेआरएफ, 2 पीसीएस, 1 एसआई और तमाम दूसरी सेवाओं में छात्र गए, क्या वे सभ भी अपराधी थे। अगर प्रशासन सबूत नहीं दे सकता तो, इस हलफनामे का  सीधा सा मतलब है कि ये एक संप्रदाय विशेष के छात्रों को अकारण अपराधी ठहरा रहे हैं। ये वही काम है जो तथाकथित राजकीय फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” ने किया।

मेधावी छात्रों का मुस्लिम हॉस्टल भाजपा और संघ की सांप्रदायिक राजनीति की भेंट चढ़ा जा रहा है उस हॉस्टल के छात्र मात्र अपने धर्म की वजह से आज रैन बसेरों में सो रहे है। हालांकि बकौल एक छात्र ये मुस्लिम हॉस्टल के छात्रों की परेशानियों की शुरूआत मात्र लग रही है, अभी आगे बहुत कुछ होना बाकी है।

( देवेन्द्र आजाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीति छात्र के स्नाकोत्तर छात्र हैं।)

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