Friday, April 26, 2024

पंजीकरण कराते ही बीजेपी की अमेरिकी इकाई ओएफबीजेपी आयी विवाद में, कई पदाधिकारियों का इस्तीफा

अमेरिका में 29 साल से कार्यरत रहने के बाद ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (ओेएफबीजेपी) ने 27 अगस्त, 2020 को औपचारिक रूप से “फोरेन एजेंट“ के रूप में अपना पंजीकरण करवाया।

यह पूछने पर कि ऐसा करने की आवश्यकता क्या थी, ओएफबीजेपी उपाध्यक्ष अदपा प्रसाद ने मुझे बताया, “हमें एफएआरए नियम के बारे में हाल में पता चला औेर उसकी समीक्षा के बाद हमने सोचा कि हमें स्वेच्छा से पंजीकरण करवाना चाहिए।“ एफएआरए अर्थात फोरेन एजेंट्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1938 का कानून है, अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) के अनुसार, “विदेशी सिद्धांतों के एजेंटों को, जो कानून के तहत निर्दिष्ट राजनीतिक अथवा अन्य गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं, विदेशी सिद्धांतों, गतिविधियों, प्राप्तियों और खर्च इत्यादि के बारे में समय-समय पर सार्वजनिक खुलासे करने होते हैं।“ दूसरे शब्दों में, अमेरिका में बसे लोग जो भाजपा के लिए लॉबिंग करते हैं, उन्हें अपना खर्च, फंड के स्रोत और अमरीका में चुने प्रतिनिधियों के साथ बैठकों समेत गतिविधियों का खुलासा करना होता है।

ओएफबीजेपी पंजीकरण ने संगठन में काफी हलचल मच गई है। यह वह संगठन है जिसने भारत में भाजपा के चुनावी अभियान के लिए विशाल ओवरसीज समर्थन बनाया और विदेश में पार्टी के एजेंडा का प्रमुख पैरोकार रहा।

भाजपा की ओवरसीज शाखा के पंजीकरण के चार दिन बाद, इसके अध्यक्ष कृष्णा रेड्डी अनुगुला जो 2016 से पद पर थे, ने अपना इस्तीफा दे दिया। प्रसाद ने बताया, “कृष्णा रेड्डी जी ने पारिवारिक कारणों से इस्तीफा दिया है और वर्तमान उपाध्यक्ष होने के कारण मैंने कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पद संभाला है।“ उन्होंने हालांकि संकेत दिया कि “कोई और कारण“ भी है हालांकि उसके विस्तार में वह नहीं गये। एक दूसरे इंटरव्यू में ओएफबीजेपी के हाऊसटन चैप्टर के संयोजक अचलेश अमर ने संकेत दिया कि वह समूह में नहीं हैं और बताया, “हाल में कई परिवर्तन हुए हैं।“

परिवर्तनों में यह अफवाहें शामिल हैं कि डीओजे समूह की तहकीकात कर रहा है। डीओजे प्रवक्ता मार्क रायमोंडी ने पूछने पर बताया, “हम न पुष्टि करते हैं न इंकार करते हैं आपराधिक जांच के अस्तित्व का।“

आरोप सबसे पहले 9 सितंबर को सामने आये जब उप्पासला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अशोक स्वैन ने दावा किया कि, “यह समाचार दबाने के गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं।“

तमिलनाडु में 2019 में बीजेपी के लिए प्रचार करने वाले शिकागो के ओएफबीजेपी कार्यकर्ता विजय प्रभाकर से प्राप्त व्हाट्सएप संदेशों में दावा किया गया है, “ओएफबीजेपी यूएसए ने अपनी सारी गतिविधियां निलंबित कर दी हैं और अध्यक्ष ने “अचानक इस्तीफा दिया“ क्योंकि डीओजे की तरफ से ‘जांच चल रही है।“

ओएफबीजेपी ने तुरंत इसका आधिकारिक रूप से खंडन किया और घोषणा की कि, “यह पूरी तरह से कार्यरत है और कोई जांच नहीं हो रही।।“ हालांकि ओएफबीजेपी के सहयोगी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओवरसीज शाखा हिंदू स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता स्वदेश कटोच के व्हाट्सएप संदेश इस खंडन के विपरीत हैं।

एक अज्ञात स्रोत की तरफ से मुहैया कराये संदेशों में कटोच, यह पूछे जाने पर कि क्या कोई जांच चल रही है, कहते हैं, “हां, मैंने ऐसा सुना है।“ वह आगे कहते हैं, “ओएफबीजेपी के लोग नहीं जानते कि राजनीति और हिमायत में क्या फर्क है। उन्होंने सीमा का उल्लंघन किया और बिना समझे हिमायत शुरू की। यह ओएफबीजेपी की गलती थी। अमेरिकी कानूनों के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते।“ ओएफबीजेपी के संगठन सचिव वासुदेव पटेल के बारे में कटोच कहते हैं, “वह भी संकट में हैं।।“ कटोच के अनुसार उन्हें लगता है कि समूह ने वकील लगाये हैं और उन पर शायद एफएआरए नियमों के उल्लंघन को लेकर आर्थिक जुर्माना लग सकता है।

संस्थापक मुकुंद मोदी ने 2004 में एक इंटरव्यू में बताया था कि समूह ‘भाजपा की नीतियों और विचारों के प्रचार व निहित स्वार्थी तत्वों के फैलाए दुष्प्रचार का जवाब देने के‘ उद्देश्य से मार्च 1991 में गठित किया गया था। उन्होंने बताया, “हमारी सदस्यता की तीन श्रेणियां हैं: 200 सक्रिय सदस्य, 2,000 सदस्य और 20,000 से ज्यादा सिंपैथाइजर।“

भाजपा विदेशी मामलों के विभाग के पूर्व प्रमुख विजय जॉली जो तब ओएफबीजेपी के प्रभारी थे, ने 2015 में कहा था, “हम विदेशों में रहने वाले जितने भारतीयों से संपर्क बना सकते हैं और उन्हें भाजपा विचारधारा में शामिल कर सकते हैं, करना चाहिए।“ अगस्त 2014 में अटलांटा, जॉर्जिया में एक भाषण में जॉली ने दावा किया था कि उनके नेतृत्व में ओएफबीजेपी अमेरिका और यूके की दो अंतरराष्ट्रीय इकाइयों से फैलकर 41 देशों में शाखाएं शुरू कर चुकी थी। उन्होंने कहा था, “यदि ग्रीनलैंड में एस्कीमोज़ के साथ दो भारतीय भी होते होंगे तो विजय जॉली ने उन्हें फोन किया होगा।“

ओएफबीजेपी ने नरेंद्र मोदी के 2014 के चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाई थी।

मास मोबिलाइजेशन के लिए जमीनी कार्य 2011 में शुरू हो गया था, जब ओएफबीजेपी ने न्यू जर्सी और टेक्सास में “अपनी तरह के पहले‘ प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया था, जिनका संचालन तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के राजनीतिक सलाहकार ने किया था।

2013 में तत्कालीन भाजपा उपाध्यक्ष स्मृति ईरानी ने फ्लोरिडा में वार्षिक सम्मेलन उद्घाटन किया था। मोदी, जिन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये दर्शकों को संबोधित किया, ने उनसे आने वाले चुनाव में “एक अर्थपूर्ण भूमिका“ निभाने की अपील की और कहा था, ‘‘जैसे ही मैं अपना यह भाषण समाप्त करूं, आप शुरू हो जाएं।“

तत्कालीन ओएफबीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पटेल ने कहा कि “लगभग 5,000 अनिवासी भारतीय- राजनीतिक विश्लेषक दिलीप हीरो के अनुसार जिनमें से कुछ “भाड़े के स्वयंसेवी“ थे – अमेरिका से भाजपा के प्रचार के लिए आये थे। अमेरिका में, ओएफबीजेपी ने मोदी के समर्थन में 200 से ज्यादा “चाय पे चर्चा“ का आयोजन किया और एक “भारतीय-अमेरिकी स्वयंसेवियों की फौज“ का गठन किया था, अपने देश में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को फोन करने के लिए।

पटेल के अनुसार, “हर स्वयंसेवी से कम से कम 200 कॉल करने की अपेक्षा थी।“

 मई 2019 के चुनाव से पहले, अनुगुला की रिपोर्ट के अनुसार 1,000 से अधिक स्वयंसेवी फोन बैंक से जुड़े थे भारतीय मतदाताओं को “दस लाख से अधिक फोन“ करने के लिए। जब मोदी फिर से चुनाव जीते तो समूह ने अमेरिका में कम से कम 20 शहरों में जीत की खुशी में पार्टियों का आयोजन किया। पिछले साल में समूह ने इलिनोइस, न्यू जर्सी और कैलिफोर्निया समेत विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रमों में भाजपा पदाधिकारियों की मेहमानवाजी की है।

पत्रकार सौम्या शंकर की रिपोर्ट के अनुसार इस समय ओएफबीजेपी 46 देशों में सक्रिय है औैर अमेरिका में इसका 2,000 पंजीकृत सदस्य और 5,000 समर्थक होने का दावा है।“

इस साल की शुरुआत ओएफबीजेपी वेबसाइट पर इसके 10 सदस्यों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, 21 सदस्यों की राष्ट्रीय समिति, 38 सदस्यों की राष्ट्रीय परिषद और 17 प्रांतों में शाखाओं की सूची थी। नेतृत्व की यह सूची अब वेबसाइट से हटा ली गई है और एक बयान है। इस पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी-यूएसए, पंजीकृत फोरेन एजेंट का एक बयान है।

भाजपा के रामजन्मभूमि आंदोलन के उभार के समय स्थापित, ओएफबीजेपी का उद्देश्य “पार्टी की प्रेस में हो रही नकारात्मक कवरेज को काउंटर करना था।“

एशियन स्टडीज़ विशेषज्ञ इसाक मैक्विसशन की रिपोर्ट के अनुसार, “इसका पहला कार्य बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद अमेरिकी सांसदों को घटनाओं के भाजपा वर्जन के फ्लायर भेजना था।“ इतिहासकार पद्मा रंगास्वामी के अनुसार पार्टी लाइन दोहराने के अलावा समूह पार्टी नेताओं के अमेरिकी दौरों की व्यवस्था करना और यह सुनिश्चित करना है कि वह उस समय प्रांतों के गवर्नर, सांसद, सरकारी विभागों के अधिकारियों जैसे सरकारी प्रतिनिधियों के साथ उस समय मिल सकें।

समूह के प्रारंभिक विकास का निरीक्षण भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी ने किया, जो 1992 में एक नई शाखा शुरू करने के लिए लॉस एंजिलिस गये थे। मोदी ने खुद भी ओएफबीजेपी के विकास में भूमिका निभाई थी। इतिहासकारों वाल्टर एंडरसन और श्रीधर दामले बताते हैं “भाजपा की तरफ से उन्हें (मोदी को) 1998 में समूह की गतिविधियों की समीक्षा के लिए भेजा गया था।“ जब वह 2002 के गुजरात दंगों के बाद अमेरिका में प्रतिबंधित हो गये, पत्रकार राजदीप सरदेसाई की एक रिपोर्ट के अनुसार “उनके ओएफबीजेपी समेत एनआरआई समर्थकों ने कैपिटल हिल पर जमकर लॉबिंग शुरू की थी।

2013 में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने वाशिंगटन डीसी का दौरा किया “अमरीकी सरकार से अपील करने के लिए कि गुजरात के मुख्यमंत्री का यूएस वीज़ा मंजूर करे।“ अमरीकी राजनीतिज्ञों में से एक जो उनसे मिलीं, उस मुलाकात में विजय जॉली भी उपस्थित थे, कांग्रेस वूमन तुलसी गाबार्ड थीं, जिन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से मजबूत कनेक्शन के आरोप थे।

उल्लेखनीय है कि गाबार्ड अगस्त, 2014 के एक कार्यक्रम में जॉली के अलावा एक वक्ता थीं, जहां जॉली ने ओएफबीजेपी को “ग्रीनलैंड के एस्कीमोज“ में भी फैलाने की बात की थी।

उन्होंने कहा था, “मैं देश भर में जगह-जगह सुन रही थी कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे। वह बन गये। क्यों? क्योंकि आप जैसे लोग खड़े हो गये और कहा, “हम ऐसा करके रहेंगे।“

जॉली जो गाबार्ड के बाद बोले, ने गाबार्ड को उनके आने वाले चुनाव के संबंध में बोला, “हमें यकीन है कि भारतीय मूल के लोगों, एनआरआई और अमेरिकी लोगों के समर्थन से इस साल के अंत में आपकी जीत तय है।“

कार्यक्रम में, गाबार्ड ने जॉली के साथ बीजेपी स्कार्फ पहने और मोदी की जीवनी हाथ में थामे एक तस्वीर खिंचवाई। यह दूसरा मौका था जब उन्होंने ओएफबीजेपी कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और बीजेपी स्कार्फ पहना था। पहला मौका जून 2014 में लॉस एंजेलिस में था। जनवरी 2020 में राष्ट्रपति के लिए प्रचार के समय पूछने पर उन्होंने जवाब दिया था, “किसी ने मेरे गले में कुछ डाल दिया और तस्वीर खींच ली, मैं नहीं जानती थी यह क्या था।“

ओएफबीजेपी के फोरेन एजेंट के रूप में पंजीकरण का मतलब है कि आगे चलकर, अमेरिका कि किसी भी चुने हुए अधिकारियों से ऐसे संवाद के बारे में अमरीकी सरकार को सूचित करना होगा।

बीजेपी की ओवरसीज विंग की बदली स्थिति का असर मोदी के भविष्य के अमरीकी दौरों पर भी पड़ेगा। एंडर्सन और दामले की रिपोर्ट के अनुसार “ओएफबीजेपी मोदी की रैलियों के आयोजन के लिए एचएसएस से मिलकर कार्य कर रही है।“

अमेरिका में, 2014 में; न्यूयॉर्क में, 2015 में; सैन जोस और हाऊस्टन में 2019 में मोदी की तीनों बड़ी रैलियों में ओएफबीजेपी नेतृत्व अथवा सहयोगी कार्यकर्ताओं की सांगठनिक संलिप्तता रही है। 2014 में ओएफबीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पटेल और रमेश शाह ने प्रमुख भूमिका निभाई, 2015 में ओएफबीजेपी के पूर्व अध्यक्ष चंद्रू भांभरा थे और 2019 में ओएफबीजेपी के पुराने कार्यकर्ता और एचएसस उपाध्यक्ष रमेश भुताडा (कार्यक्रम के एक संरक्षक), उनके बेटे ऋषि (कार्यक्रम के आधिकारिक प्रवक्ता) और उनके रिश्तेदार जुगल मलानी (कार्यक्रम के सभापति) की भूमिका थी।

स्थिति में बदलाव ओएफबीजेपी और बीजेपी में सीधा लिंक भी स्थापित करती है। जैसा कि एफएआरए पंजीकरण में कहा गया है, समूह “भाजपा पदाधिकारियों से नियमित संप्रेषण करता है और, समय समय पर, बीजेपी पदाधिकारियों के सीधे निर्देश या अनुरोध पर कार्यक्रमों की योजना बनाना या अमेरिका में सूचनात्मक सामग्री का वितरण जैसे काम करता है।“ कोई संदेह नहीं है कि ओएफबीजेपी, किसी न किसी हद तक बीजेपी से नियंत्रित है।

ओएफबीजेपी का भविष्य में जो भी हो –चाहे इसकी जांच हो रही हो या नहीं – इतना तय है (कम से कम अमेरिका में) बीजेपी की अंतरराष्ट्रीय विंग के रूप में कार्य नहीं ही कर पाएगा।

(पीटर फ्रेडरिक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं दक्षिण एशियाई मामलों के विश्लेषण में इनकी विशेषज्ञता है। वह “सैफर्न फासिस्ट्स: इंडियास हिंदू नेशनलिस्ट रूलर्स के लेखक हैं और कैप्टीवेटिंग द सिंपल हर्टेड : ए स्ट्रगल फॉर ह्यूमन डिग्निटी इन द इंडियन सबकांटीनेंट के सह-लेखक हैं। उनके बारे में अधिक जानकारी के लिए pieterfriedrich.net. देखें।)

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