बीमा कंपनियों के कार्यालयों को पुनर्गठन के नाम पर किया जा रहा है बंद

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नई दिल्ली। सार्वजनिक साधारण बीमा कंपनियों में GIPSA प्रबंधन द्वारा दक्षता, लाभदायक विकास और पुनर्गठन के लिए सलाहकार अर्न्स्ट एंड यंग (E&Y) का चयन किया गया था जबकि इस फर्म को CPA परीक्षा में धोखाधड़ी करने के लिए 100 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया था और उक्त समाचार 20 जून, 2022 को अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्रों जैसे द गार्जियन, यूएसए टुडे और विभिन्न अन्य समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था। इसके अतिरिक्त, इकोनॉमिक टाइम्स में 4 अप्रैल, 2023 को प्रकाशित समाचार के अनुसार, जर्मन ऑडिट वॉचडॉग ने वायरकार्ड घोटाले पर E&Y पर 2 साल के लिए सार्वजनिक हित की कंपनियों के लिए नए ऑडिट किए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था और फर्म पर 5,00,000 यूरो डॉलर का जुर्माना भी लगाया।

आज, यह गंभीर चिंता का विषय है कि डीएफएस के कुछ अधिकारियों के दबाव में, सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों का प्रबंधन सलाहकार E&Y की रिपोर्ट को आंख मूंदकर लागू कर रहा है और पुनर्गठन के नाम पर कार्यालयों को बंद व विलय कर रहा है तथा हड़बड़ी में KPI लागू कर रहा है और कर्मचारियों व अधिकारियों के अनावश्यक स्थानांतरण भी कर रहा है।

सार्वजनिक साधारण बीमा कंपनियों के कर्मचारी, अधिकारी, एजेंट, सर्वेक्षक और अन्य जुड़े हुए पेशेवर E&Y की रिपोर्ट का सिद्धांत रूप में विरोध करते रहे हैं।

यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सार्वजनिक साधारण बीमा कंपनियों के प्रबंधन ने कर्मचारियों, अधिकारियों और अन्य हितधारकों के साथ E&Y की पूरी रिपोर्ट साझा नहीं की है और एकतरफा तरीके से आगे बढ़ रहा है। भारत सरकार के मुख्य श्रम आयोग ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप किया और GIPSA प्रबंधन, DFS व सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के प्रबंधन को यूनियनों/एसोसिएशन और कल्याण संघों के साथ द्विपक्षीय चर्चा करने का दो बार निर्देश दिया, फिर भी उनके निर्देशों का उल्लंघन करके उनका अनादर किया गया।

यह अत्यंत ध्यान देने योग्य है कि 1,25,000 करोड़ से अधिक का कारोबार करने वाली वो सार्वजनिक साधारण बीमा कंपनियां गंभीर खतरे में हैं, जिन्होंने मौजूदा मॉड्यूल के साथ इस वित्तीय वर्ष में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है।

ये कंपनियां विभिन्न सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा कर रही हैं तथा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, आयुष्मान भारत योजना व विभिन्न सामाजिक योजनाओं में भरपूर योगदान दिया है और भारत सरकार को भारी लाभ और लाभांश दे रही हैं। इसके विपरीत निजी साधारण बीमा कंपनियों पर जीएसटी के भुगतान और फसल दावों के निपटान में अनियमितताओं के लिए गंभीर आरोप हैं और उन पर 15,000 करोड़ से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है।

ट्रेड यूनियनों और संघों के संयुक्त मंच ने संसद के 25 से अधिक विशिष्ट सदस्यों को इस सम्बंध में ज्ञापन सौंपा है और कई संसद सदस्यों ने माननीय वित्त मंत्री और भारत सरकार के वरिष्ठतम अधिकारियों से सार्वजनिक क्षेत्र की इन साधारण बीमा कंपनियों की रक्षा करने और उन्हें अधिक मजबूत करने के संबंध में न्यायसंगत कार्रवाई करने का आग्रह भी किया है। मुख्य श्रमायुक्त के हस्तक्षेप पर, ट्रेड यूनियनों और संघों के संयुक्त मंच ने 4 जनवरी और 29 मार्च को अपनी हड़ताल स्थगित कर दी थी, लेकिन सार्वजनिक साधारण बीमा कंपनियों का प्रबंधन और डीएफएस अधिकारियों द्वारा इस पर गंभीरता से संज्ञान नहीं लिया गया। ऐसी स्थिति में जनरल इंश्योरेंस इम्प्लायज आल इंडिया एसोसिएशन उक्त सलाहकार को काली सूची में डालने, उसकी रिपोर्ट को निरस्त करने तथा E&Y का सी.ए.जी. व वैधानिक ऑडिट कराने की मांग करता है।

जनरल इंश्योरेंस इम्प्लायज आल इंडिया एसोसिएशन, इस परिस्थिति में JFTU के साथ मिलकर आने वाले दिनों में अनवरत आंदोलन व संघर्ष के लिए मजबूर होंगे, जिसके लिए सार्वजनिक साधारण बीमा कंपनियों का प्रबंधन, GIPSA प्रबंधन और DFS के कुछ अधिकारी ही उत्तरदायी होंगे।

(जनरल इंश्योरेंस इम्प्लायज ऑल इंडिया एसोसिएशन की प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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