Saturday, April 27, 2024

चीन के विवादित नक्शे पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया, जयशंकर ने कहा-चीन की पुरानी आदत है

नई दिल्ली। चीन की ओर से जारी नक्शे में भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपने हिस्से में दिखाने पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बेतुके दावों से कोई इलाका उसका नहीं हो जाता है।

एनडीटीवी के जी-20 कन्क्लेव में उन्होंने कहा कि इस तरह के मानचित्रों को जारी करना चीन की पुरानी आदत है। उन्होंने कहा कि चीन इसके पहले भी इस तरह के नक्शे जारी कर उन क्षेत्रों पर दावा कर चुका है जो उसका नहीं है। और वे दूसरे देशों से जुड़े होते हैं। यह उसकी पुरानी आदत है। हम अपने इलाकों को लेकर बिल्कुल साफ हैं। यह सरकार इस बात को लेकर साफ है कि हमें अपने किन क्षेत्रों का बचाव करने की जरूरत है। यह 1950 से ही शुरू हो गया था…..हम अपने क्षेत्रों को लेकर बिल्कुल साफ हैं। मैं सोचता हूं कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। किसी बेतुके दावे से कोई क्षेत्र किसी दूसरे का नहीं हो जाता है। 

इसके पहले चीन ने सोमवार को एक नया मानचित्र जारी किया था। ऐसी खबरें आ रही थीं कि ब्रिक्स बैठक के बाद सीमा विवाद को लेकर चीन नर्म हुआ है लेकिन सोमवार को प्रकाशित मानचित्र ने उन सारे कयासों पर विराम लगा दिया है।

28 अगस्त को चीन ने मानक मानचित्र का 2023 का एक संस्करण जारी किया है। जिसमें भारत के कुछ अंगों जिस पर चीन पहले से दावा करता रहा है, को अपना हिस्सा बताया है। इस मानचित्र में उत्तर-पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीन की सीमाओं के भीतर दर्शाया गया है।

इस मानक मानचित्र को चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है। पहले के प्रकाशित नक्शे और चीन के पश्चिम और भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में अपने दावे के साथ चीन ने दक्षिण चीन सागर को कवर करने वाली तथाकथित नाइन-डैश लाइन को भी अपने नक्शे में दर्शाया है। इसके साथ ही पिछले मानचित्रों के अनुसार ही एक दसवां डैश लाइन ताइवान के पूर्व में रखा गया है, जो द्वीप पर बीजिंग के दावों को रेखांकित करता है।

अप्रैल में बीजिंग ने घोषणा की थी कि अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों को मानकीकृत किया जाएगा, और इन स्थानों में से राजधानी ईटानगर से सटा एक शहर भी शामिल है। अब चीन के द्वारा जारी किया गया मानक मानचित्र, इस घोषणा को अमल में लाने के बाद प्रकाशित किया गया है।

आपको बता दें कि चीन के द्वारा अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के “नाम बदलने” की ये तीसरी सूची है, और समीक्षक चीन की इस प्रतिक्रिया को भारत में आयोजित होने वाले जी-20 सम्मेलन के विरोध में देख रहे हैं। क्योंकि चीन ने भारत के जी-20 मेजबानी का विरोध किया था। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले जी-20 के शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भाग ले सकते हैं।

2023 मानक मानचित्र को जारी करने की वजह के बारे में बात करते हुए चीन के सरकारी मीडिया ने बताया कि चीन में यह “राष्ट्रीय मान चित्रण जागरूकता प्रचार सप्ताह” के मद्देनजर जारी किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, मानक मानचित्र 2023 को प्रकाशित करने के साथ प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने कहा है कि “स्थान-आधारित सेवाओं, प्रिसीजिन एग्रिकल्चर, प्लेटफ़ॉर्म इकोनॉमी और इंटेलिजेंट कनेक्टेड वेहिकल” जैसी कई और सेवाओं को मद्देनजर रखते हुए आने वाले समय में डिजिटल मानचित्र और नेविगेशन और पोजिशनिंग भी जारी किया जाएगा।

इस वर्ष पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के ‘सर्वेक्षण और मानचित्रण कानून’ की 30वीं वर्षगांठ है। जिसके पारित होने का उद्देश्य था, “सर्वेक्षण और मानचित्रण उपक्रम के प्रशासन को मजबूत करना, इसके विकास को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना कि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास, राष्ट्रीय रक्षा के निर्माण और समाज की प्रगति के लिए सेवा प्रदान करना है”।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रतिनिधित्व वाली सरकार ने सीमा क्षेत्रों से जुड़े कानूनों को और भी कड़े कर दिए हैं। 2022 में पारित सीमा कानून के तहत एक ऐसा कानून पारित किया गया जिसके तहत चीन में नागरिक और सैन्य अधिकारियों के सिलसिले में “राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा” की खातिर उनके लिए विभिन्न जिम्मेदारियों को सूचीबद्ध करता है। नाम बदलने का काम कानून के अनुच्छेद 7 से जुड़ता है, जो सरकार के सभी स्तरों पर सीमा शिक्षा को बढ़ावा देने का आह्वान करता है। अनुच्छेद 22 चीनी सेना को सीमा पर अभ्यास करने और “आक्रमण, अतिक्रमण और उकसावे” को “दृढ़ता से रोकने और मुकाबला करने” की बात करता है।

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