वाशिंगटन। अमेरिका को गाली देना आसान है और अमेरिका में लाख बुराइयाँ हैं भी। लेकिन मैं सोचता हूँ कौन सा मुल्क है जहाँ सत्ता पक्ष को चुनौती देने की यहाँ से अधिक आज़ादी है? फ़रवरी और मार्च की दस तारीख़ तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप कह रहे थे कि कोरोना वायरस का कोई ख़तरा नहीं है। जब हालात बिगड़ने लगे तो ट्रंप ने लाइन बदल ली और कहने लगे कि हम तो शुरू से कह रहे थे कि हालात ख़राब हो सकते हैं।
कल वाशिंगटन डीसी में ट्रंप की रोज़ाना की प्रेस कांफ्रेंस में सीएनएन के पत्रकार जिम अकोस्टा ने ट्रंप को सीधा चैलेंज कर डाला। ”देश के उन नागरिकों से आप क्या कहेंगे जो इस बात पर आप से नाराज़ हैं कि आपने उनसे लगातार झूठ बोला और कहा कि कोरोना वायरस से कोई ख़तरा नहीं है?” अकोस्टा ने लाइव प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूछ डाला। ट्रंप की शक्ल ग़ुस्से से लाल हो गई। दांत भिंच गए। लेकिन अकोस्टा परवाह किए बग़ैर हाथ में लिए काग़ज़ से पढ़-पढ़ कर बताने लगे कि फ़लाँ तारीख़ को आपने कहा कि हालात क़ाबू में हैं, अगले दिन कहा कि जल्द ही एक भी केस नहीं रहेगा, वग़ैरह। जवाब में ट्रंप ने अकोस्टा और सीएनएन को जम कर गाली दी। लेकिन चाह कर भी ट्रंप अकोस्टा और सीएनएन को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में आने से नहीं रोक सकते हैं।
क़रीब डेढ़ साल पहले ट्रंप ने अकोस्टा से नाराज़ होकर उनका प्रेस पास कैंसिल कर दिया था। अकोस्टा ने फ़ौरन अदालत में दस्तक दे दी थी। पहली सुनवाई में जज ने ट्रंप सरकार के वकीलों को फटकार लगाई थी। और तो और पूरी पत्रकार जमात अकोस्टा और सीएनएन के साथ खड़ी हो गई थी। इसमें फ़ॉक्स न्यूज़ भी था, जो ट्रंप का भक्त है। हमारे घर से आधा मील की दूरी पर व्हाइट हाउस है। अक्सर शाम को Sarita, पुरु और मैं उसके बाहर के एरिया में घूमने चले जाते हैं। व्हाइट हाउस के बाहर आपको आए दिन ट्रंप विरोधी ट्रंप को गाली देते हुए मिलेंगे। एक व्यक्ति तो पुलिस के सामने लाउडस्पीकर लगा कर व्हाइट हाउस के जंगले से झांक कर ट्रंप को गंदी से गंदी गाली देता रहता है। वो वहाँ महीनों रहता है। क्या भारत में ये संभव है? है कोई पत्रकार जो मोदी को चैलेंज कर सकता है? यदि कोई नागरिक प्रधानमंत्री निवास के बाहर खड़ा होकर मोदी को गाली दे तो उसका क्या हश्र होगा?
(वरिष्ठ पत्रकार अजीत साही की यह रिपोर्ट जनादेश से साभार ली गयी है।)
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