सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट: मणिपुर में 2000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों का समुदाय के आधार पर तबादला

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नई दिल्ली। तीन महीने बाद भी मणिपुर में हिंसक घटनाएं थमी नहीं हैं। वहां की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। कुकी-जो और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुई हिंसा के बाद सैकड़ों लोगों की जान गई और हजारों लोग शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दाखिल एक स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार करीब 2, 000 से अधिक कर्मचारियों का स्थानांतरण किया गया है। यह स्थानांतरण कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया है। क्योंकि कुकी और मैतेई कर्मचारियों को उन जिलों में ट्रांसफर कर दिया गया है, जहां उनके समुदाय की आबादी का बाहुल्य है। ट्रांसफर हुए कर्मचारियों में ज्यादातर पुलिसकर्मी शामिल हैं। लेकिन आईएएस, आईपीएस और राज्य सिविल सेवा से लेकर न्यायिक सेवा के अधिकारी भी शामिल हैं।

दरअसल, लगातार हो रही हिंसा के बीच दोनों समुदायों के कर्मचारियों में अविश्वास इतना अधिक बढ़ गया है कि वे अपने क्षेत्रों में ही रहना चाहते हैं। राज्य में अभी भी हिंसक झड़पें हो रही हैं। कुकी जहां अभी अपने लिए स्वायत्त प्रशासन की मांग पर अड़े हैं वहीं मैतेई अपने लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं।

हिंसक घटनाओं के बीच राज्य में दोनों समुदायों के बीच विभाजन की लकीर बढ़ती जा रही है। इस बीच बुधवार को भाजपा शासित मणिपुर राज्य के कुकी-जो समुदाय के दस विधायकों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर चुराचांदपुर, कांगपोकपी, चंदेल, टेंग्नौपाल और फ़िरज़ॉल जैसे पांच पहाड़ी जिलों के लिए अलग मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की मांग की है।

3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद राज्य के सरकारी कार्यालयों और न्यायालयों तक में काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों में स्पष्ट विभाजन देखने को मिल रहा है। पहाड़ी क्षेत्र में जहां कुकी आबादी ज्यादा है वहीं घाटी में मैतेई समुदाय की संख्या अधिक है। दोनों समुदायों के अधिकारी उन जिलों में अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हैं जहां दूसरे का प्रभुत्व है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि मणिपुर में विभाजन बहुत गहरा हो गया है। अपनी यात्रा का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि मुझसे कहा गया कि यदि आप मैतेई क्षेत्र में जा रहे हैं तो कुकी सुरक्षाकर्मी और कुकी क्षेत्र में जा रहे हैं तो मैतेई सुरक्षाकर्मी लेकर मत जाइए, नहीं तो वे मार देंगे।

मणिपुर राज्य पहाड़ी और घाटी दो भौगोलिक क्षेत्रों में स्थिति है। राज्य की राजधानी इंफाल है और घाटी में स्थित है। सारे कार्यालय इंफाल में हैं। ऐसे में कुकी समुदाय के लोग वहां रहकर काम करने में अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इंफाल में ही पुलिस मुख्यालय, सचिवालय और न्यायालय स्थित है। कुकी-जो आदिवासी विधायकों और जनता की मांग है कि पहाड़ी जिलों के लिए एक समानांतर व्यवस्था बनाई जाए।

कुकी विधायकों ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि “कुकी-ज़ो जनजातियों से संबंधित आईएएस, आईपीएस, एमसीएस (मणिपुर सिविल सेवा) और एमपीएस (मणिपुर पुलिस सेवा) के अधिकारी इम्फाल घाटी में कार्य करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं, क्योंकि इम्फाल घाटी भी हमारे लिए मौत की घाटी बन गई है। ”

मणिपुर सरकार ने 1 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट में पेश एक स्टेटस रिपोर्ट में कहा कि सरकारी कर्मचारियों- जिनमें आईएएस अधिकारी, ड्राईवर, चपरासी, सुरक्षा गार्ड और स्कूल शिक्षक शामिल हैं- को उन जिलों में स्थानांतरित कर दिया गया है जहां उन्हें कोई खतरा नहीं है।

राज्य मे सिर्फ आईएएस अधिकारियों को ही नहीं बल्कि मणिपुर उच्च न्यायालय में 42, मणिपुर वित्त सेवा के 25 अधिकारियों, 389 स्कूल शिक्षकों और 28 आईएएस और एमसीएस अधिकारियों को सुरक्षा चिंताओं के कारण स्थानांतरित कर दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 761 राज्य पुलिस कर्मियों ने अपने पद छोड़ दिए हैं या ड्यूटी से अनुपस्थित हैं। 19 जून तक, 687 कर्मी काम पर वापस आ गए थे, लेकिन 74 अभी भी अनुपस्थित थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर राइफल्स और इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के 1,092 कर्मियों ने भी अपनी इकाइयां छोड़ दी हैं; जबकि 1,018 कर्मियों ने बाद में “राज्य की एक या अन्य पुलिस इकाई को सूचना दी”, 74 अन्य अभी भी लापता हैं।

पुलिस और कर्मचारियों के लंबे समय तक अनुपस्थित रहने पर राज्य सरकार ने जून में काम नहीं तो वेतन नहीं का आदेश जारी किया था, जिसके बाद काम की सुविधाजनक जगह सुनिश्चित करने के लिए एक और आदेश जारी किया गया था।

इस बीच, यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के प्रतिनिधियों- 24 कुकी विद्रोही समूहों के समूह, जिन्होंने सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं- ने दिल्ली में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों से मुलाकात की। विद्रोही समूह कुकी-ज़ो क्षेत्रों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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