महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी को भेजे पत्र में कहा- संसदीय समिति को आपराधिक मामलों की जांच का अधिकार नहीं

नई दिल्ली। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने बुधवार को लोकसभा आचार समिति पैनल के समक्ष अपनी उपस्थिति से पहले एक पत्र लिखा है। उनके खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी का आरोप है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “चूंकि एथिक्स कमेटी ने मीडिया को मेरा समन जारी करना उचित समझा। इसलिए मुझे लगता है कि यह जरूरी है कि मैं भी कल अपनी ‘सुनवाई’ से पहले समिति को अपना पत्र जारी करूं।”

जब से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर महुआ मोइत्रा पर अडानी समूह को निशाना बनाने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। उसके बाद टीएमसी सांसद राजनीतिक तूफान के केंद्र में हैं और वो 2 नवंबर को एथिक्स पैनल के सामने पेश होंगी।

31 अक्टूबर को लिखे पत्र को एक्स पर साझा करते हुए मोइत्रा ने लिखा है कि क्योंकि एथिक्स समिति ने मीडिया के समक्ष मेरा समन जारी करना सही समझा है। इसलिए मुझे भी यह जरुरी लगता है कि मैं भी कल अपनी अपनी सुनवाई से पहले समिति को अपना पत्र जारी करूं।

पत्र में मोइत्रा ने कहा कि वह 2 नवंबर को पैनल के सामने पेश होंगी और अपने खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी की शिकायत को “खत्म” कर देंगी।

महुआ मोइत्रा ने पत्र में कहा कि संसदीय समितियों को आपराधिक मामलों की जांच का अधिकार नहीं है और ऐसे मामलों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को शामिल किया जाना चाहिए। मोइत्रा ने कथित ‘रिश्वत देने वाले’ हीरानंदानी से पूछताछ करने की इच्छा भी व्यक्त की है। जिन्होंने ‘पर्याप्त सबूत पेश किए बिना’ समिति को एक हलफनामा प्रस्तुत किया था।

लोकसभा सांसद ने शिकायतकर्ता जय अनंत देहाद्राई से भी सवाल करने की मांग की, जिन्होंने दावा किया कि उन्होंने आरोपों के समर्थन में कोई ठोस दस्तावेजी सबूत नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि “आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह जरूरी है कि कथित ‘रिश्वत देने वाले’ दर्शन हीरानंदानी जिन्होंने कम विवरण और किसी भी तरह के दस्तावेजी सबूत के साथ समिति को ‘स्वतः संज्ञान’ हलफनामा दिया है, को गवाही देने के लिए बुलाया जाए। समिति के समक्ष दी गई राशि, तारीख आदि के साथ दस्तावेजी मदवार सूची के रूप में उक्त साक्ष्य प्रदान करें।”

उन्होंने कहा कि “मैं रिकॉर्ड के लिए बता दूं कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए मैं हीरानंदानी से पूछताछ करने के अपने अधिकार का प्रयोग करना चाहती हूं।” मोइत्रा ने इस बात पर जोर दिया कि जिरह का अवसर दिए बिना पूछताछ “अधूरी और अनुचित” होगी।

सदस्यों के लिए एक संरचित आचार संहिता की अनुपस्थिति पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने व्यक्तिगत मामलों को संबोधित करने और समिति में राजनीतिक पक्षपात से बचने में न्याय और निष्पक्षता की आवश्यकता पर जोर दिया। मोइत्रा ने समन जारी करने में आचार समिति के “दोहरे मापदंड” होने पर भी चिंता जताई।

उन्होंने कहा कि पैनल ने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के मामले में बहुत अलग दृष्टिकोण अपनाया है, जिनके खिलाफ विशेषाधिकार और नैतिक रूप में “नफ़रत फैलाने वाले भाषण की बहुत गंभीर शिकायत” लंबित है।

उन्होंने कहा कि बिधूड़ी को मौखिक साक्ष्य देने के लिए 10 अक्टूबर को बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने गवाही देने में असमर्थता जताई क्योंकि वह राजस्थान में चुनाव प्रचार के लिए गए हुए थे।

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