पेगासस स्पाइवेयर जासूसी कांड से कथित तौर पर प्रभावित केवल दो व्यक्तियों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तकनीकी समिति को अपने फोन सौंपे हैं। इसके कारण समिति को समय सीमा बढ़ानी पड़ी है। तकनीकी समिति ने अब यह समय सीमा 08 फरवरी कर दी है, ताकि वैसे और भी लोग समिति से संपर्क कर सकें, जिन्हें संदेह है कि उनके फोन में पेगासस स्पाइवेयर का हमला हुआ है। यह निर्णय पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus spyware) मामले में न्यूयार्क टाइम्स में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के बीच लिया गया है। इस बीच अमेरिकी ह्विसिलब्लोअर का आरोप है कि अगस्त 2017 में एनएसओ ग्रुप (NSO Group) के अधिकारियों और उस समय उनकी नियोक्ता कंपनी मोबिलियम के प्रतिनिधियों के बीच कॉन्फ्रेंस कॉल के ज़रिए हुई बैठक के दौरान एनएसओ ग्रुप द्वारा नकद राशि की पेशकश की गई थी। मोबिलियम दुनियाभर की सेल्युलर कंपनियों को सुरक्षा सेवाएं मुहैया कराती है।
एक ह्विसिलब्लोअर द्वारा अमेरिकी न्याय विभाग को सौंपे गए दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है कि इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप ने वैश्विक मोबाइल नेटवर्क तक पहुंच बनाने (Access) के लिए एक अमेरिकी मोबाइल सुरक्षा कंपनी को नकदी की पेशकश की थी। पेगासस प्रोजेक्ट के तहत कंसोर्टियम के सदस्य रह चुके द वॉशिंगटन पोस्ट और द गार्डियन ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया। नवंबर 2021 में अमेरिकी सरकार ने साइबर गतिविधियों के लिए एनएसओ ग्रुप को ब्लैकलिस्ट कर दिया था।
दरअसल जुलाई 2021 में द वायर (The Wire) सहित मीडिया समूहों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम ने ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ नाम की पड़ताल के तहत यह खुलासा किया था कि दुनियाभर में अपने विरोधियों, पत्रकारों और कारोबारियों को निशाना बनाने के लिए कई देशों ने पेगासस का इस्तेमाल किया था।
ह्विसिलब्लोअर का आरोप है कि साल 2017 में एक मोबाइल फोन सिक्योरिटी के पूर्व कार्यकारी अधिकारी गैरी मिलर ने अमेरिकी संघीय अधिकारियों और डेमोक्रेट कांग्रेसमैन टेड लियू से संपर्क किया था। द वॉशिंगटन पोस्ट (The Washington Post) के मुताबिक, मोबाइल फोन सुरक्षा विशेषज्ञ गैरी मिलर का आरोप है कि अगस्त 2017 में एनएसओ ग्रुप के अधिकारियों और उस समय उनकी नियोक्ता कंपनी मोबिलियम के प्रतिनिधियों के बीच कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिए हुई बैठक के दौरान नकदी की पेशकश की गई थी। कैलिफोर्निया स्थित मोबिलियम कंपनी दुनियाभर की सेल्युलर कंपनियों को सुरक्षा सेवाएं मुहैया कराती है।
आरोप है कि इस बैठक के दौरान एनएसओ ग्रुप के अधिकारियों ने S-7 नेटवर्क तक एक्सेस की मांग की थी। एसएस-7 नेटवर्क दुनियाभर में यात्रा करने के दौरान सेल्युलर कंपनियों को रूट कॉल और सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद करता है। मिलर से गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट और फॉरबिडन स्टोरीज ने बातचीत की और इस दौरान मिलर ने कहा कि एनएसओ ग्रुप के दो सह-संस्थापक शालेव हुलियो और ओमरी लेवी ने मोबिलियम के अधिकारियों के साथ इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था। मिलर ने बताया कि एनएसओ अपने सर्विलांस सॉफ्टवेयर की क्षमताओं को बढ़ाना चाहता था।
द गार्डियन (The Guardian) की रिपोर्ट के मुताबिक, मिलर ने कहा, ‘उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनका उत्पाद सर्विलांस के लिए बना है और इसे अच्छे लोगों नहीं बल्कि बुरे लोगों की निगरानी के लिए तैयार किया गया है। एनएसओ ने यह भी बताया कि उनके काम को सरकारी एजेंसियों ने मंजूरी दी है, लेकिन उन्होंने इनके बारे में कुछ नहीं बताया। बैठक के दौरान मोबिलियम के कार्यकारी ने अमेरिकी कंपनी के साथ काम करने के लिए एनएसओ के बिजनेस मॉडल के बारे में पूछा था।
द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, मिलर और बाद में संघीय अधिकारियों के समक्ष उनके लिखित खुलासे में बताया गया कि इस पर लेवी ने कथित तौर पर कहा था कि ‘हमने आपके ऑफिस में नकदी से भरे बैग’ रख दिए है। 2017 में कुछ दिनों बाद मिलर ने एफबीआई (FBI) को गुपचुप तरीके से एनएसओ के साथ बातचीत का विवरण साझा किया था, लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
अमेरिकी कंपनी मोबिलियम ने भी कहा है कि उसका एनएसओ ग्रुप के साथ कभी कोई कारोबारी संबंध नहीं रहा। कंपनी ने बयान में कहा, ‘मोबिलियम अपने ग्राहकों की डेटा निजता को बहुत गंभीरता से लेता है और इसमें किसी तरह की सेंधमारी से बचने के लिए एक मजबूत साइबर सुरक्षा प्रोग्राम लागू किया है। मोबिलियम की ग्राहकों के नेटवर्क से किसी तरह का प्रत्यक्ष पहुंच नहीं है और यह एसएस-7 सहित किसी तरह के एक्सेस में असमर्थ है।
पेगासस प्रोजेक्ट मीडिया पार्टनर्स को पता चला है कि अमेरिकी न्याय विभाग नेटर्वक्स और मोबाइल डिवाइसों में अनाधिकृत घुसपैठ के आरोपों को लेकर सक्रिय रूप से एनएसओ ग्रुप की जांच कर रहा है। द गार्डियन ने एक अनाम अमेरिकी नागरिक के हवाले से रिपोर्ट में बताया कि जब सुरक्षा शोधकर्ताओं को यह पता कि उनके फोन से छेड़छाड़ की गई है तो अमेरिकी प्रशासन ने उनसे 2021 की हैकिंग घटना के बारे में पूछताछ की थी।
न्याय विभाग ने मेक्सिको के पत्रकार कार्मेन अरिस्टेगुई से भी पूछताछ की, जिनका फोन पेगासस से हैक (Hack) किया गया था। द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस आपराधिक जांच से परिचित एक अन्य शख्स ने कहा कि न्याय विभाग भी एक कंपनी के संपर्क में है, जिसके यूजर्स को पेगासस के जरिए निशाना बनाया गया।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तकनीकी समिति की ओर से बृहस्पतिवार को प्रमुख समाचार पत्रों में जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि उसकी पहली अपील के दौरान केवल दो व्यक्तियों ने अपने मोबाइल फोन समिति को सौंपे हैं, ताकि उसकी डिजिटल छवि ली जा सके। नोटिस में कहा गया है कि इसलिए तकनीकी समिति एक बार फिर उन सभी से 08 फरवरी तक समिति से सम्पर्क का अनुरोध करती है, जिनके पास यह मानने का पर्याप्त कारण मौजूद है कि उनके मोबाइल फोन पेगासस स्पाइवेयर से प्रभावित हैं। पिछले माह जारी नोटिस में 07जनवरी, 2022 तक की समय सीमा निर्धारित की गई है।
अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने बीते बुधवार को इजरायल के एनएसओ ग्रुप से स्पायवेयर ‘पेगासस’ खरीदने की पुष्टि की है । आरोप है कि इसका इस्तेमाल पत्रकारों, विरोधियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए लंबे समय से किया जा रहा है। एफबीआई के अनुसार, उसने इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाए गए एक हैकिंग टूल को प्राप्त किया था और उसका परीक्षण भी किया था, लेकिन अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसी ने कहा कि उसने किसी भी जांच के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया है। एफबीआई का कहना है कि ‘पेगासस’ खरीदने के पीछे उसकी मंशा ‘उभरती प्रौद्योगिकियों’ के साथ कदम मिलाकर चलना था।
रिपार्ट के अनुसार, एफबीआई के एक प्रवक्ता ने द न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्रिटेन के गार्जियन अखबार की रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए एक बयान में कहा, एफबीआई ने केवल उत्पाद परीक्षण और मूल्यांकन के लिए एक सीमित लाइसेंस प्राप्त किया था, किसी भी जांच के संबंध में इसका उपयोग नहीं किया गया था। एफबीआई ने कहा कि उसका लाइसेंस अब सक्रिय नहीं था। लंबे समय से अपनी क्लाइंट सूची को गोपनीय रखने वाले एनएसओ कहता रहा है कि वह अपने उत्पादों को केवल ‘पुनरीक्षित और वैध’ सरकारी ग्राहकों को बेचता है।
एफबीआई की ओर से यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय पर की गई, जब पिछले महीने ही अमेरिका के ‘नेशनल काउंटर इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सेंटर’ ने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा था कि निगरानी फर्मों द्वारा मुहैया कराए जा रहे सॉफ्टवेयर का उन तरीकों से उपयोग किया जा रहा है, जो अमेरिकी कर्मचारियों और खुफिया कार्यक्रमों से संबंधित प्रणालियों के लिए गंभीर सुरक्षा जोखिम पैदा करते हैं।
वर्ष 2020 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स (News Agency Reuters) ने बताया था कि एफबीआई अमेरिकी निवासियों और कंपनियों पर संभावित हैक में एनएसओ की भूमिका की जांच कर रही थी। एफबीआई ने इस जांच की स्थिति पर तुरंत टिप्पणी नहीं की थी, जिसके बारे में समाचार एजेंसी का कहना था कि यह (जांच) कम से कम 2017 से चल रही थी।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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