पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान मैं ऑफिस से काम खत्म करने के बाद घर के लिए निकली। रास्ते में मुझे एक ऑटो मिल गया। चुनावी माहौल के बीच ऑटो वाले से बातों का सिलसिला शुरु हो गया। इस सिलसिले में जैसे ही आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो का जिक्र हुआ। ऑटो वाला तमतमाते स्वर में बोला, वह कोई नेता है, उसे जनता की चिंता नहीं है। कोरोना के दौरान जब सारी दुनिया के नेता अपनी जनता की सेवा कर रहे थे उस वक्त हमारे बाबुल सुप्रियो दिल्ली में बैठे थे। यहां के अधिकांश लोगों ने अभी तक उन्हें देखा भी नहीं है। यह कहना है एक ऑटो चालक का जो विधानसभा चुनाव के दौरान मुझे आसनसोल में मिला था। ऑटो वाले का कहना था कि आसनसोल की जनता ने बाबुल सुप्रियो को वोट नहीं दिया है। वोट तो सिर्फ मोदी के नाम पर मिले हैं। बाबुल सुप्रियो की जगह कोई और भी खड़ा होता तो, मोदी लहर में उसकी भी नैय्या पार हो जाती। उनका कहना था कि बस यही कारण है कि उनको जनता की परवाह नहीं है।
आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो के बारे कोई लोगों का यही विचार है। वह आसनसोल के सांसद जरुर हैं, लेकिन यहां दिखाई बहुत कम ही देते हैं। जिसका नतीजा यह हुआ कि आसनसोल की जमुड़िया विधानसभा क्षेत्र में एक पोस्टर लगा दिया गया। जिसमें लिखा था “गुमशुदा की तलाश”। इस बात से साफ जाहिर हो गया है कि जनता ने जिस प्रतिनिधि को अपना कीमती वोट देकर जिताया है। वह अब उसे काम के वक्त ढूंढ रही है। स्थानीय खबरों के अनुसार बाबुल आसनसोल में बहुत कम ही दिखाई देते हैं। जिसके चलते यह पोस्टर लगाया गया है।
आसनसोल में कुछ दिन पहले ही यास तूफान का थोड़ा प्रभाव देखा गया, उसके बाद लगातार बारिश के कारण आसनसोल में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई। शहरी इलाकों में पानी भर गया। नदियां उफान पर आ गईं। एक नौजवान की पानी में डूब जाने के कारण मौत हो गई। कई लोगों के घर जलमग्न हो गए। कोरोना के इस दौर में जब एक सामान्य व्यक्ति की स्थिति ऐसे ही खराब है, ऐसे समय में बाढ़ जैसी स्थिति ने लोगों को और लाचार बना दिया है। ऐसे वक्त में भी आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो का कुछ अता पता ही नहीं। जिसे लोगों ने अपना कीमती वोट देकर जिताया, उसने ही अपनी जनता का हाल चाल नहीं पूछा।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। आसनसोल की जनता का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान सांसद जनता का हाल चाल तक नहीं पूछने आए। दूसरी लहर के दौरान भी उन्हें देखा नहीं गया है। विशेषज्ञों की मानें तो बाबुल के इस रवैये पर केंद्र सरकार भी खफा है। जिसके कारण विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें टॉलीगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का प्रत्याशी बनाया गया था। आसनसोल के युवाओं में भी इस बात को लेकर रोष है कि शहर में आई किसी भी आपात परिस्थिति के वक्त सांसद बाबुल सुप्रियो अनुपस्थित ही रहते हैं। । इतना ही नहीं बाबुल की आसनसोल में गैर मौजदूगी को लेकर दबी जुबान से ही सही लेकिन विरोध जरुर हुआ है।
अब जनता अपने इस प्रतिनिधि को परेशानी के दौरान खोज रही है। खबरों की मानें तो बाबुल सिर्फ चुनाव के दौरान पार्टी मीटिंग के लिए आसनसोल आए थे। उसके बाद उन्हें यहां नहीं देखा गया है। क्षेत्र में स्थिति ऐसी है और जनप्रतिनिधि शहर से गायब है। जिसके कारण उन्हें पोस्टर लगाकर खोजा जा रहा है। जानकारों का मानना है कि यह एक पॉलिटिकल स्टंट हैं। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि बाबुल सुप्रियो आसनसोल में नहीं रहते हैं।
(आसनसोल से पत्रकार पूनम मसीह की रिपोर्ट।)