नई दिल्ली। देश के अलग-अलग हिस्सों में ईसाई समुदाय के लोगों पर लगातार हो रहे हमले के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर रविवार को विरोध-प्रदर्शन हुआ। कार्यक्रम में समुदाय के बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद लगातार ईसाईयों पर हो रहे अत्याचार से सरकार को अवगत कराना था।
लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के लिए कमेटी के लोग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपेंगे। जिसमें उनसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ट जज के नेतृत्व में बने नेशनल रिड्रेशल कमीशन से समुदाय पर हो रहे अत्याचार के बारे में जानकारी लेने की मांग की जाएगी।
जंतर-मंतर पर आए लोगों ने अपने हाथों में ईसाईयों के खिलाफ हो रहे अत्याचार, गिरजाघरों के लगातार तोड़े जाने के खिलाफ तरह-तरह के प्लेकार्ड के जरिए अपना गुस्सा जाहिर किया। इन प्लेकार्डों पर धार्मिक स्वतंत्रता से लेकर संवैधानिक अधिकार तक की बातों का जिक्र किया गया था।

पिछले 8 सालों में ईसाईयों पर अत्याचार बढ़ा
“स्टॉप हेट एंड वाएलेन्स अगेंस्ट क्रिश्चियन” ने नाम से किए गए इस विरोध प्रदर्शन की कोऑर्डिनेटर मीनाक्षी सिंह ने हमसे बात करते हुए कहा, “देश में लगातार ईसाईयों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। पिछले सत्तर सालों में इतनी सरकारें आईं कभी ईसाईयों के साथ इतना अत्याचार नहीं हुआ जितना पिछले आठ सालों में हुआ है”।
लगातार आदिवासी ईसाईयों पर हो रहे हमले के बारे में मीनाक्षी कहती हैं कि छत्तीसगढ़ की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। वहां के आदिवासी बार-बार कहते हैं कि उन्होंने कोई धर्म परिवर्तन नहीं किया है, वह तो सिर्फ ईसा मसीह पर विश्वास करते हैं। इसके बाद भी लगातार हिंदू संगठनों की ओर से गांवों के लोगों को भड़का कर उन पर अत्याचार कराया जा रहा है।
पैसे देकर धर्म परिवर्तन कराने वाली बात पर मीनाक्षी कहती हैं कि यह आरोप पूरी तरह से निराधार है। कई बार इसको लेकर एफआईआर दर्ज की गई है। लेकिन आज तक एक भी मामला सिद्ध नहीं हो पाया है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा की दोबार सत्ता में आने की ख्वाहिश
छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके के लोग भी अपने साथ घटित इस तरह की घटनाओं को लेकर इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। जगदलपुर से आए रेव्ह. भूपेंद्र खोरा ने इस पूरे घटनाक्रम को राजनीति से प्रेरित बताया।
उनका कहना था कि भाजपा ने पिछले 15 साल के अपने राज में कोई काम नहीं किया। जिसके कारण आदिवासी समुदाय के लोग भाजपा के खिलाफ हो गए थे। इसलिए भाजपा और संघ के लोग आदिवासी समाज के बीच अपना खोया जनाधार दोबारा वापस पाना चाहते हैं। उनका कहना था कि बीजेपी आदिवासियों को ईसाई समाज के खिलाफ भड़का कर फिर से जन समर्थन हासिल करना चाहती है।
पिछले दिनों ही कांकेर में एक महिला की मौत के बाद उसके दफनाने को लेकर हुई समस्या के बारे में बात करते हुए फादर कहते हैं कि संघ के लोग आदिवासियों को भड़का रहे हैं। उन्हें तरह-तरह की शिक्षा दी जा रही है। जिसके चलते उत्पीड़न की ये सारी घटनाएं हो रही हैं।
वह कहते हैं कि इससे पहले भी ईसाईयों की मौत होती रही है। लोग अपने परिजनों को दफनाते रहे हैं, लेकिन अब लोगों को भड़काया जा रहा है। अब लोग ईसाईयों के शव को दफनाने की प्रक्रिया को गांव के अशुद्ध हो जाने के तौर पर पेश करते हैं। इस बात को उन्होंने तंज के तौर पर पेश करते हुए कहा कि पिछले इतने सालों से गांव अशुद्ध नहीं हुए थे। लेकिन अब गांव संघ की दी गयी शिक्षा के कारण अशुद्ध हो गए हैं। यह सब आने वाले चुनाव के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस वक्त बस्तर की स्थिति ऐसी है कि इन घटनाओं के बाद ईसाई परिवार डर के माहौल में जी रहे हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। इसका नायाब उदाहरण नारायणपुर वाली घटना है जहां स्कूल को ही निशाना बनाया गया था।

बस्तर में हिंदू-मुस्लिम करा पाना संभव नहीं
रायपुर से आए रेव्ह.डॉ. अखिलेश एडगर का कहना था कि शहर में इस तरह की घटनाएं कम हो रही हैं। ज्यादा प्रभाव दक्षिण छत्तीसगढ़ में देखने को मिलता हैं। उनका भी कहना था कि यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे ईसाईयों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है।
वह कहते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंदू-मुसलमान कराया जा रहा है। बस्तर इलाके में यह संभव नहीं है क्योंकि यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या कम है। अखिलेश एडगर का कहना था कि छत्तीसगढ़ में ईसाईयों की संख्या 1.92% है। उनका वोट में भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। जिसके चलते यहां आदिवासियों को ईसाईयों के खिलाफ संघ परिवार द्वारा भड़काया जा रहा है।
आपको बता दें कि पिछले लंबे समय से छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में ईसाईयों पर लगातार अत्याचार हो रहा है। फादर का कहना था कि भाजपा के पूर्व विधायक भोजराज नाग लगातार इस मामले में सबसे ज्यादा सक्रिय हैं। वो वहां के सौहार्द को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।

प्रार्थना सभाओं को रोकने की कोशिश
पिछले कुछ सालों से यूपी के अलग-अलग जिलों में ईसाईयों के उत्पीड़न की घटनाएं भी सामने आई हैं। खबरों के अनुसार लगभग 100 से ज्यादा पादरी और ईसाई समुदाय के लोग जेलों में बंद हैं। जिन पर जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन का आरोप लगा है।
जंतर-मंतर पर रविवार को हुए विरोध प्रदर्शन में यूपी के प्रयागराज से येसु दरबाज चर्च के पास्टर जयप्रकाश ने कहा कि उनकी प्रार्थना सभा को लगातार रोकने की कोशिश की जा रही है। हमें लगातार यह कहा जाता है कि आप लोग हिंदुओं को धर्मांतरण करा रहे हैं।
उनका कहना था कि हमारे चर्च और लोगों पर झूठी एफआईआर करायी जाती है। वह कहते हैं कि 103 साल पुरानी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में प्रार्थना सभा चलाई जाती है। जिसमें सभी जाति, धर्म के लोग आते हैं। क्योंकि वहां वाइस चांसलर ईसाई हैं इसलिए आरोप लगाया जा रहा है कि यहां लोगों का धर्म परिवर्तन किया जाता है।
वह कहते हैं कि अगर जबर्दस्ती लोगों का धर्म परिवर्तन किया जाता तो यहां आने वाले कई लोग ईसाई होते। यह सारे आरोप निराधार हैं। जिन्हें ईसा मसीह पर आस्था है वही लोग आ रहे हैं। इसके बाद भी लोगों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है।
आपको बता दें कि यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के अनुसार दिसंबर, 2022 तक देश के 21 राज्यों में ईसाईयों के खिलाफ हुए अत्याचार के मामलों में 521 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें साल 2021 में 525 और 2022 में 600 मामले समाने आए। अकेले यूपी में साल 2020 में मामले 70 से बढ़कर 183 हो गए।
(दिल्ली से संवाददाता पूनम मसीह की रिपोर्ट)
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