कांग्रेस के एक और राज्य पंजाब में बढ़ी रार, दो सांसदों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

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पंजाब कांग्रेस में इन दिनों जबरदस्त घमासान छिड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ के खिलाफ कांग्रेस के दो कद्दावर राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो ने मोर्चा खोला हुआ है। बाजवा और दूलो अतीत में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।

कैप्टन और जाखड़ भी उनके हर हमले का खुलेआम तीखा जवाब दे रहे हैं। सड़कों पर लड़ी जा रही पंजाब कांग्रेस की आपसी जंग का मामला पार्टी आलाकमान के दरबार में पहुंच गया है, लेकिन फिर भी सब कुछ यथावत जारी है। शिथिल होता जा रहा शिरोमणि अकाली दल इससे सियासी फायदा लेने की कवायद में है।                              

दरअसल, कभी आपस में गहरे दोस्त रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील कुमार जाखड़, प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो की असली लड़ाई वर्चस्व की है। 2016 में प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब की लुंज-पुंज पड़ी कांग्रेस इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था। उन्होंने दिन-रात एक करके राज्य इकाई में नई जान फूंक दी थी।

अलबत्ता कैप्टन खेमे ने उनकी राह में लगातार कांटे बिछाए। कैप्टन अमरिंदर सिंह को बाजवा का अध्यक्ष बनाया जाना और आगे बढ़ना बर्दाश्त नहीं था, इसलिए भी कि प्रताप सिंह बाजवा खुद को भावी मुख्यमंत्री के बतौर ‘प्रोजेक्ट’ करने लगे थे।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी हाईकमान के आगे बागी सुर अख्तियार कर लिए। कयास लगने लगे थे कि कैप्टन बगावत करके नई पार्टी का गठन कर सकते हैं या फिर भाजपा में जा सकते हैं। पंजाब के साथ-साथ दिल्ली में भी कैप्टन की सशक्त लॉबी थी। आखिरकार अपने तेवरों से अमरिंदर ने कांग्रेस आलाकमान को झुका लिया और बेहतर कारगुजारी के बावजूद प्रताप सिंह बाजवा को हटाकर पार्टी की कमान कैप्टन को सौंप दी गई। तब से दोनों के बीच अदावत चली आ रही है।

सरकार बनाने के वक्त मुख्यमंत्री ने अपनी कैबिनेट में दबाव के बावजूद बाजवा खेमे के एक भी विधायक को नहीं लिया और न कोई दूसरा पद दिया, बल्कि बाजवा खेमे के विधायकों को पूरी तरह हाशिए पर डाल दिया गया। पुलिस-प्रशासन में भी उनकी सुनवाई पहले दिन से ही नहीं हो रही है।

प्रताप सिंह बाजवा पंजाब में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को घेरते रहे हैं। उनका मुख्यमंत्री पर अब तक का से सबसे बड़ा हमला जहरीली शराब कांड को लेकर हुआ है। बीते हफ्ते पंजाब में हुए नकली शराब कांड ने 120 से ज्यादा लोगों की बलि ले ली, तो बाजवा ज्यादा मुखर हो गए।

उन्होंने और उनके हमख्याल (अमरिंदर के प्रतिद्वंदी) कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो ने विपक्ष से भी ज्यादा तीखे तेवरों के साथ अपनी ही पार्टी की सरकार को निशाने पर ले लिया।

यहां तक कि कांग्रेस के दोनों राज्यसभा सदस्य नकली शराब कांड और अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ सीबीआई की जांच की मांग लेकर बकायदा राज्यपाल से मिले। इसके बाद कांग्रेस में बवाल खड़ा हो गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह-प्रताप सिंह बाजवा में तथा सुनील कुमार जाखड़-शमशेर सिंह दूलो में जोरदार तकरार भरी बयानबाजी होने लगी।                                        

पंजाब कांग्रेस का आपसी विवाद नित नए मोड़ पर आ रहा है। अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की हिदायत पर पंजाब पुलिस ने प्रताप सिंह बाजवा की सुरक्षा वापस ले ली है। उनकी सुरक्षा में लगे राज्य पुलिस के तमाम सुरक्षाकर्मी एकाएक हटा लिए गए।

वैसे, उन्हें केंद्र की ओर से सीआईएसफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) की सुरक्षा छतरी हासिल है। बाजवा का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने ‘बदलाखोरी’ के चलते उनकी सुरक्षा हटाई है, जबकि मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्हें जब पहले से केंद्र की सुरक्षा हासिल है तो ऐसे में पंजाब पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था कोई मायने नहीं रखती। कैप्टन खुलकर कहते हैं कि बाजवा की सुरक्षा हटाने का निर्देश उन्होंने खुद दिया है। जाखड़ भी इसे जायज बता रहे हैं।

अन्य राज्यों के साथ-साथ पंजाब में भी सुरक्षा लेने और देने में खूब राजनीति होती है और हासिल सुरक्षा व्यवस्था को कद के साथ तोला जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और सांसद सुखबीर सिंह बादल और राज्य के पूर्व मंत्री तथा केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को भी केंद्रीय सुरक्षा व्यवस्था हासिल है, लेकिन उनकी सिक्योरिटी में पंजाब पुलिस के जवान भी बड़ी तादाद में शामिल हैं।

ऐसे में प्रताप सिंह बाजवा का सवाल है कि बादलों और मजीठिया को पंजाब पुलिस की सुरक्षा मुहैया कराई जा सकती है तो उनकी क्यों नहीं जारी रखी जा सकती? जवाब में कैप्टन का कहना है कि बाजवा को कोई खतरा नहीं, बादल पिता-पुत्र और मजीठिया को है! बाजवा का तर्क है कि उनके पिता आतंकवादियों के हाथों मारे गए थे और खुद वह खालिस्तानी आतंकियों की हिट लिस्ट में हैं।

बहरहाल, पंजाब पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था के सवाल पर प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ नया मोर्चा खोल लिया है और इस बाबत आलाकमान से संपर्क साधा है। शमशेर सिंह दूलो और कुछ विधायक उनके साथ हैं।

दूसरी ओर कैप्टन अमरिंदर सिंह, उनके मंत्री, समर्थक विधायक और सुनील कुमार जाखड़ बाजवा खेमे के हर आरोप और पैंतरे का जवाब दे रहे हैं। जाखड़ ने बाजवा खेमे के खिलाफ दिल्ली में डेरा डाल लिया है। फिलहाल दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ खूब आक्रमक हैं। पंजाब कांग्रेस में ऐसे हालात पहली बार दरपेश हुए हैं।

प्रताप सिंह बाजवा ने इस संवाददाता से कहा, “कांग्रेस आलाकमान आज सर्वेक्षण करा ले तो पता चलेगा कि पार्टी के आधे से ज्यादा विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील कुमार जाखड़ के खिलाफ हैं। यहां तक कि ज्यादातर मंत्रियों को भी कैप्टन और जाखड़ का नेतृत्व नामंजूर है। इन दोनों को अपने-अपने पदों से हटाया न गया तो गेम ओवर हो जाएगी।”

उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार है लेकिन शराब, ड्रग्स, रेत और अन्य हर किस्म का माफिया उसी तरह धड़ल्ले से काम कर रहा है जिस तरह अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के वक्त करता था। कोई बताए कि उस और इस सरकार में क्या फर्क है?”                                   

जो हो, राज्य कांग्रेस में मचे इस घमासान का फायदा विपक्ष उठाने की कवायद कर रहा है। खासतौर पर शिरोमणि अकाली दल। दल के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा कहते हैं, “आने वाले दिनों में कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ कांग्रेस के भीतर से बगावत तय है। कैप्टन अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को ही नहीं साथ रख पा रहे, राज्य क्या संभालेंगे। शिरोमणि अकाली दल कांग्रेस के विवाद पर पैनी नजर रखे हुए है।”

उधर, आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं का भी मानना है कि वरिष्ठ कांग्रेसियों की आपसी लड़ाई कोई न कोई गुल जरूर खिलाएगी। भाजपा का भी ऐसा ही मानना है।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट।)

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