Wednesday, April 17, 2024

बिलरियागंज, आजमगढ़ का रिहाई मंच ने किया दौरा, गंभीर रूप से घायल सरवरी बानो के परिजनों समेत कई पीड़ितों से की मुलाकात

आज़मगढ़/लखनऊ। रिहाई मंच ने एक वीडियो जारी किया जिसमें एक पुलिसकर्मी को यह कहते हुए सुना / देखा जा सकता है कि हम भी चाहते हैं कि बवाल हो जाए। इस वीडियो के संदर्भ में रिहाई मंच ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि ये वीडियो जो कि बिलरियागंज थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह का बताया जा रहा है ने साफ कर दिया कि योगी की पुलिस खुद अराजकता में लिप्त है। रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने पूछा कि आजमगढ़ के कप्तान त्रिवेणी सिंह जो कि प्रदर्शकारियों की ही नहीं बल्कि उनके परिवारों की भी कुंडली निकालकर टॉप टेन के अपराधियों की तरह जगह-जगह पोस्टर लगवाकर कार्रवाई करने को कहे थे आखिर कब अपने इंस्पेक्टर पर कार्रवाई करेंगे।

प्रदर्शन में शामिल लोगों के गाड़ियों के कागजात बारीकी से चेक करने और उन पर भारी भरकम जुर्माना लगाने जैसे उनके बयान साफ कर रहे कि पुलिस अधीक्षक बदले की कार्रवाई कर रहे हैं। सरकारी सुविधाएं लेना और धरने जैसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने के नाम पर कार्रवाई साफ करती है कि वे कानून से नहीं योगी के आदेश पर चल रहे हैं।

रिहाई मंच ने आज़मगढ़ के बिलरियागंज का दौरा करने के बाद जारी एक बयान में कहा कि योगी आदित्यनाथ की बदले कि कार्रवाई के तहत तीन-तीन नाबालिग बच्चों को गिरफ्तार करने और तीन छात्र नेताओं पर 25-25 हजार के ईनाम के बाद 14 और लोगों पर 20 से 35 हजार ईनाम घोषित किया गया है। ईनाम घोषित करने की यह कार्रवाई टारगेट करके की जा रही है, जैसा कि यूपी में हुए पुलिसिया मुठभेड़ों में की गई। ऐसे हालात में इनकी सुरक्षा पर गंभीर सवाल है। क्योंकि पुलिस सत्ता संरक्षण में इनकी फर्जी मुठभेड़ कर अपनी पीठ थपथपाने का काम कर सकती है। 

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, शकील कुरैशी, अधिवक्ता विनोद यादव और अवधेश यादव ने जौहर अली पार्क बिलरियागंज में पुलिसिया हिंसा की शिकार सरवरी बानो, मोहल्ला कसिमगंज के नागरिकों और उलेमा काउंसिल के गिरफ्तार नेता मौलाना ताहिर मदनी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तलहा रशादी से मुलाकात की। 35 नामजद और सैकड़ों अज्ञात के नाम पर देशद्रोह, दंगा, हत्या के प्रयास जैसे संगीन मुकदमे दर्ज कर 19 लोगों को जेल भेजा जा चुका है।

रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल ने आजमगढ़ के डॉ दानिश के यहां आईसीयू में भर्ती सरवरी बानो के बेटे बिलाल से मुलाकात की। बिलाल बताते हैं “उस रात जब पुलिस ने पत्थरबाजी की तो उनकी अम्मी के सिर पर पत्थर लगने के बाद वो भागते हुए घर की तरफ आईं तो किसी तरह उन्हें पीछे के रास्ते से बाइक से लेकर डॉ असरार के यहां भागे।”. उन्होंने आगे बताया “इन्जेक्शन पट्टी की पर अम्मी की हालत बिगड़ ही रही थी तो वे साढ़े पांच बजे के करीब डॉ. दानिश के यहां आज़मगढ़ लाए। सिटी स्कैन में आया कि चोट बहुत गंभीर है तो सदर अस्पताल से मेडिकल करवाकर फिर 2 बजे ऑपरेशन हुआ तब जाकर उनकी जान बची। दो दिनों तक तो वे कोमा में थीं। पुलिसिया कार्रवाई में हाईस्कूल के छात्र अरसलान की आखों के करीब गंभीर चोट आई।”

बिलरियागंज के कसिमगंज के मोहम्मद अरफ़ात खान बताते हैं कि पुलिस गली-गली मार्च कर लोगों में भय का इतना माहौल बना रही है कि लोग घर से ही न निकलें। पच्चीस हजार के ईनामी घोषित किए गए ओसामा के घर में पुलिस ने तोड़-फोड़ की। इस मामले को लेकर नुरुलहोदा और मिर्जा शान आलम बेग पर भी 25-25 हजार का ईनाम घोषित हुआ है। फिरोज अहमद के घर का दरवाजा तोड़ा और यहां तक कि पानी का नल भी पुलिस ने तोड़ दिया। 

मोहल्ले वालों ने बताया कि देशद्रोह के आरोप के तहत जिनको जेल भेजा गया उनमें तीन लड़के महबूब आलम उर्फ अजमइन, सलमान और आमिर नाबालिग हैं। 16 वर्षीय हाईस्कूल के छात्र महबूब आलम की मां मुख्तरी बताती हैं कि उनके बेटे और पति हकीमुद्दीन जो फजर की नमाज पढ़कर आ रहे थे, दोनों को पकड़कर जेल भेज दिया गया है। वे चार लड़कियों के साथ अकेले घर में हैं। उन्हें नहीं समझ आ रहा कि वे क्या करें। उनके घर में कोई पैरवी करने वाला भी नहीं है। 

प्रतिनिधि मंडल ने ओलमा कौंसिल के प्रवक्ता अधिवक्ता तलहा रशादी से मुलाक़ात की तो उन्होंने बताया कि मौलाना ताहिर मदनी जिन्हें प्रशासन ने दोपहर से रात तक कई बार धरना स्थल पर बुलाकर औरतों को मनाने के लिए कहा फिर उनको ही मुख्य षड्यंत्रकारी बना दिया। उन्होंने सवाल किया कि भला 3 बजे रात में कौन से प्रदर्शनकारी पथराव करेंगे। जब भीड़ सबसे कम होती है? मौलाना ताहिर खुद बायपास का ऑपरेशन करवा चुके हैं और शदीद डायबिटीक होते हुए इन्सुलिन पर चल रहे हैं।

बिलरियागंज के मोहम्मद आमिर बताते हैं कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ 4 फरवरी को 11 बजे से 30-35 महिलाओं से शुरू हुए धरने में हजार से अधिक महिलाएं धीरे-धीरे जौहर अली पार्क में आ गईं। धरना शुरू होते ही पुलिस आ गई और उन्होंने खाना, पानी, कंबल कुछ नहीं जाने दिया और पूरे कस्बे के टेंट वालों को आदेश दिया कि अगर कुछ भी धरने वाली महिलाओं को दिया तो टेंट हाउस सीज कर दिया जाएगा। रात 12 बजे के करीब डीएम आए और धरना खत्म करने को कहा पर महिलाओं ने धरने से उठने को मना कर दिया और वो ब्लॉक में चले गए। इस बीच लगातार पुलिस ने वहां मौजूद लोगों को वहां से खदेड़ दिया। 2 बजे डीएम आए और कहा कि धरने से उठे नहीं तो हमारे जाते ही पुलिस क्या करेगी समझ जाओ। ढाई-तीन बजे के करीब महिलाओं ने नमाज पढ़ी। पुलिस एकाएक पत्थरबाजी करते हुए लाठी चार्ज, आंसू गैस के गोले छोड़ने लगी। इस दौरान के बहुत सारे वीडियो वायरल हैं।

प्रशासन द्वारा अनुमति के सवाल पर वे कहते हैं कि 23 दिसंबर को जब धरने की बात हुई तो डीएम के नहीं कहने के बाद 4 जनवरी की सहमति बनी। पर पुलिस ने न सिर्फ नहीं करने दिया बल्कि गाड़ी से गाँव-गाँव अनाउंस करवाया कि जो भी शामिल होगा उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसका पासपोर्ट और सारी सुविधाएं जब्त कर ली जाएंगी। इसके बाद 25 जनवरी और उसके बाद 26 जनवरी को झंडारोहण का कार्यक्रम हुआ।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।) 

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