क्या आप विश्वास कर सकते हैं की सरकारी नौकरी के सेवापरांत आप जो पेंशन प्राप्त कर रहे हैं या पिछले 11साल से जो वेतन प्राप्त कर रहे हैं, अचानक आपका विभाग आपका वेतन / पेंशन कम करने का आदेश जारी कर देगा। नहीं न! लेकिन यह कारनामा श्रम विभाग ने कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवाएं के चिकित्सा अधिकारियों के वेतन / पेंशन को कम करके दिया है। श्रम विभाग ने कर्मचारी राज्य बीमा योजना के 11 वर्ष पूर्व तक सेवानिवृत 26 चिकित्सा अधिकारियों के वेतन / पेंशन को कम कर दिया है।
अपर मुख्य सचिव, श्रम ने वर्ष 1997 से विभाग में स्थापित प्रक्रिय / परंपरा को पलटने हेतु स्वतः स्वयं की पहल से और स्वयं की अध्यक्षता में एक कथित चयन समिति का गठन कर और उसकी बैठक दि.24 दिसंबर 2020 को आहूत कर पूर्वगामी तिथि से लागू यह प्रस्ताव पारित करा लिया कि विनियमितीकरण आदेश निर्गत होने की तिथि के पूर्व की तिथि से प्रभावी नहीं किया जा सकता है। चयन वेतनमान की संस्तुति हेतु नामित चयन समिति को विनियमितीकरण नियमावली की व्याख्या / स्पष्टीकरण का कोई अधिकार नही है।
दरअसल विनियमितीकरण नियमावली सरकार का एक नीतिगत निर्णय है जो कार्मिक विभाग द्वारा जारी किया गया है और उक्त का स्पष्टीकरण, व्याख्या अथवा संशोधन का संपूर्ण अधिकार कैबिनेट से प्रस्ताव पारित होने के उपरांत कार्मिक विभाग को है।
एक विशेष निहित उद्देश्य से अवैधानिक तरीके से एक कथित चयन समिति से विनियमितीकरण के संबध में प्राप्त उपरोक्त परामर्श का प्रथम शिकार श्रम विभाग ने अपने आदेश दि.4 जनवरी 2021 द्वारा लगभग 10 वर्ष पूर्व सेवानिवृत हो चुके उन 9 चिकित्साधिकारियों को बनाया जिनका विनियमितीकरण शासनादेश दि. 17/6/97 द्वारा किया गया। उन्हे प्रोन्नति वेतनमान दि.25/2/91 से दिया गया था क्योंकि उनका विनियमितीकरण भी अन्य चिकित्साधिकारियों के ही साथ दि.25/2/91 से ही होना प्रस्तावित था लेकिन कुछ कमियों के कारण उसे स्थगित कर दिया गया था। प्रोन्नति वेतनमान दि.17/6/97 के आदेश द्वारा जारी किया गया तथा उक्त आदेश में पूर्व में उसे स्थगित करने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
श्रम विभाग ने उपरोक्त आदेश दि.4 जनवरी 2021 द्वारा इन 9 चिकित्साधिकारियों को 5 वर्षीय प्रोन्नति वेतनमान की अनुमन्यता तिथि बढ़ाकर दि.25/2/91 (प्रस्तावित विनियमितीकरण तिथि) के स्थान पर दि.17/6/97 (वास्तविक विनियमितीकरण तिथि) एवं 16 वर्षीय वेतनमान की देयता तिथि दि.1/4/94 के स्थान पर दि.17/6/99 कर दिया गया।
श्रम विभाग द्वारा जारी विनियमितीकरण नियमावली की नई व्याख्या द्वारा अगला शिकार शासनादेश दि.22 जनवरी 2021 द्वारा 17 उन चिकित्साधिकारियों को बनाया गया जिन्हे इलाहाबाद उच्च-न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न आदेशों के अनुपालन में शासन के पूर्व के आदेशों के द्वारा उनकी नियुक्ति की तिथि से गणना के आधार पर 5 वर्षीय प्रोन्नति वेतनमान एवं 16 वर्षीय वैयक्तिक वेतनमान प्रदान किया गया था। उपरोक्त आदेश के द्वारा 2 चिकित्साधिकारियों को तो उनके नियुक्ति की तिथि के स्थान पर विनियमितीकरण की तिथि 20/04/06 से प्रोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया गया लेकिन शेष 15 चिकित्साधिकारियों को पूर्व में प्रदत्त समस्त उच्चतर वेतनमान वापस ले लिये गये और उनका पेंशन भी रोक दिया गया।
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च-न्यायालय के आदेश के अनुपालन में निर्गत आदेश में बगैर न्यायालय की अनुमति भविष्य में कोई संशोधन / परिवर्तन अवमानना की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद ऐसा किया गया क्योंकि इस कुत्सित कृत्य में लिप्त अधिकारियों को भली-भाँति पता है उनके द्वारा कृत अन्याय के विरुद्द उच्च-न्यायालय से न्याय पाने हेतु पीड़ितों को घोर मानसिक प्रताड़ना के साथ-साथ अपार धन खर्च करना पड़ेगा और लम्बे अवधि तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
इस तरह कुल 26 सेवानिवृत चिकित्साधिकारियों को लगभग 30 वर्ष पूर्व से प्राप्त प्रोन्नति वेतनमान को कम करने के निहित उद्देश्य से प्रेरित कुत्सित प्रयास को न्यायोचित सिद्ध करने हेतु इलाहाबाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद में विचाराधीन एक चिकित्सा अधिकारी की याचिका में शासन का पक्ष रखना बताया गया है, जबकि मा. उच्च-न्यायालय, इलाहाबाद की लखनऊ पीठ ने उसी प्रकार के एक अन्य चिकित्सा अधिकारी की याचिका पर शासन द्वारा योजित विशेष अपील डिफेक्टिव न.136/2021 पर पारित आदेश दि.9/3/2021 द्वारा श्रम विभाग के उपरोक्त वेतनमान संबंधी संशोधनों को स्वीकार नहीं किया है।
जून 1985 में प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा उ.प्र. (पीएमएचएस) से पृथक कर श्रम विभाग के अधीन कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवायें, उ.प्र. के नाम से एक नये विभाग का गठन किए जाने के समय इस विभाग के समस्त चिकित्सा अधिकारी पीएमएचएस से ही विकल्प देकर इस विभाग में सेवारत थे। तदर्थ रूप से नियुक्त उन चिकित्सा अधिकारियों की सेवा का नियमितीकरण “उ.प्र. (लोक सेवा आयोग के क्षेत्रांतर्गत पदों पर) तदर्थ नियुक्तियों का विनियमितीकरण नियमावली-1979 एवं संशोधन नियमावली-1984 के अधीन होना अपेक्षित था जो कि श्रम विभाग के शासनादेश सं.806/36-7-5{103}/86 दि.25 फ़रवरी 1991(संलग्नक-1) द्वारा किया गया।
कालांतर में पीएमएचएस के चिकित्सा अधिकारियों हेतु शासनादेशों द्वारा 5 वर्ष की सेवा पर प्रोन्नति वेतनमान और 16 वर्ष की सेवा पर उच्चतर वैयक्तिक वेतनमान अनुमन्य किया गया जिसकी स्वीकृति बिना विनियमितीकरण की तिथि को संज्ञान में लिये नियुक्ति की तिथि से 5 वर्ष व 16 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर प्रदान की गई। कार्यालय, महानिदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उ.प्र. के आदेश दि.16-11-1990 में दि.18-3-86 से दि.4-4-90 के मध्य विनियमित चिकित्सा अधिकारियों को प्रोन्नति वेतनमान विनियमितीकरण के तिथि के पूर्व की तिथि1-1-86 से प्रदान किया गया है।
श्रम विभाग द्वारा भी उपरोक्त प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए दि.25/2/91 के शासनादेश द्वारा विनियमित क. रा. बी. योजना के चिकित्साधिकारियों में से कुल 29 चिकित्सा अधिकारियों को प्रोन्नति वेतनमान उनके विनियमितीकरण तिथि के बजाय उनकी नियुक्ति तिथि से 5 वर्ष की सेवा पूर्ण करने की तिथि अर्थात विनियमितीकरण के पूर्व की तिथि यथा दि.1/1/86 से प्रदान कर दिया गया। श्रम विभाग के शासनादेश सं. 2201/36-7-2003-5{48}/95 दि.16 अगस्त 2003 (संलग्नक-4) द्वारा यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि समयमान वेतनमान की अनुमन्यता हेतु नियमित सेवा की शर्त नहीं है अपितु पदधारक का देयता तिथि को नियमित होना आवश्यक है।
डा. एम.बी.सिंह, पूर्व-अध्यक्ष, यू.पी.ई.एस.आइ. मेडिकल सर्विसेज एसोसियेशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को ज्ञापन भेजकर श्रम विभाग ने कर्मचारी राज्य बीमा योजना श्रम चिकित्सा सेवाएं मे गंभीर भ्रष्टाचार युक्त उत्पीड़न के उपरोक्त आरोप की उच्च-स्तरीय जाँच कराने की मांग की है और कहा है कि उपरोक्तानुसार कुल 26 सेवानिवृत चिकित्साधिकारियों के वेतन व पेंशन में कटौती उनकों विनियमितीकरण तिथि के पूर्व से प्राप्त 5 वर्षीय प्रोन्नति वेतनमान को अनियमित मानते हुए करने के पूर्व वर्तमान अपर मुख्य सचिव, श्रम ने शासनादेश दि.17 जुलाई 2020 द्वारा 5 सेवानिवृत चिकित्साधिकारियों को उन्हें पूर्व में उनके विनियमितीकरण की तिथि 25/2/91 से प्राप्त 5 वर्षीय प्रोन्नति वेतनमान को संशोधित करते हुए उसे उनकी सेवा के 5 वर्ष पूर्ण करने की तिथि अर्थात विनियमितीकरण के पूर्व की तिथि से प्रदान कर दिया था।
डॉ. एम बी सिंह ने कहा है कि इस प्रकार कुछ चिकित्साधिकारियों को उनके विनियमितीकरण की तिथि के पूर्व से प्राप्त वरिष्ट वेतनमान को निरस्त करके तथा कुछ चिकित्साधिकारियों को विनियमितीकरण की तिथि से प्राप्त वरिष्ट वेतनमान को उसके पूर्व की तिथि से स्वीकृत करके अपर मुख्य सचिव, श्रम ने अपने अधीनस्थ चिकितसधिकारियों में यह संदेश बखूबी प्रचारित कर दिया है कि वे अपनी इच्छानुसार मनमाने तरीके से किसी का भी वेतन/ पेंशन कम कर सकते हैं अथवा बढ़ा सकते है। इस संदेश का व्यक्तिगत लाभ निश्चित रूप से श्रम विभाग के कुछ विशेष अधिकारियों को प्राप्त होगा और विभागीय भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।