Saturday, April 20, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत की बहन के खिलाफ रिया चक्रवर्ती की एफआईआर को ख़ारिज करने से इंकार किया

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सुशांत की बहन प्रियंका सिंह के ख़िलाफ़ रिया की एफ़आईआर रद्द नहीं की जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने रिया चक्रवर्ती की शिकायत पर दर्ज मामला रद्द करने से मना कर दिया है। मालूम हो कि रिया चक्रवर्ती ने सुशांत की बहनों पर डॉक्टर की सूची बदल कर सुशांत को गलत दवाई देने का आरोप लगाया था। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बहन मीतू को राहत दी थी लेकिन प्रियंका का केस रद्द करने से मना किया था। इसके पहले बॉम्बे हाई कोर्ट को भी रिया द्वारा दर्ज़ करायी एफ़आईआर में क़ानून कुछ ग़लत नहीं लगा था। अब सीबीआई को मुंबई पुलिस की एफ़आईआर को अपने दायरे में लेना होगा और उन आरोपों की जाँच करनी होगी जिसमें आरोप लगाया गया है कि प्रतिबंधित दवा लेने में सुशांत की मदद करने के लिए प्रियंका ने फर्जी तरीक़े से प्रिस्क्रिप्शन तैयार करवाई।

चीफ जस्टिसएसए बोबडे, जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस रामासुब्रमण्यम की पीठ ने शुक्रवार को अभिनेता रिया चक्रवर्ती की शिकायत पर मुंबई पुलिस द्वारा दायर एफआईआर को खारिज करने से इनकार करते हुए सुशांत सिंह राजपूत की बहन प्रियंका सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 15 फरवरी को पाया था कि प्रियंका सिंह के खिलाफ प्रथम दृष्ट्या एक मामला पाया गया है, जिसमें उनके खिलाफ रिया चक्रवर्ती की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसमें सुशांत सिंह की आत्महत्या के लिए आपराधिक साजिश और अपहरण का आरोप लगाया गया था।

इसपर प्रियंका ने रिया चक्रवर्ती की एफआईआर के खिलाफ सुशांत की बहन ने उच्चक्ट्म न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। गौरतलब है कि अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में मीतू सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था, जबकि प्रियंका सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रियंका सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर को सही माना था। इसके बाद प्रियंका सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।

सुशांत सिंह की मौत के बाद से इस केस की जांच तीन केंद्रीय जांच एजेंसियों के हाथ में सौंपी गई थी। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) इस केस की तफ्तीश में लगी है। ड्रग्स का मामला सामने आने के बाद एनसीबी की रडार पर कई अन्य सितारे भी आ गए थे। बीते दिनों एनसीबी ने स्पेशल एनडीपीएस कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें रिया चक्रवर्ती सहित 33 लोगों को आरोपी बनाया गया था। बता दें कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का शव 14 जून 2020 को मुंबई के बांद्रा में अपने घर पर मिला था। जिसकी जांच में मुंबई पुलिस ने बताया था कि वो डिप्रेशन के शिकार थे और उन्होंने आत्महत्या की है। इस बीच एम्स की एक टीम ने सीबीआई को अपनी राय दी, जिसमें कहा गया कि राजपूत की मौत फांसी लगाने के कारण हुई। लेकिन सीबीआई की अभी अभिनेता की मौत की जांच पूरी नहीं हुई है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पाया था कि बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की बहन प्रियंका सिंह के खिलाफ प्रथम दृष्ट्या मामला है, जिसमें रिया चक्रवर्ती की शिकायत पर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में सुशांत सिंह की आत्महत्या के लिए आपराधिक साजिश और अपहरण का आरोप लगाया गया था। अदालत ने हालांकि सुशांत की एक अन्य बहन मीतू सिंह के खिलाफ कार्यवाही को रद्द कर दिया, जिसे भी प्राथमिकी में एक आरोपी के रूप में नामित किया गया था। कोर्ट ने कहा कि प्रियंका सिंह और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ तरुण कुमार, जिनका पर्चे पर कथित तौर पर प्रियंका सिंह द्वारा सुशांत के लिए दवाइयां खरीदी गई थीं, के संबंध में एफआईआर बची रहेगी।

ये प्राथमिकी अभिनेता रिया चक्रवर्ती द्वारा दोनों बहनों और डॉ तरुण कुमार- राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कार्डियोलॉजी के एक सहयोगी प्रोफेसर के खिलाफ 7 सितंबर, 2020 को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) से संबंधित अपराध के तहत दर्ज की गई थी।

बाद में इस मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दिया गया था जो दिवंगत अभिनेता की मौत के मामले की जांच कर रही है। चक्रवर्ती ने आरोप लगाया है कि सुशांत की बहन ने उन्हें नौकरों के साथ मिलकर सुशांत को ये दवाइयां दीं, जिसके चलते 14 जून, 2020 को उनका जीवन चला गया। बहनों ने, वकील माधव थोराट द्वारा दायर याचिका में, शिकायत में चक्रवर्ती के बयानों में विसंगतियों का हवाला दिया और एक साक्षात्कार में यह कहने पर सवाल उठाया कि शिकायत बाद की है और केवल दिवंगत अभिनेता की मृत्यु में जांच को दबाने के लिए दायर की गई है। उन्होंने एफआईआर दर्ज करने में 91 दिनों की देरी का हवाला दिया है।

याचिका में दावा किया गया है कि डॉ. कुमार के पर्चे को टेलीमेडिसिन गाइडलाइंस और टेलीस्पाइकाइरेट्री ऑपरेशनल गाइडलाइंस के तहत कवर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चलता है कि पर्चा जाली हैं। बहनों ने रिया पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उल्टे इरादों के लिए एफआईआर दर्ज की और विशुद्ध रूप से चक्रवर्ती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए बदला लिया, जिसकी आखिरकार सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। इसमें यह भी कहा गया है कि दिवंगत अभिनेता की मृत्यु के बाद वे लगातार मीडिया की चकाचौंध में रहे हैं और उन पर डाली गई आशंकाओं का उनके जीवन पर लंबे समय तक प्रभाव रहेगा।

रिया ने अपनी शिकायत में कहा है कि सुशांत की मौत मेरे जाने के 5 ही दिन बाद हो गई। पर्चे में लिखी गई दवाओं में गैरकानूनी रूप से दी गई दवाएँ थीं। रिया ने यह शिकायत सुशांत और उनकी बहन के बीच 8 जून को हुए एक वॉट्स ऐप चैट के आधार पर दी। उस चैट से संकेत मिले थे कि प्रियंका ने अपने भाई को तीन दवाएँ लेने की सलाह दी थी जो कि डिप्रेशन और एंग्जाइटी होने पर दी जाती है और उसे बिना प्रिस्क्रिप्शन के मेडिकल काउंटर से नहीं खरीदा जा सकता है।

34 वर्षीय सुशांत सिंह राजपूत मुंबई के अपने अपार्टमेंट में 14 जून को मृत पाए गए थे। इस मामले से जुड़े एक केस में रिया चक्रवर्ती को पिछले साल सितंबर महीने में 28 दिन जेल में बिताने पड़े। उन पर आरोप लगे कि उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग्स की व्यवस्था की।

सुशांत की मौत के मामले में उनके परिवार की ओर से रिया चक्रवर्ती पर अभिनेता की हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया। लेकिन एम्स के डॉक्टर्स के पैनल और सीबीआई ने इसे पूरी तरह नकार दिया और कहा कि यह हत्या का नहीं, आत्महत्या का मामला है। इसके बाद रिया पर सुशांत के अकाउंट्स में धोखाधड़ी करने के आरोप लगाए गए लेकिन वे भी ईडी की जांच में बेबुनियाद साबित हुए। फिर रिया पर ड्रग्स का केस चला और इसी मामले में उन्हें जेल भेजा गया। लेकिन जब कोर्ट में मामला गया तो कोर्ट ने भी कहा कि उसके सामने कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं पेश किया गया है कि उन्हें जेल में रखा जाए।

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