बस्तर में सलवा जुडूम की बलि चढ़े 400 में से 260 स्कूलों को फिर से खोला गया 

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बस्तर। बस्तर में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए गए सलवा जुडूम की हिंसा की बलि चढ़े 400 स्कूलों में 260 स्कूलों को फिर से खोला गया है। नक्सलवाद और फोर्स की हिंसा के चलते बस्तर में 400 से अधिक स्कूल बंद हो गए थे। करीब डेढ़ दशक बाद फिर से इन स्कूलों को खोला जा रहा है। बता दें कि स्कूलों में फोर्स का डेरा लगाने के कारण नक्सली स्कूलों को निशाना बनाते थे जिसके चलते बस्तर क्षेत्र में 400 स्कूल बन्द हो गए थे। फोर्स का स्कूलों में ठिकाना बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में फोर्स से उन्हें खाली कराने का आदेश दिया था।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित चार जिलों- सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर में डेढ़ दशक से बंद पड़े 260 स्कूलों को फिर से शुरू किया गया है। इन स्कूलों में 11 हजार 13 बच्चों ने प्रवेश लिया है। बीजापुर जिले में सबसे अधिक 158, सुकमा में 97, नारायणपुर में 4 और दंतेवाड़ा जिले में एक बंद स्कूल फिर से खोला जा रहा है।

15 वर्षों से बंद स्कूल खुलने से नक्सल प्रभावित इलाके के बच्चों में उत्साह और पालकों के चेहरे पर खुशी है। बीजापुर जिले में साल 2005 से 300 स्कूल बंद थे। इनमें से कडेनाल,पड़ेदा, काकेकोरमा, पालनार, पुसनार समेत 158 बंद स्कूलों को खोला गया है। स्कूल के संचालन के लिए गांवों में ज्ञान दूत की नियुक्ति की गई है, जिनके माध्यम से शिक्षा दी जा रही है।

क्यों बन्द थे स्कूल?

बस्तर में करीब 15 साल पहले नक्सलवाद के खिलाफ चलाये गए अभियान.. सलवा जुड़ूम के दौरान हुई हिंसा में इन इलाकों के स्कूलों की बलि चढ़ गई। नक्सली मानते थे कि सलवा जुड़ूम के कार्यकर्ता और सुरक्षा बल के जवान स्कूल भवनों का उपयोग छिपकर हमला करने के लिए करते हैं। दो पक्षों के बीच छिड़ी जंग का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ा। 15 साल के लंबे इंतजार के बाद भी इस इलाके में शिक्षा की ज्योति नहीं जली। बस्तर क्षेत्र के नक्सल प्रभावित इलाकों में लगभग 15 वर्षों से करीब 400 सरकारी स्कूल बंद हैं। लेकिन अब जबकि हालात बदल गए हैं और सलवा जुडूम खत्म हो गया है। राज्य सरकार ने सुकमा, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों के इन 400 में से 250 से अधिक स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला लिया।

अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार 18 जनवरी, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापक नंदिनी सुंदर की याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार को सुरक्षा बलों को स्कूलों, हॉस्टलों और आश्रमों से हटाने को कहा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अदालत को गुमराह किए जाने पर फटकार भी लगाई थी। इसी साल 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को स्कूलों में पुलिस कैंप के मुद्दे पर अवमानना नोटिस भी जारी किया था। 

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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