Saturday, April 27, 2024

हिमाचल ही नहीं उत्तराखंड भी मानसून की मार से बेहाल

देहरादून। उत्तराखंड पर मानसून का दूसरा बड़ा दौर पहले दौर से भारी पड़ रहा है। भारी से बहुत भारी बारिश के इन दोनों दौरों में उत्तराखंड में अब तक पड़ोसी हिमाचल प्रदेश की तरह तबाही तो नहीं हुई है, लेकिन उत्तराखंड में अब तक बारिश के कारण 23 सौ से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में 300 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। आपदाओं का सबसे बड़ा कारण एक बार फिर चारधाम मार्ग बना है, जिसे ‘ऑल वेदर रोड’ के नाम पर पिछले चार वर्षों से बेतरतीब तरीके से पहाड़ों को काटकर चौड़ा किया गया है।

पिछले एक हफ्ते के दौरान हुई बारिश के कारण सैकड़ों बार चारधाम यात्रा मार्ग बंद हो चुका है और कई मौतें पहाड़ से पत्थर गिरने के कारण हो चुकी हैं। ‘ऑल वेदर रोड’ जिसे बाद में चारधाम सड़क परियोजना कहा गया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद देहरादून में आयोजित एक जनसभा में चारधाम यात्रा मार्गों को ऑल वेदर रोड बनाने की घोषणा की थी।

उत्तराखंड में इस मानसून में अब तक सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। 1 जून से लेकर 17 अगस्त तक हुई बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में इस दौरान 930 मिमी बारिश हो चुकी है। सामान्य तौर पर इस दौरान 830.1 मिमी बारिश होती है। यानी सामान्य से 13 प्रतिशत ज्यादा बारिश अब तक दर्ज की गई है। अब तक देहरादून जिले में सबसे ज्यादा 1609 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 56 प्रतिशत ज्यादा है। बागेश्वर जिले में 1561 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से 174 प्रतिशत ज्यादा है। हरिद्वार जिले में सामान्य से 80 प्रतिशत और चमोली में सामान्य से 64 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। ये आंकड़े मौसम विज्ञान केन्द्र देहरादून के हैं।

राज्य में बारिश का मौजूदा दौर करीब एक हफ्ते पहले शुरू हुआ था। इस दौरान राज्य में 108.4 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 8 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें देहरादून जिले में हुई सामान्य से 192 प्रतिशत ज्यादा बारिश भी शामिल है। चमोली जिले में इस दौरान सामान्य में 96 प्रतिशत और टिहरी में 81 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई। अन्य सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। इसके बावजूद सड़कें और खासकर नेशनल हाईवे बंद होने की घटनाओं में भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

हालात क्या हैं, इसका अंदाजा पुलिस की ओर से सड़कें बंद होने की सूचनाओं से लगाया जा सकता है। 14 अगस्त, 2023 को चमोली पुलिस ने सूचना दी कि बदरीनाथ राजमार्ग नन्दप्रयाग, बाजपुर, छिनका, गुलाबकोटी, बेलाकूची, पागलनाला, काली मंदिर टंगणी, हाथी पर्वत और विष्णुप्रयाग के पास बंद है। पागलनाला में दो वाहनों में मलबे के फंसे होने की सूचना भी दी गई। कुछ समय पहले ही इन सभी जगहों पर सड़क चौड़ी करने के लिए पहाड़ों को बड़ी मशीने लगाकर काटा गया था।

14 अगस्त को ही चमोली पुलिस ने पीपलकोटी के पास बदरीनाथ राजमार्ग बंद होने की एक और सूचना दी। गोपेश्वर के पास ग्वीलों में भी सड़क बंद होने की सूचना दी गई। 14 अगस्त को ही उत्तरकाशी पुलिस ने गंगोत्री राजमार्ग धरासू के पास और यमुनोत्री राजमार्ग डाबरकोट के पास भूस्खलन के कारण बंद होने की सूचना दी। 15 अगस्त को जोशीमठ के पास पैनी नामक जगह पर बदरीनाथ हाईवे बंद होने की सूचना चमोली पुलिस ने दी। इसी दिन पीपलकोटी, गडोरा, मायापुर, नवोदय विद्यालय पीपलकोटी और भनेरपानी में भी सड़क मार्ग बंद होने की सूचना दी गई।

चारधाम यात्रा मार्ग का बड़ा हिस्सा टिहरी जिले की सीमा से गुजरता है। बदरीनाथ-केदारनाथ मार्ग ऋषिकेश से कीर्तिनगर तक टिहरी जिले की सीमा में है, जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग का भी बड़ा हिस्सा टिहरी जिले से होकर जाता है। 14 और 15 अगस्त को चारधाम यात्रा मार्ग भी कई जगहों पर बंद हो गया। बदरीनाथ-केदारनाथ मार्ग तीनधारा, मुल्यागांव और तोताघाटी में बंद हो गया, जबकि गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे हिंडोलाखाल के पास तीन दिन तक बंद रहा। कुल मिलाकर एक हफ्ते की बारिश के दौरान उत्तराखंड में चारधाम यात्रा मार्ग करीब दो दर्जन जगहों पर बंद हुआ।

एक अनुमान के अनुसार चारधाम यात्रा मार्ग को चौड़ा किये जाने के कारण कम से 400 नये स्लाइडिंग जोन बन गये हैं। दो वर्ष पहले भूवैज्ञानिक डॉ. एसपी सती ने ऋषिकेश से बदरीनाथ तक सड़क चौड़ी करने के कारण उभरे नये स्लाइडिंग जोन का सर्वे किया था। उन्होंने दावा किया था कि इस मार्ग में 152 नये स्लाइडिंग जोन बन गये हैं। डॉ. सती कहते हैं कि इस वर्ष कई नये स्लाइडिंग जोन उभरे हैं। उनमें बदरीनाथ रोड पर छिनका और घोलतीर के पास वाले स्लाडिंग जोन शामिल हैं।

डॉ. एसपी सती कहते हैं कि चारों धामों की सड़कों पर जिस तरह से कई जगहों पर भूस्खलन होने और रोड बंद हो जाने की खबरें आ रही हैं, उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि नये स्लाडिंग जोन की संख्या 400 से भी ज्यादा हो सकती है। वे कहते हैं कि पुराने स्लाइडिंग जोन भी अब पहले से ज्यादा खतरनाक हो गये हैं। इनमें पागलनाला जैसे स्लाइडिंग जोन शामिल हैं।

सड़क चौड़ी करने के लिए बेतरतीब तरीके से पहाड़ काटे जाने से प्रभावित हुए केदारनाथ मार्ग पर गौरीकुंड में 3 और 4 अगस्त की रात को बड़ा हादसा हो गया था। पहाड़ी से आये मलबे में एक ढाबा पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। इस हादसे में 8 लोगों के शव अब तक बरामद किये जा चुके हैं, जबकि दर्जनभर लोग अब भी लापता बताये जा रहे हैं। इसी रोड पर कुछ दिन पहले पहाड़ से आया मलबा एक कार पर गिर गया था और कार चालक की मौत हो गई थी। ऐसा ही एक और हादसा बदरीनाथ मार्ग पर पीपलकोटी में भी हुआ था। यहां भी कार ड्राइवर की मौत हो गई थी। सड़क बंद होने के कारण कार में सवार लोग घटना के वक्त कार से उतरकर थोड़ी दूरी पर बैठे सुस्ता रहे थे, जिससे उनकी जान बच गई थी।

13-14 अगस्त की रात को रुद्रप्रयाग जिले की मध्यमहेश्वर घाटी में सीमान्त गांव गौंडार के नजदीक पैदल मार्ग को जोड़ने वाला पुल और रास्ते का कुछ हिस्सा भारी बारिश के कारण बह गया था। इससे मध्यमहेश्वर की पैदल यात्रा में गये तीर्थयात्री फंस गये थे। सुरक्षा बलों ने रस्सियों के सहारे दूसरी तरफ फंसे लोगों को रेस्क्यू करने का प्रयास किया, लेकिन सैकड़ों की संख्या में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालना संभव नहीं हो पाया। इसके बाद गौंडार गांव के लोगों की मदद से अस्थाई हेलीपेड बनवाया गया और 293 लोगों का रेस्क्यू किया गया।

निर्माणाधीन ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग भी लोगों के लिए मुसीबत बन गया। इस रेल मार्ग का ज्यादातर हिस्सा सुरंगों से गुजरेगा। सुरंगे बनाने का काम पिछले कुछ वर्षों से तेजी से चल रहा है। जब से सुरंगें बनाने का काम शुरू हुआ है, ऊपरी क्षेत्र के गांवों में प्राकृतिक जल स्रोत पूरी तरह से सूख गये हैं। इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित टिहरी जिले की दोगी पट्टी के लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं। एक प्रदर्शन सुरंग के एक्जिट के पास भी किया जा चुका है। हाल की बारिश के कारण ये सुरंग भी प्रभावित हुई।

पानी भर जाने के कारण 14 अगस्त को एक सुरंग में 114 इंजीनियर और मजदूर फंस गये। घटना के वक्त ये सभी टनल के एग्जिट से करीब 300 मीटर दूर थे और वहां करीब 4 से 5 मीटर तक पानी भर गया था। पानी लगातार बढ़ता जा रहा था। किसी तरह इन इंजीनियरों और मजदूरों को रस्सों के सहारे टनल से बाहर निकाला गया। इसके पहले 7 फरवरी 2022 को ऋषिगंगा की बाढ़ के दौरान चमोली जिले के तपोवन में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की निर्माणाधीन टनल में फंसकर सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी।

राज्य में बारिश के कारण बंद होने वाली सड़कों के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस सीजन में अब तक राज्य में 2968 सड़कें बंद हो चुकी हैं। इनमें लोक निर्माण विभाग की 2219, पीएमजीएसवाई की 730 और नेशनल हाईवे ऑथोरिटी की 19 सड़कें शामिल हैं। एनएच की 19 सड़कें बंद होने का सीधा अर्थ है कि कोई भी नेशनल हाईवे ऐसा नहीं है, जो बारिश के कारण बंद न हुआ है।

ये सड़कें कितनी बार बंद हुई हैं, यह आंकड़ा नहीं दिया गया है। लेकिन, चारधाम यात्रा मार्ग बंद होने की लगातार आ रही खबरों से अनुमान लगाया जा सकता है कि राज्य में सैकड़ों बार नेशनल हाईवे बंद हो चुके हैं। पिछले दिनों बदरीनाथ हाईवे पर घोलतीर के पास सबसे बड़ा लैंड स्लाइडिंग हुआ था। यहां करीब 100 मीटर सड़क पूरी की पूरी बह गई थी। पांच दिन में नये सिरे से पहाड़ काटकर सड़क बनाई गई।

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार राज्य में इस वर्ष अब तक अतिवृष्टि और फ्लैश फ्लड की 1015 घटनाएं हो चुकी हैं। 1406 भूस्खलन की घटनाएं भी इस दौरान दर्ज की गई हैं। बिजली गिरने की 39 घटनाओं में भी जान-माल का नुकसान हुआ है। प्राकृतिक आपदा की घटनाओं में इस वर्ष अब तक 301 लोगों की मौत हो चुकी है। 676 लोग घायल हुए हैं और 20 लापता हुए हैं।

आपदाओं से सबसे ज्यादा नुकसान टिहरी जिले को उठाना पड़ा है। इस जिले में अब तक 52 लोगों की मौत हो चुकी है, 171 लोग घायल हुए हैं और 4 लापता हुए हैं। चमोली जिले में 38 लोगों की मौत हुई है और 81 लापता हुए हैं। देहरादून में 34 लोगों की आपदाओं में मौत हुई और 76 घायल हुए हैं। पिथौरागढ़ जिले में 33 लोगों की मौत हुई और 44 घायल हुए। रुद्रप्रयाग जिले में 29 लोगों की मौत हुई, 43 घायल हुए और 15 लोग लापता हुए हैं। 

(देहरादून से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट।)

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