पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बागी तेवर न केवल बरकरार हैं बल्कि कहीं ज्यादा तीखे हो गए हैं। राज्य की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के खिलाफ उनका हमलावर रुख विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। पंजाब मंत्रिमंडल की ताजा बैठक के एक अहम फैसले के तहत सूबे में बिजली सस्ती कर दी गई है। सरकार को वाहवाही मिल ही रही थी कि सबसे पहले इस पर सिद्धू ने पानी फेरा। मुख्य विपक्षी पार्टियों ने तो बाद में मोर्चा संभाला लेकिन उनके तेवर भी उतने तल्ख नहीं थे, जितने सिद्धू के।
राज्य के राजनीतिक गलियारों में खुलकर पूछा जा रहा है कि आखिर कांग्रेस प्रधान इस मानिंद अपनी ही सरकार के खिलाफ जाकर आखिर किसकी तरफ से ‘खेल’ रहे हैं और दरअसल यह खेल है क्या? खिलाफ लफ्जों से लबरेज सिद्धू का बड़बोलापन यकीनन चन्नी सरकार और कांग्रेस को दूरगामी बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है। तय है कि यह सब, कुछ फासले पर खड़े विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की लुटिया डूबो सकता है।
आइए, पहले जानते हैं कि बिजली दरों में कटौती होने पर कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी ही सरकार पर क्या तंज कसे और इसके लिए उन्होंने किस मंच का सहारा लिया? प्रसंगवश, कांग्रेस के संविधान के मुताबिक पार्टी में सांप्रदायिक संगठनों तथा मंचों की कोई जगह नहीं है। जब पंजाब मंत्रिमंडल बिजली दरों की बाबत अहम घोषणाएं कर रहा था, ठीक तभी सिद्धू नवगठित ‘संयुक्त हिंदू महासभा’ के मंच पर थे और राज्य सरकार के खिलाफ हमलावर हो रहे थे। बटाला विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके अश्विनी सेखड़ी ने संयुक्त हिंदू महासभा का गठन किया है। इस मौके पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष विशेष मेहमान थे। वहां मंच संभालते ही सिद्धू ने कहा कि चन्नी सरकार खोखले वायदे कर रही है, जिनके पीछे न तथ्य हैं और न सच्चाई। इससे पार्टी को कोई लाभ नहीं होगा। अगर सत्ता में लोग झूठ के जरिए अवाम को गुमराह करने की कोशिश करते हैं तो पार्टी के साथ कोई खड़ा नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार के दो महीने शेष हैं और अब सब कुछ मुफ्त बांटा जा रहा है। वह बोले कि उन्हें मैडम (सोनिया गांधी) ने प्रदेश की कमान सौंपी है और वह डैमेज कंट्रोल करने आए हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि राजनीति एक धंधा बन गई है, मिशन नहीं रही। किसी को राज्य की चिंता नहीं है। पंजाब पर अरबों का कर्ज है। यह सरकार नहीं बल्कि लोगों ने अदा करना है। अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री पर जबरदस्त कटाक्ष करते हुए सिद्धू ने कहा कि बड़े-बड़े वादे करने वालों से सावधान रहना चाहिए, क्या लोग इस बार दिवाली पर उपहार देने वालों को वोट देंगे या फिर पंजाब को पूरी तरह से दलदल से निकालने वालों को। पंजाब की धरती पार्टी से ऊपर उठकर अपना वारिस खुद चुनेगी। नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी और नवगठित संयुक्त हिंदू महासभा के चेयरमैन अश्विनी सेखड़ी ने प्रदेश कांग्रेस प्रधान की उपस्थिति में कहा कि मुख्यमंत्री चन्नी के इर्द-गिर्द वही चाटुकार इकट्ठा हो गए हैं जो कैप्टन को घेरे रहते थे।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल की बैठक के बीच ही नवजोत सिंह सिद्धू की सरकार के खिलाफ बयानबाजी का वीडियो-ऑडियो मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तक पहुंच गया। सिद्धू एडवोकेट जनरल (एजी) के पद पर अमरप्रीत सिंह दयोल की नियुक्ति से खफा थे। सोमवार की सुबह दयोल ने इस्तीफा दे दिया और इसे कैबिनेट बैठक में मंजूर किया जाना था। मान लिया गया था कि उनका इस्तीफा मंजूर हो चुका है लेकिन जैसे ही नवजोत सिंह सिद्धू की अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी वाला वीडियो-ऑडियो मुख्यमंत्री को मिला तो उन्होंने गहरी नाराजगी के चलते एजी का इस्तीफा नामंजूर कर दिया। देर शाम अमरप्रीत सिंह दयोल ने कहा कि वह अभी एडवोकेट जनरल हैं और रहेंगे। सियासी माहिरों का मानना है कि अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी नवजोत सिंह सिद्धू को और ज्यादा बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार मंगलवार की सुबह उन्होंने आलाकमान को सिद्धू की इस नई कारगुजारी की विस्तृत रिपोर्ट भेजी है।
असल में, पहले तीन-चार दिन छोड़ दें तो नवजोत सिंह सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी को चैन से काम नहीं करने दिया। तीन महीने पहले कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की मुहिम चलाई तो इसके पीछे मूल वजह यह थी कि वह खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन आलाकमान ने चन्नी का चयन किया। फिर सिद्धू ने नए मुख्यमंत्री को कठपुतली की तरह नचाना चाहा लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। विनम्र चन्नी अब पूरी तरह सिद्धू से किनारा कर चुके हैं। पंजाब कांग्रेस के कतिपय नेताओं का मानना है कि अभी भी वक्त है कि कांग्रेस आलाकमान भी प्रदेश इकाई को ‘सिद्धू मुक्त’ कर दे। वैसे भी, नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रधान बनने के बाद बयानबाजी के सिवा कुछ नहीं किया है।
सरकार सक्रिय है लेकिन संगठन दिन-प्रतिदन और ज्यादा लुंज-पुंज होता जा रहा है। ऐसे में जबकि बादलों की सरपरस्ती वाला शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी खासे सक्रिय हैं, कांग्रेस किस बूते विधानसभा चुनाव में जाएगी? चरणजीत सिंह चन्नी सरकार कितनी भी बड़ी उपलब्धियां हासिल क्यों न कर रही हो, मजबूत संगठन और बेहतर तालमेल के बगैर ज्यादा दूर तक नहीं जाया जा सकता और फिर तीन महीने का वक्त नाकाफी है!
(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)
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