स्टेन स्वामी।

स्टेन स्वामी ने जेल से लिखा खत, कहा- जेल में सभी बाधाओं के बावजूद मानवता भर रही है तरंग

नई दिल्ली। मुंबई के तलोजा जेल में बंद 83 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी ने अपने मित्र और एक्टिविस्ट जॉन दयाल को लिखे एक पत्र में कहा है कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जेल में मानवता तरंग भर रही है। पत्र में उन्होंने जेल में बंद अपने मित्रों और साथी कैदियों के बारे में लिखा है।

स्वामी ने अपने पत्र में कहा है कि उन्हें तलोजा सेंट्रल जेल के एक छोटी सेल में दो दूसरे कैदियों के साथ रखा गया है। जबकि एक्टिविस्ट वरवर राव, वर्नन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को एक दूसरी सेल में रखा गया है। आपको बता दें कि इन सभी को भीमा कोरेगांव मामले में जेल में रखा गया है। स्वामी ने लिखा है कि “दिन के समय जब सेल और बैरक खुलती हैं तब हम एक दूसरे से मिलते हैं।” “5.30 शाम से लेकर 6.00 बजे सुबह और 12 बजे से दोपहर 3.00 शाम तक मैं अपने दो साथी कैदियों के साथ सेल में बंद रहता हूं।”

स्वामी जो पार्किंसन बीमारी से पीड़ित हैं ने बताया कि फरेरा उन्हें खाना खाने में मदद करते हैं। स्वामी ने पिछले महीने कोर्ट में एक आवेदन दिया है जिसमें उन्होंने बताया है कि वह एक गिलास भी हाथ से नहीं पकड़ सकते हैं। कोर्ट से उन्होंने स्ट्रा और सिपर इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी है। कोर्ट ने आवेदन पर सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है। जवाब देने के लिए प्रशासन ने 20 दिन का समय मांगा था।

स्वामी के मेडिकल तर्कों में कहा गया है कि वह तकरीबन अपने दोनों कानों से सुनने की क्षमता खो दिए हैं। और उनकी हार्निया का दो बार आपरेशन हो चुका है। और अभी भी उनके पेट के निचले हिस्से में दर्द रहता है। उनके वकील ने मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट को बताया कि पार्किंसन की बीमारी के चलते उनके लिए एक कप भी हाथ से उठाना मुश्किल हो रहा है।

अपने पत्र में स्वामी ने बताया कि गोंजाल्विस उन्हें स्नान करने में मदद करते हैं। पत्र में उन्होंने लिखा है कि “मेरे साथ के दोनों कैदी रात में खाना खाने, कपड़े धोने में मेरी मदद तो करते ही हैं, वे मेरे घुटने के जोड़ों की मालिश भी कर देते हैं।” उन्होंने लिखा है कि “वे बहुत गरीब परिवारों से आते हैं। कृपया अपनी प्रार्थना में मेरे साथी कैदियों और मेरे सहयोगियों को याद करिए। सभी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद तलोजा जेल में मानवता तरंगें भर रही है।”  

23 अक्तूबर को एनआईए कोर्ट ने मेडिकल आधार पर स्वामी को जमानत देने से इंकार कर दिया था। स्वामी को 8 अक्तूबर को एनआईए ने रांची से गिरफ्तार किया था। उसके अगले दिन उन्हें मुंबई ले आया गया था।

पूरा पत्र नीचे दिया गया है जिसका तर्जुमा रिजवान रहमान ने किया है:

प्रिय साथियों, 

शांति! हालांकि जो मैंने सुना है उसमें से बहुत से डिटेल्स मेरे पास नहीं हैं, लेकिन मैं मेरे समर्थन में आपकी एकजुट आवाज़ का आभारी हूं। मैं लगभग 13 x 8 फीट के एक सेल में दो और कैदियों के साथ हूं। इसमें भारतीय कमोड के साथ एक छोटा बाथरूम है। और सौभाग्य से मुझे वेस्टर्न कमोड दिया गया है। 

वरवर राव, वर्नोन गोंजाल्वेस और अरुण फरेरा दूसरे सेल में हैं। हम एक दूसरे से दिन में सेल और बैरक खोले जाने के समय मिलते हैं. मैं कोठरी के लॉकअप में शाम 5:30 बजे से सुबह 6:0 बजे और दोपहर के बारह बजे से शाम के तीन बजे तक दो कैदियों के साथ बंद रहता हूं। अरुण मेरी मदद नाश्ता और दोपहर का खाना खिलाने में करते हैं और वर्नोन गोंजाल्विस मेरी मदद नहाने में करते हैं। मेरे साथ के दोनों कैदी रात में खाना खाने, कपड़े धोने में मेरी मदद तो करते ही हैं, वे मेरे घुटने के जोड़ों की मालिश भी कर देते हैं। दोनों बहुत ही गरीब परिवारों से हैं।

आप अपनी दुआओं में मेरे कैदी साथी और सहयोगियों को याद रखें। साथियों, तलोजा जेल में सभी बाधाओं के बावजूद मानवता तरंग भर रही है।

~फादर स्टेन स्वामी के खत का तर्जुमा

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