एचडीएफसी अर्गो जैसी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को पीछे छोड़ते हुये उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने टर्म्स एंड कंडीशन्स (नियम व शर्तें) लागू करते हुये यूपी ग्राम पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के बाद मरने वाले 1621 शिक्षकों व अधिकारियों में से सिर्फ़ 3 शिक्षकों को मरा हुआ माना है।
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कल कहा है कि स्थापित मानकों के हिसाब से देखें तो चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है।
उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने मरने के नियम व शर्तें समझाते हुये मीडिया को बताया है कि – “राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश द्वारा निर्गत गाइड लाइन के अनुसार निर्वाचन अवधि गणना मतदान/मतगणना संबंधी प्रशिक्षण एवं मतदान/मतगणना कार्य हेतु कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने तथा डयूटी समाप्त कर उसके निवास स्थान तक पहुंचने की अवधि तक मान्य है। इस अवधि में किसी भी कारण से हुई मृत्यु की दशा में अनुग्रह राशि अनुमन्य है जिसका निर्धारण राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। राज्य निर्वाचन आयोग की उपरोक्त गाइडलाइन के अनुसार जिलाधिकारियों द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को अभी तक 03 शिक्षकों के मृत्यु की प्रमाणित सूचना प्रेषित की गई है”।
यूपी शिक्षा मंत्री ने कहा कि 1621 में जिन तीन शिक्षकों को मरा हुआ माना है उनके परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना है तथा मृतकों को अनुमन्य अनुग्रह राशि का भुगतान उनके परिजनों को शीघ्र कराया जाएगा।
गौरतलब है कि अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा 8 मई को सभी जिलाधिकारियों को चुनाव ड्यूटी में तैनात कार्मिकों को अनुग्रह धनराशि के भुगतान के विषय में निर्देश देते हुए एक पत्र जारी किया गया था। इस पत्र में कहा गया था कि अनुग्रह राशि (एक्स ग्रेशिया) मतदान/मतगणना से संबंधित प्रशिक्षण एवं मतदान/मतगणना में लगाये गये कर्मियों को निर्वाचन के दौरान मृत्यु होने या गंभीर रूप से घायल की दशा में अनुमन्य है। निर्वाचन अवधि की गणना मतदान/मतगणना संबंधी प्रशिक्षण एवं मतदान/मतगणना कार्य हेतु कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने तक तथा ड्यूटी समाप्त कर उसके निवास स्थान तक पहुंचने की अवधि तक मान्य है।
वहीं उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठनों द्वारा राज्य में हाल में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षा मित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की मृत्यु का दावा करते हुये, पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की मृत्यु का दावा करते हुए सभी के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा राशि और आश्रितों को सरकारी नौकरी की मांग की थी।
सरकार के नियव व शर्तों से शिक्षकों में आक्रोश
वहीं सरकार के नियम व शर्तों वाले निर्देश पर शिक्षक और कर्मचारियों ने आक्रोश जताते हुये कहा है कि इस शर्त को लगाने का उद्देश्य कोरोना से दिवंगत हुए शिक्षकों-कर्मचारियों को अनुग्रह राशि और उनके आश्रितों को नौकरी से वंचित करना है।
गौरतलब है कि कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने 12 मई को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से दिवंगत हुए शिक्षकों-कर्मचारियों को अनुग्रह राशि देने में शर्त लगाने पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की थी। मंच ने कहा था कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले शिक्षक-कर्मचारी ट्रेनिंग, मतदान/ मतगणना के दौरान कोविड से संक्रमित हुए और इसके चलते किसी की पांच दिन, किसी की एक सप्ताह या उसके बाद मृत्यु हुई। इसलिये निर्वाचन अवधि की शर्त हटा देनी चाहिए।
जबकि खुद आरएसएस समर्थित संगठन राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ ने चुनाव ड्यूटी के दौरान कोविड-19 से राज्यभर में मरने वाले 1,205 प्राथमिक स्कूलों के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की सूची तैयार की है। राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ के संगठनात्मक सचिव शिवशंकर सिंह ने कहा, ‘सत्यापन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों दस्तावेजों पर नंबर गेम खेल रहे हैं जबकि मृतकों के परिजन जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार को इन परिवारों के साथ सहानुभूति और संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।
सरकार मुआवजा देने से बचने के लिये दांवपेच कर रही है
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया है कि सरकार पंचायत चुनाव ड्यूटी करने या उसके कुछ ही दिनों बाद मरने वाले शिक्षकों तथा अन्य कर्मियों को मुआवजा देने में दांव पेच कर रही है। सरकार के शासनादेश की भाषा इस तरह लिखी गई है जिससे बहुत बड़ी संख्या में पात्र परिजन इस मुआवजे से महरूम रह जाएंगे।
डॉ. दिनेश शर्मा ने कोविड का उल्लेख करते हुये कहा है कि यह सभी जानते हैं कि कोविड-19 के लक्षण 24 घंटे में ही नज़र नहीं आते बल्कि उनके सामने आने में कुछ दिनों का समय लगता है लेकिन सरकार ने अपने शासनादेश में कहा है कि पंचायत चुनाव ड्यूटी करने के 24 घंटे के अंदर जिन कर्मचारियों की मृत्यु होगी उनके परिजन को ही मुआवजा दिया जाएगाा। यह सरासर अन्याय है और सरकार को संवेदनशील तरीके से सोच कर निर्णय लेना चाहिए।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने 16 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर बताया था कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में पंचायत चुनावों ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों और कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है। सरकार को भेजे पत्र के साथ उन्होंने एक सूची भी संलग्न की थी, जिसमें यूपी चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1621 शिक्षकों व अधिकारियों के नाम दर्ज़ थे। सूची के मुताबिक आजमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई। जबकि प्रदेश के 23 ऐसे जिले हैं, जहां 25 से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप इन सभी मृत शिक्षकों/शिक्षा मित्रों तथा अन्य कर्मचारियों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाये।
वहीं उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले कम से कम 200 शिक्षामित्रों की कोविड-19 से मृत्यु हुई है। इसके अलावा 107 अनुदेशकों और 100 से ज्यादा रसोइयों की भी इस संक्रमण के कारण मौत हुई है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि अगर सरकार कायदे से पड़ताल कराए तो यह संख्या काफी ज्यादा हो सकती है।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)